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इजरायल: देवता जिसे तबाह करते हैं, पहले उसे पागल बनाते हैं

इजरायल ने दुनिया भर के लोगों के दिलों और दिमागों से मिलने वाले विश्वास को खो  कर रख दिया है. गाजा में मौत की बारिश हो रही है, आम नागरिकों की अंधाधुंध हत्या हो रही है – संयुक्त राष्ट्र कि रपट बताती है कि मरने वाले 600 लोगों में 80 प्रतिशत आम नागरीक हैं – मृत बच्चों की तस्वीरें इजरायल की सच्ची ओर घिनौनी तस्वीर को दिखाती है। यह हमेशा से इसराइल का निर्माण करने के क्रम में फिलीस्तीनियों से छुटकारा पाने के लिए एक क्रूर विध्वंसक प्रहार करने वाला औपनिवेशिक राज्य रहा है। नेतान्याहू की अभद्र टिप्पणी जिसमें उसने कहा कि “टेलिजेनिक मृत फिलीस्तीनी बच्चें” हैं, उनकी मीडिया में हार के कारन हताशा को ही दर्शाता है।

पिछले सभी युद्धों में इजरायल गाजा और इजरायल में विजुअल फीड, फोटो और विडियो पर नियंतरण करता रहा है। इस बार वे इसमें असफल हो गए। यहाँ तक कि मुख्य धारा के मीडिया को भी गाजा की असली तस्वीर विडियो और फोटो के जरिए दिखाने पर मजबूर होना पड़ा। इन्टरनेट, स्मार्ट फोन और सोशल मीडिया की अवस्था में विजुअल कथा पर नियंतरण करना असंभव सी बात है।

मीडिया की लड़ाई में उस वक्त मदद नहीं होती जब हमें सदेरोत की पहाड़ी चोटी पर भीड़ की जश्न मनाते तस्वीरें मिलती हैं – सदेरोत सिनेमा – जलते गाजा पर तालियाँ बजाना, या इजरायल में शान्ति रैलियों पर हमला करते हुए अरब की मौत का आह्वाहन करना; या फिलिस्तीनी माताओं को मौत के घाट उतारने का आह्वाहन करना ताकि वे बच्चों को जन्म न दे सकें; या क्नेस्सेट के डिप्टी स्पीकर द्वारा यह धमकी देना कि अगर गाजा में रहने वाले सिनाई नहीं जाते हैं तो पूरी की पूरी नस्ल को तबाह कर दिया जाएगा।

अगर इजरायल  मीडिया युद्ध हार गया है, या इससे काफी आहात हो गया है, तो सैन्य युद्ध के बारे में क्या ख़याल है? इस मामले में, इजरायल की हालत और भी खराब है। इजरायल जोकि दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना है, एक ऐसी ताकत से कठोर युद्ध लड़ रहा है जिसके पास न तो सक्षम हथियार, वायु सेना या हथियारों का जखीरा है। अगर कुछ वक्त के लिए हम नागरिकों की हुई मृत्यु को छोड़ दें। लड़ाकुओं के बीच इजरायल ने 29 सैनिकों को खोया है और 120 गाजा प्रतिरोधियों ने अपनी जान गवायीं है। एक ऐसी सेना जिसके पास कोई शारीरिक कवच नहीं है और जिसके पास बहुत निम्न स्तर के हथियार है, ऐसी सेना दुनिया एक सर्वोत्तम सेना से युद्ध लड़ रही कोई करतब कि बात नहीं है। यही नहीं 2008-2009 और 2012 के गाजा युद्ध में जहाँ 10 केवल इजरायली सैनिक मारे गए थे उनकी संख्या इस युद्ध में डबल हो गयी है। इजरायल को इस युद्ध उसी तरह नुकसान हुआ है जैसा कि 2006 में लेबनान में इजरायली घूसपैठ के वक्त हुआ था। इजरायल के लिए इससे भी खराब स्थिति जब हुयी जब हमास ने दावा किया कि उसके कब्ज़े में एक इजरायली सैनिक है और इज्रायल ने भी इसकी पुष्टि की है कि उसका सैनिक गायब है।

न ही तो इजरायल पर रोकेट का हमला बंद हुआ। हमास कि सबसे बड़ी जीत इसमें रही कि उसने अपने ज्यादातर हमले बेन गुरिओं एअरपोर्ट के आस-पास किये जहाँ से सभी अंतर्राष्ट्रीय विमान उड़ान भरते हैं – यहाँ तक कि अमरीका और यूरोप को इजरायल के अपने विमानों को रद्द करना पड़ा। एम्.एच.17 के हादसे के बाद किसी भी विमान कम्पनी की हिम्मत नहीं हुई कि वहां से विमान को गुजारे जहाँ हवा में रोकेट उड़ रहे थे। यदपि रोकेट के हमले से इजरायल का नुक्सान काफी कम रहा है – रोकेट हमले से केवल दो लोग ही मारे गए, लेकिन इन हमलों ने दक्षिण इजरायल की आम जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया। यहाँ काम पर न जाने वाले लोगों का प्रतिशत 6 से बढ़कर 33 प्रतिशत हो गया। हवाई हमलो और सायरन की आवाज़ की वजह से मज़बूत कमरों में या हवाई हमलों से बचने के लिए बनाये गए ख़ास घरों शरण लेना उनके डर को ही बताती है जिसे कि इजरायली पसंद नहीं करते हैं। या कहिये यह एक ऐसी स्थिति है जिससे इजरायली घबराते हैं।

अगर इजरायली ऐसा विश्वास करते थे कि नागरिकों पर बम के हमलों से फिलिस्तीन के गाजा में रहे रहे लोगों की हिम्मत टूट जायेगी और वे हमास के खिलाफ हो जायेंगें, वेसा कुछ नहीं हुआ। दुनिया शायद द्वितीय विश्व युद्ध के सबक को भूल गयी है – नागरिकों की जानमाल का नुक्सान न तो लोगों की हिम्मत को तोड़ सकता है और न ही उनके युद्ध लड़ने के प्रयासों को। जर्मन ने जब लन्दन पर बमबारी की थी – और अलाइड ताकतों की जर्मनी पर बमबारी, तथा टोक्यो पर जब बम फेंकें गए, सबसे भारी मानव हानि हुयी लेकिन इसका असर उल्टा हुआ; इसने लोगों में युद्ध को लड़ने की प्रतिबद्धता को और ज्यादा बलसाली बना दिया। पिछली सभी लड़ाईयों में भी गाजा पर बम गिराए जाने के बावजूद हमास और ज्यादा मज़बूत होकर निकला बावजूद इसके कि इजरायल यह कहता है कि “गाजा मैदान की सफाई कर दो” जिसका मतलब है कि गाजा को पूरी तरह तबाह कर दो।

मुख्यधारा का मीडिया – पश्चिमी समाचार एजेंसी, चैनल या समाचार पत्र – सबने रिपोर्ट किया कि पिछले युद्धों में, हमास के लिए समर्थन युद्ध के दौरान बढ़ा। यदपि, उनकी उम्मीद थी कि जितने ज्यादा नागरिक हमलों में मारे जायेंगें तब फिलिस्तीन और गाजा में रह रहे लोग जोकि शांति चाहते हैं वे लोग हमास के खिलाफ हो जायेंगें। ऐसा सोचना भी मुरखता है या अपराधिक पागलपन है कि एक ही तरह के लड़े गए युद्ध के परिणाम अलग-अलग होंगें, सभी साक्ष्य विपरीत है। 

न ही हमास के रोकेट दागने से इजरायल का समर्थन बढ़ा और न ही गाजा युद्ध में वह कमज़ोर पडा। दोनों ही तरफ, लोगों का संकल्प था – इजराइल में यह था कि वे गाजा में नागरिकों की हत्या जारी रखे और गाजा में यह संकल्प की चाहे जो परिणाम हो रोकेट दागते रहो – जैसे संकल्प में इज़ाफा हुआ।

तो गाजा पर बमबारी करना या जमीनी लड़ाई की वजह से हमास तो राजीनीतिक तौर पर कमज़ोर नहीं हुआ, फिर इजरायल की सेना का उद्देश्य क्या है?

इजरायल अपनी लौह शक्ति पर काफी विश्वस्त है, कि वह खुद की रक्षा करने में सक्षम होगा और गाजा पर बमबारी इसराइल द्वारा बिना किसी नुक्सान गाजा पर अनन्त बमबारी जारी रख सकता है। उसका यह गुमान उस वक्त चकनाचूर हो गया जब 90 प्रतिशत से ज्यादा रोकेट सही ठिकानों पर दागे गए। गाजा में उस आयरन डोम मिसाइल रोधी ढाल को भेदने की न केवल क्षमता थी बल्कि वह गुरियन एअरपोर्ट, तेल अवीव और हाफिया पर सीधे हमले करने में कामयाब रहा, जोकि वास्तव में इसराइल के लिए गंभीर पूर्वसूचक हैं। जहाँ तक गाजा में प्रतिरोध का सवाल है केवल हमास ही नहीं बल्कि इस्लामिक जिहाद, मार्क्सवादी/वाम मोर्चे जैसे कि पी.ऍफ़.एल.पी. और डी.ऍफ़.एल.पी. आदि इजरायल पर रोकेट हमला जारी रखे हुए है। इजरायल के पास या तो युद्ध विराम या फिर जीत घोषित करने का विकल्प है या फिर गाजा में जमीनी युद्ध लड़ने का।

टोनी ब्लयेर से मिश्र से बात करने का नाटक और युद्ध विराम के लिए मिश्र को अपनी ढाल बनाने का रास्ता असफल हो गया। हमास के लिए युद्ध विराम करना उतना संभव नहीं था क्योंकि इसके जरिए वे उन सभी उपलब्धियों को खो देते जो उन्होंने 2012 के युद्ध विराम में पाई थी। वे न केवल इजरायल द्वारा गाजा पर गैर-कानूनी ढंग से लगातार थोपी गयी घुटन भरी आर्थिक नाकेबंदी बल्कि वेस्ट बैंक से उनके नेता, और जो कैदी जेल में थे २०११ में इजरायल से वार्त कर जिन्हें छुड़ा लिया गया था फिर जेल में हैं। यह भी बड़ा झूठ है कि मिश्र द्वारा सुझाए गए युद्ध विराम पर इजरायल सहमत था, हमास को इस तरह के समझौते का पता केवल टेलीविजन और रेडियो के जरिए  चला। युद्ध विराम के लिए हमास से किसी ने बात नहीं की। किसी को यह भी नहीं पता कि कोई हमास से बात कर रहा है या नहीं और उसे युद्ध विराम का  प्रस्ताव दिया जा रहा है, जिसके बारे में इजरायल के पत्रकार ने कहा ऐसी कोई निराधार स्थिति नहीं है। 

युद्ध विराम के नाटक में असफल होने के बाद इजरायल के पास सिवाय गाजा में जमीनी युद्ध लड़ने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा था। यहाँ पर इजरायल का सैन्य उद्देश्य धुंधला गया। अगर वे गाजा के सशत्र विरोध का मुकाबला करना चाहते हैं तो उन्हें गाजा पर दोबारा से सैन्य ताकत के आधार पर कब्ज़ा करना पड़ेगा। अगर वे हमास को गाजा में हराना चाहते हैं तो उन्हें गाजा को दोबारे से सैनिक आधार पर कब्जाना होगा। 2005 में वे गाजा से इसलिए नहीं हटे थे कि उनके दिल में कोई अच्छी बात आ गयी थी बल्कि, बल्कि गाजा पर कब्ज़े के लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी, और वह थी गाजा के खिलाफ नाकेबंदी जारी रखना।

यहाँ इजरायल की सैन्य ताकत को करारे झटके लगे। गाजा में प्रतिरोध ने न केवल सर्वोच्च रोकेट को विकसित किया बल्कि इसबार वे पहले से भी बेहतर ढंग के हथियारों से लैस थे। उन्हें काफी उच्च श्रेणी की सुरंग प्रणाली को विकसित किया, जैसा कि इजरायल और के खिलाफ लेबनान में हिज़ोबुलाह ने किया था। ये सुरंग सेना के लिए बड़ी मुसीबत बन गयी थी। वे इन सुरंगों के जरिए सीमा पर सेना को धता बताते हुए इजरायल पहुँच जाते और और इजरायली ठिकानों पर हमले करते या उन्हें इजरायली सैनिकों से भीड़ पड़ते। सुरंगें काफी अच्छी बनायीं गयी है, इनमे बिजली भी है और इनके जरिए शास्त्र और अन्य हथियार या उपकरण भी ले जाए जा सकते हैं।

मूल रूप से हमास रॉकेट फायरिंग के बुनियादी ढांचे को तबाह करने कि लड़ाई अब सुरंगों को नष्ट करने के हमले कि लड़ाई बन गयी है। इजरायल जिसकी खोज कर रहे हैं बह इतनी आसान नहीं है। सुरंगों में बहुआयामी आने जाने के रास्ते हैं और जोकि काफी छुपे हुए हैं। वायु आक्रमण सुरंगों के लिए बेमानी है, जिसकी वजह से इजरायल के सैनिक ज्यादा हताहत हो रहे हैं। गाजा में पहले सभी युद्धों में इजरायल ने गाजा के प्रतरोधी ठिकानों पर हमेशा कारपेट बमबारी कर उन्हें शमशान में बदल आगे बढा है। यही कारण है कि पहले के युद्धों में जन हानी ज्यादा हुई और इजरायल को कम नुक्सान हुआ। अब चूँकि गाजा सुरंगों के जरिए आ जा रहा है, उससे भी कहीं जयादा जितने कि उसने उम्मीद भी नहीं की थी। यही वजह है कि इजरायली सेना में हताहतों की संख्या में पहले के मुकाबले में काफी बढ़ोतरी हुई है। गाजा में अब जब चाहे छोटे स्तर के हमले संभव नहीं हैं।

अगर इजरायल सुरंगों और रोकेट दागने वाले ढाँचे को तबाह करे बिना युद्ध विराम कर देता है तो यह हमास के लिए एक बड़ी राजनितिक जीत साबित होगी, और अगली लड़ाई के लिए वे और मज़बूत होंगें। और अगर इजरायल गाजा पर दोबारा कब्ज़ा कर लेता है तो दोनों तरफ बहुत नुक्सान होगा। 2009 में एहुद ओल्मर्ट को जाना पड़ा था क्योंकि उसने लडाई में 121 सैनिकों को लेबनान कि लडाई में खो दिया था। और अगर इजरायल गाजा को दोबारा कब्ज़ा करता है तो केवल इजरायल को बड़ा नुक्सान ही नहीं उठाना पड़ेगा बल्कि वह पहले कि तरह लगातार लहुलुहान भी होगा।

इसराइल के लिए समझदारी की बात यह होगी कि वह गाजा की एक सतत घेराबंदी और उस पर लगातार हमलों को स्वीकार करे, क्योंकि ज्यादा वक्त तक यह स्थिति बरकरार नहीं रहेगी। जब वह यह स्वीकार कर लेगा तो उसे यह भी स्वीकार करना पड़ेगा कि गाजा कि समस्या वेस्ट बैंक और गाजा के कब्ज़े की समस्या है। वेस्ट बैंक की बस्तियों में घुसपैठ से दोनो राष्ट्रों के समाधान को असंभव बना दिया, इजरायल के आखरी रास्ता क्या है? दो राष्ट्रों का समाधान जिसके तहत वे वेस्ट बैंक से अपनी सभी बस्तियों को हटायेंगें? या एक राष्ट्र समाधानं- जिसमे फिलिस्तीनी और यहिदियों को बराबर का अधिकार हो – एक आधुनिक, धर्निर्पेक्ष राष्ट्र जोकि नागरिकता और पहचान पर आधारित हो?

मुझे नहीं लगता इजरायल ऐसा समझदारी वाला रास्ता अखितियार करेगा। सोशल मीडिया में जिस तरह की नफरत और विष को उंडेला जा रहा है, प्रेस और टेलीविजन में इजरायली नेताओं का नरसंहारपरक  टिप्पणियां, इसे पूरी तरह असंभव बना देते हैं कि इजरायल बजाय गाजा को और पाने आपको बड़ा नुक्सान पहुचाने और फिर पीछे हटने के अलावा कोई और रास्ता अखितियार करेगा। एक पागलपण से भरा कारनामा जो हर कुछ सालों में युद्ध में केवल खून-खराबा ही सुनिश्चित कर सकता है और जिस युद्ध को कभी जीता नहीं जा सकता। जिसे देवता तबाह करते हैं, वह पहले उसे पागल बनाता हैं। इजरायल उसका सबसे बड़ा उदाहारण है।  

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

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