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झारखण्ड आदिवासी संघर्ष : आत्मसम्मान और ज़मीन की लड़ाई

झारखण्ड सरकार सी.एन.टी. एक्ट और एस.पी.टी. एक्ट में बदलाव करके आदिवासियों से उनकी ज़मीन छीन कॉर्पोरेट घरानों को देने की फ़िराक़ में है I

न्यूज़क्लिक और कम्यूनलिस्म कॉम्बैट ने एक ख़ास मुलाकात में सामाजिक कार्यकर्ता दयामणी बारला से झारखण्ड में चल रहे आदिवासियों के संघर्ष पर बातचीत की I दयामणी ने झारखण्ड के आदिवासियों और उनके जल, जंगल व ज़मीन से रिश्ते पर अपने विचार रखे I उन्होंने आदिवासियों के संघर्ष को ऐतिहासिक पृष्टभूमि में रखा और बताया की ब्रिटिश राज से लड़ने में भी आदिवासियों ने बेहतरीन साहस का प्रदर्शन किया था I उन्होंने अफ़सोस और गुस्सा भी ज़ाहिर किया कि झारखण्ड सरकार सी.एन.टी. एक्ट और एस.पी.टी. एक्ट में बदलाव करके आदिवासियों से उनकी ज़मीन छीन कॉर्पोरेट घरानों को देने की फ़िराक़ में है I लेकिन दयामणी ने यह विश्वास जताया कि आदिवासी हमेशा की ही तरह अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे I 

 

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