NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
2020 : जेएनयू हिंसा, दंगों, सीएए-एनआरसी और किसान आंदोलन पर पुलिस का रवैया सवालों के घेरे में!
साल 2020 कई कारणों से याद रखा जाएगा लेकिन इसमें एक अध्याय दिल्ली पुलिस की बर्बरता और पक्षपात पूर्ण कार्रवाही के लिए भी याद रखा जाएगा।
मुकुंद झा
01 Jan 2021
Police

पिछले साल यानी 2020 की शुरुआत देशभर में बड़े आंदोलनों के साथ हुई और उन आंदोलनों का केंद्र भी दिल्ली ही बना। चाहे वो केंद्र की बीजेपी शासित सरकार द्वारा पूरे देश में नागरिकता संशोधन अधिनयम लाना हो या फीसवृद्धि का मामला, श्रमिकों के लिए बने श्रम कानूनों को ख़त्म करना हो या अंत में तीन नए कृषि कानूनों को लेकर विरोध प्रदर्शन, इन सभी आंदोलनों में दिल्ली एक मुख्य केंद्र रहा है। इस दौरान दिल्ली पुलिस की जो कार्यवाहियाँ रही वो कई बार गंभीर सवालों के घेरे में रही है। ख़ासतौर पर जेएनयू हिंसा के मामले और दिल्ली दंगो में पुलिस पर कई गंभीर सवाल उठे थे। जेएनयू हिंसा मामले में अपनी जांच के लिये आलोचना का सामना करने से लेकर दंगों में दिल्ली पुलिस की निष्पक्षता सवालों के घेरे में रही। हालांकि हर बार पुलिस उसे बेबुनियादी आरोप कहती रही है।

जेएनयू हिंसा

सबसे पहले हम बात करे जेएनयू हिंसा की, जनवरी में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में उस वक्त हिंसा भड़क गई जब लाठी-डंडे लेकर नकाबपोश उपद्रवियों ने छात्रों और शिक्षकों पर हमला बोल दिया तथा परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। इस घटना ने देश को हिलाकर रख दिया क्योंकि देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक जेएनयू में घंटो तक हिंसा का तांडव होता रहा।

इसका आरोप संघ समर्थित छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों पर लगा। हालांकि उन्होंने इससे इंकार कर दिया और इस पूरे मामले को वाम समर्थित छात्र संगठनों की साज़िश बताने की कोशिश की। यह बहुत स्वाभाविक भी था क्योंकि दोनों ही कैंपस में प्रतिद्वंद्वी हैं तो आरोप-प्रत्यारोप तो लगने ही थे। परन्तु सवाल पुलिस के रवैये को लेकर है क्योंकि जब कैंपस में ये सब हो रहा था तो इसकी पूरी जानकारी दिल्ली पुलिस को थी और वो वहां मौजूद भी थी। बाद में कई वीडियो ऐसे भी आए जिसमे नकाबपोश उपद्रवी पुलिस के सामने से जाते दिखे।

वीडियो फुटेज होने के बाद भी जेएनयू हिंसा मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने इस मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है। जिसपर सवाल उठना लाज़मी है।

दिल्ली हिंसा

वहीं फरवरी में दिल्ली के उत्तरपूर्वी हिस्से में हुए दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई जबकि 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इन दंगों में गोकलपुरी में पथराव के दौरान घायल हुए हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल (42) की भी मौत भी हो गई थी। इस घटना ने दिल्ली ही नही पूरे देश को झकझोर दिया था। शायद दिल्ली ने 1984 के बाद इस तरह का दृश्य पहली बार देखा था। इस घटना ने कई सवाल खड़े किए कि क्या यह अचानक हुई थी? क्या पुलिस प्रशासन इन्हे रोक नही सकता था? क्या पुलिस ने वाक़ई अपने कर्तव्यों का सही से पालन किया था? शायद इन सभी सवालों का जबाव 'ना' ही है।

क्योंकि यह हिंसा कोई अचानक से हुई घटना नहीं थी बल्कि इसके लिए लगातार एक माहौल बनाया जा रहा था। पुलिस के सामने ही भड़काऊ बयान दिए जा रहे थे और पुलिस वहां मूकदर्शक की भूमिका में नज़र आयी थी। जहाँ तक पुलिस के काम के तौर-तरीकों की बात करें तो कई जगह पुलिस उस हिंसक भीड़ का हिस्सा बनती नज़र आई जो लोगो के घर जलाने के लिए निकली थी।

कई दिनों तक दिल्ली जलती रही लेकिन पुलिस अपने तरीके से काम करती रही। जबतक पुलिस की नींद खुलती तबतक तो 50 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके थे। इस दौरान पुलिस का साम्प्रदायिक चेहरा भी खुलकर सामने आया जब हमने कई ऐसे वीडियो भी देखे जहां पुलिस द्वारा मुसलमानों को उनकी पहचान के कारण प्रताड़ित किया गया।

घटना के बाद भी पुलिस की जाँच पक्षपाती दिखी। अभी तक किसी भी पुलिस अधिकारी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है जबकि इस पूरे दंगे और हिंसा के लिए सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है लोगो को ही दोषी ठहराया जा रहा है। विभिन्न पक्षों ने पुलिस की जांच के तौर-तरीकों की आलोचना की है। खैर जो लोग लगातार भड़काऊ बयान दे रहे थे चाहे वो कपिल मिश्रा हो, रागनी तिवारी हो या फिर प्रवेश वर्मा या फिर अनुराग़ ठाकुर सभी खुले घूम रहे हैं।

सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन

2020 के शुरू होने से पहले ही दिल्ली में सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इस दौरान भी कई बार पुलिस के रवैये को लेकर सवाल उठे चाहे वो 15 दिसंबर 2019 का जामिया हिंसा हो या फिर उसके दो दिन बाद सीलमपुर में पत्थरबाज़ी की घटना। दोनों में ही पुलिस की कार्यवाही सवालों के घेरे में रही है। यह आंदोलन लगभग तीन महीने तक चला इस दौरान दिल्ली में कई जगह 24*7 धरने प्रदर्शन हुए। इसमें कई जगह पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग किया। 26 जनवरी से से पहले 19 तारीख को CAA -NRC के ख़िलाफ़ दिल्ली के तुर्कमान गेट पर सैकड़ों की संख्या में लोग उतरे। तुर्कमान गेट पर प्रदर्शन का स्वरूप बहुत छोटा था, लेकिन 19 तारीख की सुबह पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की, जिसमें कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया था। इस घटना के बाद से यह आंदोलन व्यापक और तेज़ हो गया था।

किसान आंदोलन को लेकर भी असंवेदनशील दिखी पुलिस

देश के किसान पिछले 15 साल के सबसे सर्द दिसंबर में दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान पारा 2 से 2.5 डिग्री तक भी चला गया जिससे और बाक़ी कई अन्य वजहों से अभी तक 32 से अधिक किसानों ने अपनी जान गंवा दी है। ये किसान शुरुआत में दिल्ली में प्रदर्शन के लिए अधिकृत जगह रामलीला मैदान या जंतर-मंतर जाना चाहते थे परन्तु दिल्ली पुलिस ने इस भीषण ठंड में किसानों पर लाठी और पानी की बौछार और अनगिनत आँसू गैस के गोलों से हमला कर इनका रास्ता रोका और न सिर्फ रास्ता रोका बल्कि कई किसान नेताओं को गिरफ़्तार भी किया। हालांकि बढ़ते जन-दबाव में उन्हें छोड़ना भी पड़ा। इस दौरान जहाँ पुलिस को इनकी सुरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए थी वही पुलिस वाले आसपास के फैक्ट्री मालिकों को धमका रहे थे की वो इन किसानो की मदद न करे। हालांकि पुलिस की लाख कोशिशों के बाद भी किसान सड़क पर अपनी मांग को लेकर डटे हुए हैं।

साल 2020 कई कारणों से याद रखा जाएगा लेकिन इसमें एक अध्याय दिल्ली पुलिस की बर्बरता और पक्षपात पूर्ण कार्यवाही के लिए भी याद रखा जाएगा। पूर्व आईपीएस अधिकारी विभूति नारायण राय ने दंगो के बाद न्यूज़क्लिक से बात करते हुए साफतौर पर कहा था कि दिल्ली पुलिस राजनीतिक दबाव में कार्य कर रही है अगर ऐसा नहीं होता तो इस तरह के दंगे दो-तीन घंटे में काबू कर लिए जाते।

उन्होंने पुलिस की निष्पक्षता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस निष्पक्ष नहीं बल्कि पक्षकार की तरह काम कर रही थी। उन्होंने बताया कि जामिया में पुलिस ने छात्रों को लाइब्रेरी में घुसकर मारने से परहेज़ नहीं किया और जेएनयू में गुंडे अंदर छात्रों को पीटते रहे और पुलिस बाहर मूकदर्शक बनी रही।

Year 2020
delhi police
CAA
NRC
JNU
JNU Violence
Delhi Violence
Delhi riots
farmers protest
BJP
Amit Shah

Trending

सरकार से युवाओं को रोज़गार देने की मांग, कोरोना अपडेट और अन्य
किसान आंदोलन : किसानों के हौसले बुलंद , आंदोलन का बदलती तस्वीर
बावल: प्रदर्शन करतीं`महिलाओं की वेतन वृद्धि की मांग और शोषक कंपनी प्रशासन
अपने ही इतिहास से शापित एक असहाय राजनीतिज्ञ का सच बोलना
ग्राउंड रिपोर्ट: नाराज़गी और मलाल के बीच राजस्थान के किसान लंबी लड़ाई के लिए तैयार
महिलाओं को सड़क हादसों के बाद आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है!

Related Stories

किसान आंदोलन : किसानों के हौसले बुलंद , आंदोलन का बदलती तस्वीर
न्यूज़क्लिक टीम
किसान आंदोलन : किसानों के हौसले बुलंद , आंदोलन का बदलती तस्वीर
25 February 2021
किसान आंदोलन अपने तीसरे माह में प्रवेश कर गया है। ये आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर भीषण ठंड में शुरू हुआ था जो अब धीरे धीरे गर्मी के मौसम में प्रवेश क
rojgar
अभिषेक पाठक
ट्वीट-रूपी सैलाब के साथ छात्रों का हल्ला बोल!
25 February 2021
हताश, निराश और खुद को अहसहाय महसूस करने वाले छात्रों और युवाओं की पीड़ा को जब एक अध्यापक ने आवाज़ दी, उन्हें आधार दिया तो उनकी सभी तकलीफ ट्वीट-रूपी स
किसान आंदोलन
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
किसान आंदोलन: एसकेएम ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर गिरफ़्तार किसानों की बिना शर्त रिहाई की मांग की
25 February 2021
देशभर में लाखों किसान तीन नए विवादित कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन सरकार किसानों के इस आंदोलन की मांगों को मानने के बदले लगातार

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • Daily Round-up Newsclick
    न्यूज़क्लिक टीम
    सरकार से युवाओं को रोज़गार देने की मांग, कोरोना अपडेट और अन्य
    25 Feb 2021
    आज के डेली राउंड अप में चर्चा करेंगे सोशल और डिजिटल मीडिया को रेगुलेट करने के लिए केंद्र सरकार ने जारी किए नियम, छात्र और अध्यापक आज ऑनलाइन आंदोलन चला रहे हैं जिसमें वो सरकार से युवाओं को रोज़गार…
  • किसान आंदोलन : किसानों के हौसले बुलंद , आंदोलन का बदलती तस्वीर
    न्यूज़क्लिक टीम
    किसान आंदोलन : किसानों के हौसले बुलंद , आंदोलन का बदलती तस्वीर
    25 Feb 2021
    किसान आंदोलन अपने तीसरे माह में प्रवेश कर गया है। ये आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर भीषण ठंड में शुरू हुआ था जो अब धीरे धीरे गर्मी के मौसम में प्रवेश कर रहा है लेकिन किसानों के हौसले आज भी बुलंद हैं।
  • प्रयोगशाला में विकसित मिनिएचर मस्तिष्क कर रहा है वास्तविक जीवन की स्थितियों की नकल
    संदीपन तालुकदार
    प्रयोगशाला में विकसित मिनिएचर मस्तिष्क कर रहा है वास्तविक जीवन की स्थितियों की नकल
    25 Feb 2021
    यूसीएलए और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की शोधकर्ताओं की एक टीम ने इंसानी स्टेम कोशिकाओं से एक साल से (20 महीने) अधिक समय से एक मस्तिष्क कृत्रिम अंग को विकसित किया है और पाया है कि स्टेम-कोशिका से…
  • ssc
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एसएफआई-डीवाईएफआई ने कर्मचारी चयन आयोग को परीक्षाओं में अनियमिताओं पर सौंपा ज्ञापन!
    25 Feb 2021
    गत वर्ष जानकारी दी थी कि करीब एक लाख से अधिक रिक्तियां सुरक्षा बलों की हैं जबकि 2018 में उत्तीर्ण हजारों उम्मीदवारों को अभी तक नियुक्त नहीं किया गया है।
  • rojgar
    अभिषेक पाठक
    ट्वीट-रूपी सैलाब के साथ छात्रों का हल्ला बोल!
    25 Feb 2021
    बढ़ती बेरोज़गारी, घटती वेकैंसी, कम वेकैंसी की भर्ती में भी चयन आयोगों का गैरज़िम्मेदाराना रवैय्या, सालों-साल का विलंब और ऐसे ही अन्य तमाम मुद्दों पर छात्रों ने ट्विटर के माध्यम से अपना आक्रोश दर्ज कराया।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें