Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

नोटबंदी के 3 साल : फ़ायदा हुआ तो दिखा क्यों नहीं ?

आज से तीन साल पहले प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नोटबंदी का कदम उठाया गया था। मोदी द्वारा दावा था कि नोटबंदी लागू करने से भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत सारे फायदे होंगे। उसके बाद ऐसी कई सारी रिपोर्टें आ चुकी हैं,जो प्रधानमंत्री द्वारा गिनाए गए नोटबंदी से जुड़े हर फायदे को ख़ारिज करती हैं।
demonitization

8 नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक 'तानशाही' फ़ैसला लेते हुए 'नोटबंदी' का ऐलान किया था, जिसके तहत 8 नवम्बर की ही रात 12 बजे से तब चल रहे 500 और 1000 के नोटों को बंद कर दिया गया था। अचानक आए इस फ़ैसले पर भारतीय जनता पार्टी के अलग-अलग नेताओं ने कई बातें की थीं, और ख़ुद नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी करने की अलग-अलग वजहें बताई थीं। कहा गया था कि नोटबंदी आतंकवादी संगठनों को सबक सिखाने के लिए की गई है, फिर कहा गया कि ये देश को 'कैशलेस' बनाने के लिए की गई है, फिर कहा गया कि इससे काले धन पर अंकुश लग जाएगा।

इन तीनों ही बातों का हासिल क्या हुआ ये आज तक साफ़ नहीं हो सका है। बल्कि 9 महीनों बाद आरबीआई ने एक रिपोर्ट में कह दिया कि 97% नोट बदले जा चुके हैं। हाल ही में पूर्व सचिव एस . सी . गर्ग ने कहा है कि 2,000 रुपये के नोट को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने दावा किया है कि 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट की जगह लाए गए 2,000 रुपये के नोट की जमाखोरी की जा रही है और इसे बंद कर देना चाहिए।

नोटबंदी जैसे अचानक लिए गए फ़ैसले को आज तीन साल हो गए हैं और कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने इस फ़ैसले को नाकाम बताते हुए बीजेपी पर हमले किए हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर के कहा नोटबंदी के फ़ैसले को 'आतंकवादी हमला' क़रार दिया है। विपक्षी पार्टी ने 500 और 1000 रुपये के, उस समय प्रचलित नोटों को बंद करने के सरकार के फैसले की तुलना 1330 में मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा मुद्रा को प्रचलन से बाहर करने के फैसले से की। कांग्रेस ने इस मौके पर सत्ता में बैठे लोगों की चुप्पी पर भी सवाल उठाया है।
T

मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष सीताराम येचूरी ने भी नोटबंदी भारत की जनता के ख़िलाफ़ 'अपराध' बताया है।

आपको बता दें कि 8 नवम्बर को नोटबंदी होने के बाद से देश की जनता को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। अपने नोट बदलवाने और पैसे निकालने के लिए लोग लाइन में लगे रहे थे, जिसमें क़रीब 100 लोगों की मौत भी हो गई थी। हालांकि सरकार के प्रवक्ताओं ने इन मौतों को नज़रअंदाज़ कर दिया था, या इनकी वजहें कुछ और बता दी थीं।

आज 3 साल बाद नोटबंदी से कितने आतंकवादियों को घाटा हुआ, कितना काला धन वापस आया या देश से नकद पैसा कितना कम हुआ, इसके कोई प्रमाण सरकार की तरफ़ से नहीं आए हैं। हाल ही में ये ज़रूर पता चला है, कि आज और ज़्यादा नकद पैसा चलन में है।

नोटबंदी के बारे में ये बातें भी सामने आई थीं, कि नरेंद्र मोदी ने इसके बारे वित्त मंत्रालय या आरबीआई से कोई राय-मशवरा नहीं किया था। बाद में आरबीआई का एक बयान आया था जिसमें बताया गया कि आरबीआई ने नोटबंदी के बारे में पहले ही कहा था कि ये सफल नहीं होगी, लेकिन तब भी ये फ़ैसला लिया।

नोटबंदी के बाद पैदा हुई मुश्किलों के दौरान लोगों की हुई मौतों को सरहद पर खड़े फ़ौजियों से जोड़ कर देखा गया था और सरकार के प्रवक्ताओं ने ये तक कह दिया था कि जब सियाचिन में फ़ौजी खड़े हैं, तो लोग लाइन में क्यों नहीं खड़े हो सकते।

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने प्रधानमंत्री को नोटबंदी के लिए माफ़ी मांगने को कहा है।

इसके अलावा आज ट्विटर पर, नोटबंदी के 3 साल बीतने पर उस वक़्त की मुश्किलों को याद करते हुए #Demonetisationdisaster ट्रेंड कर रहा है और लोग इस फ़ैसले को मौजूदा मंदी और जर्जर पड़ी अर्थव्यवस्था की भी वजह बता रहे हैं। जिसकी वजह से #Notebandisemanditak भी ट्रेंड कर रहा है।

दूसरी तरफ़ बीजेपी आज भी इस फ़ैसले को ऐतिहासिक फ़ैसला बता रही है, लेकिन इस बात का समर्थन करने के लिए सरकार या वित्त मंत्रालय 3 साल में कोई भी आंकड़ा नहीं दे पाया है।

 

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest