49 हस्तियों ने "जय श्री राम" के दुरुपयोग पर मोदी को लिखा ख़त
देश भर में लगातार हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं और जय श्रीराम नारे के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए अलग-अलग क्षेत्रों की 49 हस्तियों ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में अपर्णा सेन, कोंकणा सेन शर्मा, रामचंद्र गुहा, अनुराग कश्यप, शुभा मुद्गल जैसे अलग-अलग क्षेत्र के दिग्गजों के हस्ताक्षर हैं। पीएम को संबोधित करते हुए चिट्ठी में लिखा गया है कि देश भर में लोगों को जय श्रीराम नारे के आधार पर उकसाने का काम किया जा रहा है। साथ ही दलित, मुस्लिम और दूसरे कमजोर तबकों की मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए तत्काल क़दम उठाने की मांग की गई है।
ख़त में लिखा गया है: 'आदरणीय प्रधानमंत्री... मुस्लिम, दलित और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की लिंचिंग तत्काल प्रभाव से बंद होनी चाहिए। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े देख हम हैरान हैं। एनसीआरबी के डेटा के अनुसार, दलितों के साथ 2016 में 840 हिंसक घटनाएं हुईं। इन अपराध में शामिल लोगों को दोषी क़रार देने के आंकड़े में भी कमी आई है।'
ख़त में एक जगह ये भी लिखा है कि ऐसी घटनाओं पर प्रधानमंत्री की निंदा ही काफ़ी नहीं है।
इसके अलावा ख़त में राष्ट्र और राज के सवाल पर बात करते हुए कहा गया है कि 'देश की सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करना देश की आलोचना करने जैसा नहीं है। किसी भी देश की सत्ताधारी पार्टी उस राष्ट्र के समानांतर नहीं हो सकती। सत्ताधारी पार्टी देश की बहुत सी पार्टियों में से ही एक पार्टी भर होती है। सरकार के खिलाफ लिए जानेवाले कदम को राष्ट्र के खिलाफ उठाया कदम नहीं करार दिया जा सकता।'
ख़त में एक जगह ये भी लिखा है कि ऐसी घटनाओं पर प्रधानमंत्री की निंदा ही काफ़ी नहीं है।
ख़त में एक जगह लिखा है कि "बहुत अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि इन दिनों जय श्रीराम का नारा युद्ध उन्माद जैसा बनता जा रहा है। कानून और व्यवस्था तोड़ने के लिए और बहुत बार लिंचिंग के वक्त भी इसी नारे का प्रयोग किया जा रहा है। यह देखना हैरान करने वाला है कि धर्म के नाम पर ऐसा किया जा रहा है। राम के नाम पर ऐसे अपराध को अंजाम देने की घटनाओं पर लगाम लगाना जरूरी है।'
एक और बात जो ग़ौरतलब है वो ये, कि आज ही राज्य सभा में केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी ने कहा है कि सांप्रदायिकता के मामलों में गिरावट आई है।
इसके अलावा किशन रेड्डी ने ये भी कहा कि भीड़ के द्वारा की जा रही हिंसा का संबंध किसी दल विशेष से नहीं है।
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एक तरफ़ जहाँ देश के विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियाँ सांप्रदायिक हिंसा के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री से किसी ठोस क़दम की अपील कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ़ किशन रेड्डी का ये कहना कि भीड़ द्वारा हिंसा का संबंध किसी दल विशेष से नहीं है, ये बात हास्यास्पद लगती है और सरकार के लापरवाह रवैये को भी दर्शाती है।
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