NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कृषि
कोविड-19
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
लॉकडाउन खुलने के बावजूद नहीं खिला फूलों का बाज़ार, किसान परेशान
“लॉकडाउन में हमारा कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया। हमारे पॉलीहाउस में 12 खेतिहर मज़दूर काम करते थे। उन्हें वेतन देना हमारे लिए मुश्किल हो गया। जुलाई में 12 में से 6 मजदूर किसान वापस लौट गए। बाज़ार में फूलों की मांग बिलकुल ठप है। हमने एक पॉलीहाउस में गुलाब रखे हैं। दूसरे पॉलीहाउस से गुलाब के पौधे उखाड़ कर शिमला मिर्च लगा दी है।”
वर्षा सिंह
13 Oct 2020
किसान
खेत मज़दूर गंभीर सिंह। फोटो : वर्षा सिंह

सर्दियों के शुरू होने से ठीक पहले की चुभती धूप और तेज़ गर्मी में गंभीर सिंह घुटने मोड़े गुलाब के फूलों के ईर्द-गिर्द उग आई घास करीने से साफ़ कर रहे हैं। वह इस काम को उतना ही संजीदा होकर कर रहे हैं जैसे कोई पेंटर अपनी पेंटिंग पर रंगों को करीने से आकार देता हो। नाम पूछने पर उनके ईर्दगिर्द बैठी महिलाएं हंसी घोलकर कहती हैं “गंभीर सिंह”। पीछे से किसान जयकिशन चमोली आवाज़ लगाते हैं “गंभीर सिंह अपनी मूंछे तो तान दो”। महिलाएं हंसती हैं “टीवी में आएगी फोटो, ज़रा हंस दो”। गंभीर सिंह का चेहरा शांत रहता है।

लॉकडाउन के दौरान फूलों की बिक्री बंद हो गई तो फूलों की खेती करने वाले किसान से लेकर खेत मज़दूर तक इस संकट से जूझ रहे हैं। उम्रदराज गंभीर सिंह कई सालों से ये काम कर रहे हैं इसलिए उनकी नौकरी बच गई।

dumped flowers due to lockdown, pic credit- amit pandey.jpeg

फोटो :अमित पांडेय

बाज़ार में नहीं है फूलों की मांग

देहरादून के मियांवाला क्षेत्र के शमशेरगढ़ में जयकिशन चमोली वर्ष 1990 से फूलों की खेती करते हैं। वह कहते हैं “ लॉकडाउन में हमारा कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया। हमारे पॉलीहाउस में 12 खेतिहर मज़दूर काम करते थे। उन्हें वेतन देना हमारे लिए मुश्किल हो गया। जुलाई में 12 में से 6 मजदूर किसान वापस लौट गए। बाज़ार में फूलों की मांग बिलकुल ठप है। हमने एक पॉलीहाउस में गुलाब रखे हैं। दूसरे पॉलीहाउस से गुलाब के पौधे उखाड़ कर शिमला मिर्च लगा दी है।”

image new.jpg

फूलों की खेती करने वाले किसान जयकिशन। फोटो : वर्षा सिंह

जयकिशन कहते हैं कि हम बरसों से यही काम करते आए हैं अब कुछ और धंधा नहीं कर सकते। “ पहले एक दिन में गुलाब के औसतन 200-250 बंडल बाजार में जाते थे। एक बंडल की कीमत 100 रुपये होती है। इसमें 20 गुलाब की स्टिक होती हैं। हर महीने हमारा खाद-पानी का खर्च आता है। लॉकडाउन खुलने के बाद भी फूलों का बाज़ार नहीं उठ सका है। बड़े शादी-समारोह नहीं हो रहे। जिसमें फूलों की सबसे ज्यादा मांग होती है। आने वाले समय में भी ऐसी उम्मीद नहीं दिखती। किसान तब तक बर्बाद हो जाएगा”।       

Flower market downfall in dehradun.jpeg

फोटो : अमित पांडेय

हमने फूल उगाने बंद कर दिए

उत्तराखंड सरकार युवाओं को फूलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। देहरादून में कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़कर और बैंक से 56 लाख रुपये का लोन लेकर अमित पांडे ने फूलों की खेती का काम शुरू किया। देहरादून के विकासनगर-हरबर्टपुर के कुंजाग्रांट गांव में 12 बीघा ज़मीन पर पॉली हाउस लगाकर अमित ने फूलों की खेती शुरू की।

अमित बताते हैं,  “2014 में मैंने पॉलीहाउस में जरबेरा फूलों की खेती शुरू की। तब सीजन के समय एक जरबेरा स्टिक के 12-13 रुपये तक मिलते थे। बिना सीजन दो से ढाई रुपये तक। सीजन का मतलब है शादियों का समय। अप्रैल-मई और फिर सर्दियों में शादियों के समय बाज़ार में फूलों की मांग बढ़ जाती है। जीएसटी के बाद से फूलों की मंडी में डाउन फॉल हुआ। उसके बाद ये मार्केट कभी उठ ही नहीं पाया। अब मैंने ये कारोबार बंद करने का फ़ैसला ले लिया है। पिछले 6 महीने से बिना किसी कमाई के वर्कर्स को सैलरी दे रहे हैं।”

अमित कहते हैं कि फूलों के पौधों की एक बच्चे की तरह देखभाल करनी होती है। उनकी गुड़ाई-निराई, समय पर खाद-पानी का इंतज़ाम करना होता है। खेतिहर मज़दूरों को वेतन देना होता है। ट्रांसपोर्ट का भाड़ा मिलाकर हर महीने 60-70 हज़ार रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

“इस साल अप्रैल में शादियों का बड़ा सीजन था। हमने फरवरी से इसकी तैयारी करनी शुरू कर दी थी। ताकि अप्रैल में जब बाज़ार में इनकी मांग बढ़ेगी, खूब फूल आएं। मार्च में लॉकडाउन से हम पर जबरदस्त असर पड़ा। हमने इतना बुरा समय नहीं देखा। इसकी भरपायी नहीं की जा सकती। आने वाले 6-8 महीने में भी हमें फूलों के बाज़ार में बढ़त की कोई उम्मीद नहीं दिख रही। पहले शादी समारोहों में 50 लोगों के जुटने की अनुमति थी। अब इसे बढ़ाकर 100 कर दिया गया है। इतने कम लोगों के समारोहों के लिए कोई क्या फूल खरीदेगा। मेरे आसपास के ज्यादातर लोगों ने फूल उगाने बंद कर दिए हैं।”

flowers dumped in ghazipur mandi during lockdown..jpeg

लॉकडाउन के दौरान ग़ाज़ीपुर मंडी का हाल। फोटो : अमित पांडेय

अमित के पॉलीहाउस से फूल दिल्ली में ग़ाज़ीपुर की मंडी में भेजे जाते हैं। ग़ाज़ीपुर मंडी एशिया की सबसे बड़ी फूल मंडी कही जाती है। वह कहते हैं “इस समय मंडी से फूल की जो मांग आ रही है, उसकी कीमत 1-2 रुपए प्रति स्टिक है। इतनी कम कीमत के लिए किसान क्या फूल उगाएगा। मैंने अगस्त में पॉलीहाउस खाली कर दिया। फूलों को सड़क पर फेंकना पड़ा। गायों के आगे डालना पड़ा”।

अमित को अभी बैंक का लोन चुकाना है। फूलों की खेती पर सरकार द्वारा दी गई सब्सिडी भी तभी मिलेगी जब लोन पूरा हो जमा हो जाए। वह कहते हैं कि अगले कुछ महीनों तक तो हालात सामान्य होने की उम्मीद नहीं है।

INFO of loss to flower farmers1.jpg

पॉलीहाउस बंद, लाखों का नुकसान

देहरादून के विकासनगर में उद्यान केंद्र के प्रभारी इंदुभूषण कुमोला कहते हैं “लॉकडाउन में फूलों का सारा काम चौपट हो गया। बहुत से लोगों ने अपने पॉलीहाउस बंद कर दिए। लोगों को लाखों का नुकसान हुआ। स्थिति सामान्य होने तक फूलों का कारोबार नहीं हो पाएगा। फूलों के किसान बेरोजगार हो गए हैं। ये सभी मध्यम श्रेणी के किसान हैं। कुछ लोगों ने पॉली हाउस में शिमला मिर्च लगाए हैं”।

INFO of loss to flower farmers2.jpg

कमेटी बनी, मदद नहीं मिली

देहरादून में मुख्य उद्यान अधिकारी मीनाक्षी जोशी ने बताया, “फूलों की खेती करने वाले किसानों को हुए नुकसान का आकलन किया गया है। शासन स्तर पर इसके लिए एक कमेटी भी बनी। लेकिन अभी फूलों का कारोबार करने वाले किसानों को किसी तरह की मदद नहीं की जा सकी है। हम फूलों की खेती करने वाले किसानों को अब सब्जियां उगाने की सलाह दे रहे हैं”।

देहरादून में मुख्य उद्यान अधिकारी के कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक 22 मार्च से 3 मई तक देहरादून के 64 किसानों ने 10 हेक्टेअर क्षेत्र में गेंदा फूलों की खेती की। जिसमें उन्हें  5.3 लाख रुपये का नुकसान हुआ। ग्लेडोलियस की खेती करने वाले 33 किसानों को 22 मार्च से 3 मई तक 61.5 लाख रुपये का नुकसान हुआ। गुलाब की खेती करने वाले 8 किसान को इस दौरान 54 लाख रुपये का नुकसान हुआ। जरबेरा की खेती करने वाले 32 किसानों को दो करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। कार्नेशन की खेती करने वाले 7 किसानों को 17 लाख से अधिक का नुकसान हुआ। लिलियम की खेती में 2 किसानों को 2.64 लाख तक का नुकसान हुआ। 

तो लॉकडाउन की शुरुआत में मात्र 43 दिनों में फूलों की खेती करने वाले मध्यम श्रेणी के किसानों को लाखों का नुकसान झेलना पड़ा। अब भी फूलों का कारोबार बेहद कम है। इन किसानों के साथ इनके खेत में काम करने वाले खेतिहर मज़दूरों की आजीविका भी कोरोना में बुरी तरह प्रभावित हुई है। 

Uttrakhand
Dehradun
Flower Market
Lockdown
COVID-19
Flowers Farmer
farmer crises
economic crises

Trending

पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के ख़िलाफ़ संजुक्त मोर्चा ने कोलकाता में विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया 
आख़िर मिथुन ने दोबारा राजनीति में आने और दल बदल का फ़ैसला क्यों किया?
महिला दिवस विशेष: क्या तुम जानते हो/ पुरुष से भिन्न/ एक स्त्री का एकांत
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: सड़क से कोर्ट तक संघर्ष करती महिलाएं सत्ता को क्या संदेश दे रही हैं?
लखनऊ में महिला दिवस पर कोई रैली या सार्वजनिक सभा करने की इजाज़त नहीं!
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: क़ाफ़िला ये चल पड़ा है, अब न रुकने पाएगा...

Related Stories

चीन
पीपल्स डिस्पैच
चीन ने पश्चिम से आधारहीन प्रोपगैंडा रोकने का आग्रह किया, "पीपल्स वैक्सीन" का प्रस्ताव दिया
08 March 2021
शिनजियांग प्रांत में नरसंहार के आरोपों को "पूरी तरह से झूठ" बताकर खारिज करते हुए चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार 7 मार्च को कहा कि यह कुछ देशों
त्रिवेंद्र सिंह रावत
भाषा
नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रावत दिल्ली रवाना
08 March 2021
देहरादून: उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की बढ़ती अटकलों के बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सोमवार को दिल्ली रवाना हो गए।
कोरोना
न्यूज़क्लिक टीम
कोरोना अपडेट: देश में रोज़ाना हो रही एक्टिव केस में बढ़ोतरी 
08 March 2021
दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आज सोमवार, 8 मार्च को जारी आंकड़ों के अनुसार देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 18,599

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • Mithun Chakraborty
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आख़िर मिथुन ने दोबारा राजनीति में आने और दल बदल का फ़ैसला क्यों किया?
    08 Mar 2021
    तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने मिथुन चक्रवर्ती के बीजेपी में शामिल होने पर कुछ उनकी मजबूरी की ओर इशारा किया है। उन्होंने कहा कि अब मिथुन की कोई विश्वसनीयता नहीं है, ना ही लोगों के बीच…
  • चीन
    पीपल्स डिस्पैच
    चीन ने पश्चिम से आधारहीन प्रोपगैंडा रोकने का आग्रह किया, "पीपल्स वैक्सीन" का प्रस्ताव दिया
    08 Mar 2021
    चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मीडिया द्वारा फैलाए गए उइगुर अल्पसंख्यकों के नरसंहार के अफवाहों की आलोचना की।
  • cartoon
    आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: ...दो गज़ की दूरी, कैग के लिए भी ज़रूरी!
    08 Mar 2021
    कोरोना वायरस से बचाव के लिए दो गज़ दूरी का जो सुझाव या निर्देश था, लगता है उसे कैग ने भी बड़ी संज़ीदगी से निभाया है। वरना मनमोहन सरकार में हर रोज़ सुर्खियों में रहने वाला कैग मोदी सरकार में इतना…
  • राज्यसभा
    भाषा
    पेट्रोलियम उत्पादों की क़ीमतों में वृद्धि पर राज्यसभा में हंगामा, कांग्रेस ने दिया कार्य स्थगन प्रस्ताव
    08 Mar 2021
    नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे की ओर नियम 267 के तहत कार्यस्थगन नोटिस दिया, लेकिन सभापति ने इसे स्वीकार नहीं किया।
  • संसद
    भाषा
    महिला दिवस : संसद एवं विधानसभाओं में महिलाओं की संख्या बढ़ाने की राज्यसभा में उठी मांग
    08 Mar 2021
    राज्यसभा में सोमवार को महिला आरक्षण विधेयक पारित करने की मांग की गयी ताकि संसद तथा विधानसभाओं में महिला सदस्यों की संख्या बढ़ सके।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें