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महंगाई का एक और हमला: रोज़मर्रा की ज़रूरतों से जुड़े सामानों पर GST की दरें बढ़ीं

आटा, पनीर, दूध और दही सहित पैक, लेबल वाले खाद्य पदार्थों पर पांच प्रतिशत जीएसटी की दर लागू की गयी है। ब्रांडेड या अनब्रांडेड किसी भी तरह के पैकेज्ड सामान पर GST की पांच प्रतिशत दरें लागू होंगी। पहले केवल ब्रांडेड सामानों पर लागू होती थीं।
GST
Image courtesy : TOI

GST कॉउंसिल की 47वीं मीटिंग में GST दरों में बदलाव को लेकर कुछ फैसले लिए गए थे। यह फैसले आज से यानी 18 जुलाई से देश भर में लागू हो गए हैं। जहां GST की दरें बढ़ाई जा रही है, वह सामान निम्नवत है।

* आटा, पनीर, दूध और दही सहित पैक, लेबल वाले खाद्य पदार्थों पर पांच प्रतिशत जीएसटी की दर लागू की गयी है। ब्रांडेड या अनब्रांडेड किसी भी तरह के पैकेज्ड सामान पर GST की पांच प्रतिशत दरें लागू होंगी। पहले केवल ब्रांडेड सामानों पर लागू होती थी।

* 5,000 रुपये से अधिक के किराए वाले अस्पताल के कमरों पर 5 प्रतिशत के दर से GST देना पड़ेगा। ICU, ICCU, NICU से जुड़े रूम पर टैक्स नहीं लगाया जायेगा।

* टेट्रा पैक पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा।

* एटलस सहित मानचित्रों और चार्टों पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जाएगा।

* चेक जारी करने के लिए बैंकों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।

* प्रिंटिंग, राइटिंग, ड्रॉइंग इंक, कटिंग ब्लेड वाले चाकू, पेपर चाकू, पेंसिल शार्पनर, एलईडी लैंप, ड्राइंग और मार्किंग आउट इंस्ट्रूमेंट्स पर जीएसटी की दरें 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दी गयी हैं।

* सोलर वॉटर हीटर पर जीएसटी 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है ।

* सड़कों, पुलों, रेलवे, मेट्रो, कचड़े के ट्रीटमेंट प्लांट और श्मशान घाटों से जुड़े काम के कॉन्ट्रैक्ट पर जीएसटी मौजूदा 12 प्रतिशत से बढ़कर 18 प्रतिशत कर दिया गया है।

साफ़ दिखता है कि इनमें ज्यादातर वे शामिल हैं, जिन्हें हम सब अपने रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल करते हैं। कोई कह सकता है कि पैकेज्ड दाल, आटा, दूध, दही का इस्तेमाल अमीर लोग करते हैं। इसलिए गरीबों पर बोझ नहीं पड़ेगा। लेकिन यह सब भ्रम है। भारत में 25 हजार रुपये प्रति महीने से ज्यादा कमाने वाले कामगारों की सख्या महज 10 प्रतिशत है। 90 प्रतिशत 25 हजार से कम कमाते हैं। इनमे सबसे अधिक शहरों में रहते है। जहाँ अधिकतर किराने की दूकान पर दूध, दही, आटा, दाल पैकेट में ही मिलता है। यानी गरीबों पर बोझ डालने से जुड़ा सरकर ने एक और कदम लागू का कर दिया है। व्यापारियों के समूह ने भी सरकार को सुझाव दिया था कि जीवन की जरूरतों से जुडी आवशयक वस्तुओं भले ही वह ब्रांडेड या अनब्रांडेड किस भी तरह के सामान हो, उस पर GST नहीं लगाना चाहिए। इसका बोझ आम आदमी पर पड़ेगा। छोटे और लघु उद्योग पर असर पड़ेगा।

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