‘सेंगोल’ पर भाजपा का ‘फ़र्ज़ी’ दावा बेनकाब हुआ: रमेश
भारत की नई संसद में ‘सेंगोल’ की स्थापना के बाद से ही इसे लेकर चर्चा और विवाद जारी है। जहां भाजपा सेंगोल को लेकर कांग्रेस पर लगातार यह आरोप लगा रही है कि कांग्रेस ने इस ‘राजदंड’ की उपेक्षा की है वहीं कांग्रेस के अपने तर्क हैं और वह भाजपा के दावों को बेबुनियाद बता रही है। आपको बता दें नई संसद के उद्घाटन को लेकर भी कांग्रेस ने भाजपा की तीखी आलोचना की थी।
सेंगोल को लेकर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने तमिलनाडु के एक मठ के प्रमुख के साक्षात्कार का हवाला देते हुए शुक्रवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी का यह ‘फ़र्ज़ी’ दावा बेनकाब हो गया है कि ब्रिटिश शासन ने सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर राजदंड (सेंगोल) देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा था।
रमेश ने एक अंग्रेज़ी दैनिक में प्रकाशित थिरुवावदुथुरै अधीनम मठ के प्रमुख के साक्षात्कार उल्लेख किया और कहा कि जब नेहरू को राजदंड भेंट किया गया था तो उस समय न तो लॉर्ड माउंटबेटन और न ही चक्रवर्ती राजगोपालचारी मौजूद थे। नेहरू को उनके आवास पर 14 अगस्त, 1947 को यह राजदंड सौंपा गया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 28 मई को संसद के नए भवन के उद्घाटन के मौके पर इस राजदंड को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के निकट स्थापित किया।
संसद में इसे स्थापित किए जाने से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने पवित्र राजदंड को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उपहार में दी गई ‘सोने की छड़ी’ कहकर उसे संग्रहालय में रख दिया और हिंदू परंपराओं की अवहेलना की।
रमेश ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘‘थिरुवावदुथुरै अधीनम के प्रमुख ने ‘द हिंदू’ से जो कहा है उससे भाजपा का ‘फेक फैक्ट्री’ वाला रुख बेनकाब हो गया है। (राजदंड सौंपे जाने के समय) न लॉर्ड माउंबेटन थे, न राजगोपालाचारी जी थे। यह 14 अगस्त, 1947 को सत्ता हस्तांतरण का हिस्सा नहीं था। परंतु यह बात सही है कि राजदंड नेहरू को सौंपा गया था और यह बात मैं लंबे समय से कहते आ रहा हूं।’’
जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए लिखा, “आज के राजा और उनके ड्रमबीटर्स के झूठ को नाकाम करने के लिए कुछ और तथ्य:
1. 29 अगस्त 1947 के द हिंदू अखबार के पेज नंबर 10 में, 14 अगस्त 1947 को रात 10 बजे नेहरू को उनके आवास पर गोल्डन राजदंड प्रस्तुत करने को लेकर एक विज्ञापन है। यह स्पष्ट रूप से स्वयं थिरुवावदुथुरै अधीनम की एक पहल थी।
2. सबसे नीचे की तस्वीर में प्रसिद्ध नागास्वरम टी.एन. राजरत्नम पिल्लई को चिह्नित किया गया है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की एक वेबसाइट पर एक लेख में उनके बारे में कहा गया है: जब भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई, तो राजरत्नम को तिरुवदुतुरई मतम के पंडारसन्धि द्वारा दिल्ली भेजा गया ताकि उनकी ओर से ठोस सोने की सेगोल (नेक प्रशासन का प्रतीक) की गदा भेंट की जा सके। राजारत्नम इस गौरवपूर्ण विशेषाधिकार से रोमांचित थे। डॉ. पी. सुब्बारायण ने ही उन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलवाया था, जिन्हें गदा सौंपने से पहले राजरत्नम ने नागास्वरम बजाया था।
माउंटबेटन और यहां तक कि राजा जी का भी कोई उल्लेख नहीं है।”
So the BJP's FakeFactory stands exposed today by none other than the revered head Swamigal of the Thiruvavaduthurai Adheenam himself in The Hindu. No Mountbatten, No Rajaji, No part in OFFICIAL transfer of power on August 14th 1947. But yes the majestic Sengol was indeed… pic.twitter.com/OKRXBYZg7o
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 9, 2023
(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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