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बनारस: पीएम मोदी के गोद लिए गांव 'नागेपुर' समेत पूरे बनारस में पहलवानों के समर्थन में तेज़ हुई आवाज़!

"डबल इंजन की सरकार आरोपी बृजभूषण शरण सिंह को सिर्फ़ अपने राजनैतिक फ़ायदे के लिए संरक्षण दे रही है। बेटियों पर लगातार हो रहे अत्याचार के बावजूद सरकार चुप है।"
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उत्तर प्रदेश के बनारस में दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलनरत महिला पहलवानों के समर्थन में आंदोलन तेज हो गया है। बनारस पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। महिला पहलवानों के समर्थन में और पुलिसिया कार्रवाई के खिलाफ बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर के पास, अंबेडकर पार्क और नागेपुर में बड़ी तादाद में महिलाओं ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया। इस बीच बनारस से कई जनवादी महिला संगठनों के लोग दिल्ली पहुंचकर आंदोलन-प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं। किसानों का एक जत्था संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आंदोलन-प्रदर्शन में शामिल होने के लिए रविवार को दिल्ली के लिए कूच करेगा।

दिल्ली के जंतर-मंतर पर 23 अप्रैल से, कुश्ती में देश के लिए मेडल जीतने वाली, महिला पहलवान धरने पर बैठी हैं। इनका आरोप है कि भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद काबिज़ बृजभूषण शरण सिंह ने कई नाबालिग खिलाड़ियों का यौन उत्पीड़न, शोषण और उनके साथ दुराचार किया। बृजभूषण लंबे समय से बीजेपी के सांसद हैं। आरोप है कि एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पुलिस चुप है। इस मुद्दे को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलनरत महिला पहलवानों के समर्थन में बनारस से तेज आवाज उठने लगी है। 05 और 06 मई को कई स्थानों पर महिला पहलवानों के समर्थन में धरना-प्रदर्शन हुआ।

नागेपुर में धरना-प्रदर्शन

पीएम नरेंद्र मोदी के गोद लिए आदर्श गांव नागेपुर में महिला खिलाड़ियों के समर्थन में लोक समिति के कार्यकर्ताओं ने धरना दिया। प्रदर्शनकारियों ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग उठाई। मोदी सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए। लोक समिति आश्रम में एकत्र महिलाओं ने कहा कि तमाम साक्ष्य होने के बावजूद कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ एक्शन लेने के बजाय केंद्र सरकार उन्हें बचाने में लगी है।

समिति के संयोजक नन्दलाल मास्टर ने आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ''अपने देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी सुरक्षित नहीं हैं तो ग्रामीण स्तर पर खेल रही महिला खिलाड़ियों का भविष्य क्या होगा? प्रधानमंत्री ही नहीं, मुख्यमंत्री को भी इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और तत्काल ब्रजभूषण शरण को गिरफ्तार कर लेना चाहिए।'' 

विश्वनाथ मंदिर के पास प्रदर्शन 

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) स्थित विश्वनाथ मंदिर (वीटी) के पास भगत सिंह स्टूडेंट मोर्चा ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान छात्र-छात्राओं ने सरकार से महिला पहलवानों के लिए न्याय की मांग की। इससे पहले जनवादी महिला संगठनों ने कई दिनों तक गंगा के घाटों पर हस्ताक्षर अभियान चलाया और कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन किया।

भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के आह्वान पर आयोजित प्रदर्शन में बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर के पास आंदोलनकारियों ने महिला पहलवानों के लिए न्याय की गुहार लगाई। स्टूडेंट्स, सिद्धि बिस्मिल व आदर्श ने बृजभूषण शरण सिंह की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग उठाते हुए कहा, ''कुश्ती संघ के मुखिया को जब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा तब तक हम निष्पक्ष जांच की मांग करते रहेंगे। पुलिस को बृजभूषण शरण सिंह को तत्काल गिरफ्तार कर लेना चाहिए, लेकिन वह पहलवानों का दमन करने पर उतारू है।''

देश की न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उमेश ने कहा, ''हमारे यहां दो तरह की न्यायिक प्रणाली हैं। एक आम जनता के लिए और दूसरी उन लोगों के लिए जो आर्थिक व राजनीतिक रूप से काफी शक्तिशाली हैं।''

देश के प्रबुद्ध नागरिकों को झूठे मामलों में फंसाए जाने का मुद्दा उठाते हुए विनय और काजल ने कहा, ''एक तरफ अपराधियों को संरक्षण दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ निर्दोष लोगों को सज़ा। डबल इंजन की सरकार आरोपी बृजभूषण शरण सिंह को सिर्फ अपने राजनैतिक फायदे के लिए संरक्षण दे रही है। बेटियों पर लगातार हो रहे अत्याचार के बावजूद सरकार चुप है।''

कार्यक्रम के आखिर में इप्शिता ने कहा, ''बृजभूषण शहर सिंह एक सामंती व्यक्ति है, जिसके खिलाफ हत्या और हिंसा के कई मामले दर्ज हैं। इसके बावजूद पुलिस उसे गिरफ्तार करने में हीला-हवाली कर रही है।'' इस मौके पर भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के सदस्यों ने नारीवादी मुद्दों पर आधारित गीत गाए। साथ ही महिला पहलवानों के लिए न्याय की अपील की। आंदोलन में शामिल छात्र-छात्राओं ने मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि हम सभी महिला पहलवानों के साथ हैं और आखिरी सांस तक उन्हें समर्थन देते रहेंगे।

'दख़ल' ने दिया धरना

दूसरी ओर, नारीवादी संगठन 'दख़ल' ने बनारस के कचहरी स्थित अंबेडकर पार्क कचहरी पर महिला पहलवानों के समर्थन में धरना दिया, हस्ताक्षर अभियान चलाया और बाद में पीएम नरेंद्र मोदी को संबोधित पांच सूत्री मांग-पत्र भी सौंपा। इस दौरान यौन उत्पीड़न की घटनाओं से संबंधित पर्चा भी बांटा गया।

पहल संगठन के आंदोलन में शामिल महिलाएं अपने हाथों में तख्तियां ली हुई थीं, जिसमें महिला हिंसा बंद करो, तोड़ो-तोड़ो चुप्पी तोड़ो, खिलाड़ियों को खेलने दो, कुश्ती बचाओ-कुश्ती बढ़ाओ, खेल संघो में दखलंदाजी बंद करो, खिलाड़ी एकता-ज़िंदाबाद आदि नारे लिखे थे। काफी देर तक आंदोलन-प्रदर्शन के बाद अंबेडकर प्रतिमा के समक्ष आयोजित आंदोलन में वक्ताओं ने कहा, ''पीएम नरेंद्र मोदी की चुप्पी पहलवानों को डरा रही है। समझ में यह नहीं आ रहा है कि सरकार आपराधिक छवि वाले और संगीन आरोप झेल रहे नेता के खिलाफ एक्शन लेने में ढीला बर्ताव क्यों कर रही है? महिला पहलवानों द्वारा लगाये गए आरोप सामान्य नहीं हैं। आरोप ऐसे हैं कि किसी भी संवेदनशील इंसान का दिल दहल उठे और किसी भी देशभक्त का सिर शर्म से झुक जाए।''

वक्ताओं ने आरोप लगाते हुए कहा,  ''महिला पहलवानों के यौन शोषण में सिर्फ बृजभूषण शरण ही नहीं, कुश्ती फेडरेशन के कई कोच भी शामिल हैं। तमाम नाबालिक बच्चियां इनकी शिकार हुई हैं। दो साल पहले खुद साक्षी मलिक ने पीएम नरेंद्र मोदी से बृजभूषण की शिकायत की थी। इनके खिलाफ हत्या और यौन अपराध के कई मामले दर्ज हैं। पिछले साल उन्होंने एक न्यूज़ पोर्टल के समक्ष स्वीकारते हुए कहा था कि मेरे जीवन में मेरे हाथ से एक हत्या हुई है, लोग जो कुछ भी कहें, मैंने एक हत्या की है। हाथरस, कठुआ उन्नाव या गुजरात की बिलकिस बानो जैसी घटनाओं पर मोदी सरकार चुप्पी साधे हुए है। ‘बेटी बचाओ’ का नारा देने वाली बीजेपी की चुप्पी समझ से परे है।''

धरनास्थल पर प्रेरणा कला मंच वाराणसी के ओर से नारीवादी चेतना के गीत गाए गए और जमकर नारेबाजी की गई। दख़ल संगठन की ओर से पीएम को संबोधित ज्ञापन में कहा गया है कि, "बृजभूषण शरण सिंह को भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से हटाया जाए। पॉस्को एक्ट सहित यौन शोषण की अन्य गंभीर धाराओं में दबंग बीजेपी सांसद को तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए। समूचे मामले की न्यायिक जांच कराई जाए। साथ ही शिकायत करने वाली महिला पहलवानों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। खेल संघों में आईसीसी (आंतरिक जांच समिति) का अनिवार्य रूप से गठन किया जाए। खेल संघों में राजनीतिक दखलंदाजी बंद हो और मुख्य कार्यकारी पदों पर सिर्फ खिलाड़िय़ों की ही तैनाती की जाए।"

आंदोलन-प्रदर्शन में मैत्री, रैनी, शिवांगी, दीक्षा, शबनम, सना, रंजू, झूला, राजेश, अनुज, शानिया, एकता, जागृति, मुनिजा, डॉ. आरिफ, वल्लभाचार्य पांडेय, रवि, धन्नजय, मुस्तफा, अनूप श्रमिक, मुकेश, महेंद्र समेत बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद थीं। कार्यक्रम का संचालन इंदु पांडेय ने किया।

हस्ताक्षर अभियान

इससे पहले ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर के पास हस्ताक्षर अभियान चलाया। इस दौरान कुछ छात्रों ने खून से हस्ताक्षर किए। इन छात्रों ने बीजेपी सांसद बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग उठाई और सरकार विरोधी नारे लगाए। उन्होंने कहा कि "अपराधियों, दंगाइयों और बलात्कारियों को बचाना मोदी सरकार की राजनीति का हिस्सा है। कठुवा, उन्नाव से लेकर गुजरात तक इसके उदाहरण देखे जा सकते हैं। किसानों को कुचलने का मामला हो या सरेआम दंगे भड़काने वाले मंत्री विधायक हों, उन्हें मोदी सरकार का खुला संरक्षण प्राप्त है। देश के अधिकतर बड़े पदों पर महिला विरोधी मानसिकता वालों को बैठाया गया है। ऐसी घटनाएं महिलाओं को हाशिए पर ले जाएंगी और उनकी भागीदारी सार्वजनिक क्षेत्र में घटा देंगी।"

इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा ने आठ मई को दिल्ली के जंतर-मंतर कूच करने का आह्वान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े वल्लभाचार्य पांडेय ने कहा, ''तीन मई की रात दिल्ली पुलिस ने महिला पहलवानों के साथ धक्का-मुक्की, मारपीट, बदतमीजी और गाली-गलौज किया। आंदोलनकारियों को समर्थन देने जा रहे सैंकड़ों किसानों को हिरासत में लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन किया गया। देश भर के चालीस से अधिक किसान संगठनों के लोग दिल्ली के जंतर-मंतर पर जाएंगे और समर्थन देंगे। बेटियों पर हो रहे अत्याचार पर सरकार चुप नहीं बैठेगी।''

सीपीआई(एम) प्रदेश महासचिव डॉ. हीरालाल ने ''न्यूज़क्लिक'' के लिए कहा, ''डबल इंजन की सरकार जनविरोधी और महिला विरोधी है। उसे इंसान की इज्जत और जिंदगी से कोई मतलब नहीं है। उसे सिर्फ सत्ता चाहिए। महिला पहलवानों को बीजेपी सांसद बृजभूषण ने इस कदर प्रताड़ित किया कि वे अपने मेडल और अवार्ड लौटाने पर विवश हो गए हैं। बीजेपी  के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है? सच्चाई यह है कि बीजेपी इन दिनों औरतों के जीवन-जीविका पर जबर्दस्त हमला बोल रही है। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नाम रौशन करने वाले तमाम पहलवान कई दिनों से जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि सरकार यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने वाली निगरानी समिति के निष्कर्षों को सार्वजनिक करे, लेकिन वो खामोश है।''

(लेखक बनारस स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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