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बंगाल चुनाव: सितालकुची गोलीबारी घटना को सांप्रदायिक रंग देने की भाजपा की कोशिश पर चुनाव आयोग की चुप्पी  

इस बारे में सीपीआई(एम) नेता मोहम्मद सलीम सवाल करते हैं कि आखिर किसके निर्देश के तहत केन्द्रीय बल का संचालन किया जा रहा था, केंद्र अथवा चुनाव आयोग के?
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चित्र साभार: फर्स्टपोस्ट

कोलकाता: कूच बिहार जिले में जहाँ पर हाल ही में चुनावों के दौरान केन्द्रीय बल द्वारा गोलीबारी में 4 लोगों की मौत हो गई थी, पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष ने इस घटना के बाद कहा था कि “अगर ज्यादतदी जारी रही तो ऐसे कई और सितालकुचीयों के होने की संभावना है। शरारती लड़कों को गोलियां लगीं हैं, हम सीआरपीएफ को कहेंगे कि छाती पर निशाना मारो, पांव पर नहीं...।”

अब चूँकि मारे गए सभी लोग मुस्लिम समुदाय से हैं, ऐसे में भाजपा ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग देना शुरू कर दिया है। उसका कहना है कि यह सब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) द्वारा संचालित राज्य सरकार की “अल्पसंख्यक तुष्टीकरण” राजनीति का नतीजा है।

पठानतुली की घटना में एक 18 वर्षीय मतदाता की भी कथित रूप से गोली लगने से मौत हो गई थी, जबकि वह अपना वोट डालने के लिए कतार में खड़ा था। यद्यपि दोनों घटनाओं का आपस में कोई संबंध नहीं है, लेकिन इसके बावजूद गृहमंत्री एवं भाजपा नेता अमित शाह ने एक रैली के दौरान दो अलग-अलग घटनाओं को आपस में जोडने की कोशिश की। उनके द्वारा आग में घी डालते हुए कथित रूप से यह कहा गया कि पहले पहल एक युवक को गोली मारी गई, जिसके बाद अल्पसंख्यक समुदाय के 4 लोग गोलीबारी में मारे गए।

इस बीच रविवार को चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सभी राजनेताओं को अगले 72 घंटों तक के लिए सितालकुची जाने पर रोक लगा दी है। चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए बनर्जी ने जवाबी हमला करते हुए कहा है कि चुनाव आचार संहिता यहाँ पर ‘मोदी आचार संहिता’ बन गई है।

कोलकाता में एक संवावदाता सम्मेलन में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता मोहम्मद सलीम ने भी पश्चिम बंगाल में भाजपा द्वारा की जा रही “विभाजन एवं ध्रुवीकरण की राजनीति” के खिलाफ अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की है।

सलीम ने सवाल खड़े किये हैं कि आखिर किसके निर्देश के तहत केन्द्रीय बल का संचालन चल रहा है, केंद्र की निगरानी के तहत या चुनाव आयोग के?

सीपीआई(एम) नेता ने चुनाव आयोग द्वारा चुनावों के दौरान शांति काल को बढाये जाने के फैसले को लेकर भी कटाक्ष किया और पूछा है कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और राज्य की मुख्यमंत्री को कौन चुप करायेगा? उन्होंने कहा “सबसे पहले, चुनाव आयोग को इन लोगों को चुप कराने की कोशिश करनी चाहिए।”

सलीम ने इन तीनों पर “भड़काऊ भाषणों के जरिये मतदातों को उकसाने” का आरोप लगाया, और कहा कि एक तरफ चुनाव आयोग प्रचार अभियान की अवधि को कम करने की बात करता है, जबकि वहीँ दूसरी तरफ प्रधान मंत्री, गृह मंत्री और मुख्य मंत्री टेलीविजन चैनलों पर लगातार भाषणबाजी कर रहे हैं।

सलीम ने सितालकूची हादसे के आलोक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और गृह मंत्री अमित शाह से भी अपने पद से इस्तीफ़ा देने की मांग की है। 

सीपीआई(एम) के पोलित ब्यूरो नेता ने सितालकुची में हुई गोलीबारी की घटना में शामिल बटालियन को भी वहां से हटाने की मांग करने के साथ-साथ इस घटना की न्यायिक जांच और मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिए जाने की भी मांग की है। उन्होंने दावा किया कि चूँकि संजुक्त मोर्चा जमीन पर मजबूती हासिल करता जा रहा था, जिसे देखते हुए टीएमसी और भाजपा ने इन चरणों में हिंसा का सहारा लेना शुरू कर दिया है।

जोर पताकी के 5/126 बूथ में आखिर क्या हुआ था 

घटना के समय मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, 10 अप्रैल को सुबह से ही मतदान के दिन, न सिर्फ इस बूथ पर बल्कि इस इलाके के आस-पास के सभी बूथों पर भारी तनाव का माहौल बना हुआ था। सुबह 9 बजे के आसपास पहली शिकायत दर्ज की गई थी, क्योंकि टीएमसी समर्थक अन्य पोलिंग एजेंटों को बूथ पर नहीं बैठने दे रहे थे, और यहाँ तक कि मतदाताओं तक को कथित तौर पर डराया-धमकाया जा रहा था।

विभागीय कार्यालय ने इस बारे में सूचना प्राप्त करने के बाद इसे क्विक रिस्पांस टीम (क्यूआरटी) के पास भेज दिया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जिस इलाके में मतदाताओं को कथित तौर पर डराया-धमकाया जा रहा था, वह बूथ से थोड़ी ही दूरी पर एक चौराहे पर किया जा रहा था। इसी बीच में केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) का लोगों के साथ चूहा-बिल्ली का खेल शुरू हो गया, जिसके दौरान वहां पर लाठीचार्ज किया गया, जिसमें एक युवक मृणाल इस्लाम घायल हो गया, और क्यूआरटी द्वारा उसे अस्पताल ले जाया गया।

घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि इसके बाद कुछ उपद्रवियों ने एक सीआईएसएफ के वाहन को तोड़ डाला, जिसके बाद सीआईएसएफ ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हवा में गोलियां चलाईं। इस घटना के तकरीबन एक घंटे बाद करीब 150 गुस्साए ग्रामीणों ने सीआईएसएफ जवानों को घेर लिया, जिन्होंने उन्हें तितर-बितर करने के लिए हवा में दो राउंड गोलियां चलाईं, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने 15 राउंड (जैसा कि पुलिस पर्यवेक्षक अश्विनी कुमार ने चुनाव आयोग के समक्ष पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा है) गोलियां चलाईं। हालाँकि इस बूथ के पीठासीन अधिकारी अब्दुल मिंया के कथनानुसार उन्होंने इस घटना के दौरान पुलिस फायरिंग के आदेश नहीं दिए थे।

यहाँ पर यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि पिछले एक साल से टीएमसी और भाजपा द्वारा खेली जा रही प्रतिस्पर्धी सांप्रदायिक राजनीति के चलते सितालकूची का इलाका पूरी तरह से ध्रुवीकृत हो चुका है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

Bengal Elections: EC Mum as BJP Tries to Communalise Sitalkuchi Firing Incident

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