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भाजपा और तृणमूल के बीच फंसा बंगाल, धर्म और बदले की राजनीति तेज़

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में स्कूल शिक्षक, उनकी पत्नी और नाबालिग बेटे की नृशंसा हत्या ने राजनीतिक रंग ले लिया है। भाजपा ने बंगाल की स्थिति से अवगत कराने के नाम पर गृहमंत्री और राष्ट्रपति से समय भी मांगा है।
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फोटो साभार : एनडीटीवी 

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में स्कूल शिक्षक, उनकी पत्नी और नाबालिग बेटे की नृशंसा हत्या ने राजनीतिक रंग ले लिया है। आरएसएस ने शिक्षक को संघ का समर्थक बताया है। इसी के साथ भारतीय जनता पार्टी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी कानून व्यवस्था का सवाल उठाते हुए राज्य की ममता बनर्जी सरकार को निशाने पर लिया है। भाजपा ने बंगाल की स्थिति से अवगत कराने के नाम पर गृहमंत्री और राष्ट्रपति से समय भी मांगा है।

भाजपा के महासचिव और पश्चिम बंगाल में पार्टी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने शुक्रवार को पीटीआई-भाषा से कहा, “हमने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से बंगाल में बदतर होती कानून-व्यवस्था से उन्हें अवगत कराने के लिए समय मांगा है। दिन-दहाड़े लोगों की हत्या की जा रही है।”

भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी राज्य में पिछले दो साल में मारे गए 80 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं के ब्योरे के साथ एक ज्ञापन तैयार करेगी।

आपको बता दें कि शिक्षक बंधु प्रकाश पाल (35), उनकी गर्भवती पत्नी ब्यूटी और आठ वर्षीय बेटे आंगन के शव मंगलवार को मुर्शिदाबाद के जियागंज में उनके घर में रक्तरंजित अवस्था में मिले थे। उस समय दुर्गा पूजा चल रही थी।

इस घटना पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा है कि यह घटना “मानवता को शर्मसार” करने वाली है। उन्होंने इस चूक के लिए राज्य सरकार की आलोचना की।

राज्यपाल ने पीटीआई से कहा कि उन्होंने राज्य सरकार से घटना पर तत्काल रिपोर्ट देने को कहा है।

राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने पलटवार करते हुए धनखड़ पर चुनिंदा तरीके से बोलने का आरोप लगाया और कहा कि वह जिस तरह से बात कह रहे हैं, किसी राज्यपाल को शोभा नहीं देता।

उधर पुलिस के अनुसार उसे एक डायरी का पन्ना मिला है जिसमें दंपती के बीच तनावपूर्ण रिश्तों की बात सामने आ रही है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने पीटीआई से कहा, ‘‘जांच जारी है। हम हर कोण से जांच कर रहे हैं। लेकिन हमें इस तरह का कोई साक्ष्य नहीं मिला है कि वह किसी संगठन या राजनीतिक दल के सदस्य या समर्थक थे या नहीं।’’

इसके अलावा भाजपा ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि दक्षिण 24 परगना जिले में उसके एक कार्यकर्ता के ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को लेकर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उस पर गोली चला दी, जिसमें वह घायल हो गया। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस इस आरोप को खारिज कर दिया है। उसका कहना है कि यह हमला भाजपा की अंदरूनी कलह का नतीजा है।

पुलिस ने कहा कि रामप्रसाद मंडल नाम के व्यक्ति के पैर में गोली मारी गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल इस समय धर्म की राजनीति की आग में बुरी तरह तप रहा है। एक तरफ़ भारतीय जनता पार्टी किसी भी तरह सत्ता हासिल करना चाहती है, तो दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस किसी भी तरह सत्ता कायम रखना चाहती है।

केंद्र भी बंगाल को लेकर पूरी तरह सक्रिय है। केंद्रीय मंत्री किसी भी मामले में गंभीर रुख रखने की बजाय देश के उदारवादी तबके को निशाना बनाने का बहाना ढूंढ रहे हैं। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ।

कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में आरएसएस कार्यकर्ता, उनकी पत्नी और बच्चे की हत्या के बर्बर कृत्य की कड़ी निंदा करता हूं। आशा करता हूं कि उदारवादी भले ही इस नृशंस हत्याकांड की सीधे निंदा न करें, लेकिन उन्हें यह इतना भयंकर तो लगेगा कि वे पीड़ित परिवार के साथ सहानूभुति रखेंगे।’’

आपको मालूम है कि देशभर के 49 जाने-माने लोगों ने जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देश में मॉब लिंचिंग (भीड़ हत्या) की घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। जिसको लेकर उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा तक दर्ज कर लिया गया था, जिसे जन दबाव के चलते अब वापस लिया गया है। कानून मंत्री ने इन हस्तियों पर कटाक्ष करके अपनी राजनीति तो साधने की कोशिश की, लेकिन ये स्पष्ट नहीं किया कि क्या इन लोगों ने प्रधानमंत्री को किसी एक घटना विशेष को लेकर पत्र लिखा था या इस पूरी स्थिति पर चिंता जताई थी, जिसका शिकार कथित तौर पर आरएसएस का कार्यकर्ता भी हुआ है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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