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बिहार : विधायकों से पूछे बिना मुख्यमंत्री ने निकाले उनके मद से दो करोड़ रुपए, माले विधायकों ने जताया  विरोध

विपक्ष ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर विधायक निधि को उनके क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाओं में खर्च किये जाने से रोके जाने का कड़ा विरोध जताया।
बिहार : विधयाकों से पूछे बिना मुख्यमंत्री ने निकाले उनके मद से दो करोड़ रुपए, माले विधायकों ने जताया  विरोध

बिहार विधान सभा के बजट सत्र 2021 के दौरान प्रस्तावित नए पुलिस बिल को जबरन पास कराये जाने का तीखा विरोध कर रहे सभी विपक्षी विधायकों को स्पीकर के जरिये बाहर से पुलिस बुलवाकर पिटवाये जाने के आरोप का सामना कर रहे मुख्यमंत्री एक बार फिर से विपक्ष के विधायकों के विरोध के निशाने पर आ गए हैं।

चंद दिनों पूर्व ही उनके द्वारा विधायक मद से दो-दो करोड़ रुपये की राशि जबरन निकाल लिए जाने और विधायकों को अपनी निधि क्षेत्र की स्वास्थय सुविधाओं में खर्च किये जाने से रोके जाने पर विपक्ष के सभी विधयक काफी आक्रोशित हैं। पिछले साल भी कोरोना से निपटने के नाम पर मुख्यमंत्री ने बिना उनकी अनुशंसा व अनुमति के 50-50  लाख रुपये निकाल लिए थे और बार बार हिसाब मांगे जाने के बावजूद मुख्यमंत्री आज तक कोई लेखा जोखा नहीं प्रस्तुत कर सके हैं।

इस बार फिर से मुख्यमंत्री द्वारा बिना विधायकों से कोई राय शुमारी के उनके मद से दो-दो करोड़ रूपये निकाले जाने के खिलाफ भाकपा माले के सभी 12 विधायकों ने 21 मई को राज्यव्यापी अनशन और भूख हड़ताल कर विरोध प्रदर्शित किया।

विधायक राशि के मनमाना अधिग्रहण और अपारदर्शी इस्तेमाल के खिलाफ प्रतिवाद कार्यक्रम के  माध्यम से उक्त विधायकों ने कोरोना आपदा के भयावह संकट की स्थिति में भी भाजपा–जदयू पर ओछी राजनीति कर विपक्ष के विधायकों की भूमिका सीमित करने का आरोप लगाया है। साथ ही कहा है कि बिहार में महामारी संक्रमण के शुरुआत के समय से ही प्रदेश की लचर स्वास्थय व्यवस्था को फ़ौरन दुरुस्त करने की बार-बार मांग उठाने और अत्यावश्यक सुझाव देने के बावजूद सरकार लापरवाह बनी रही। अब झूठी सक्रियता दिखाकर मुख्यमंत्री ने माननीय विधायकों / पार्षदों से बिना किसी बातचीत के बेहद अलोकतांत्रिक तरीके से वित्तीय वर्ष 2020 – 21 के विकास मद से दो-दो करोड़ की राशि जबरन अधिग्रहित करने की मनमानी कर रहें हैं। आन्दोलनकारी माले विधायकों ने यह मांग भी उठाई है कि इस राशि का कम से कम 50 % हिस्से को सभी जनप्रतिनिधियों के क्षेत्रों में जनता की स्वास्थय सेवाओं को उन्नत करने में खर्च किया जाय तथा उक्त राशि आवंटन की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनायी जाय। इसके लिए सभी विधायकों / पार्षदों की सहमती व उनके सुझावों को प्राथमिक महत्व दिया जाय। 

विधायक प्रतिवाद अभियान का नेतृत्व करते हुए माले विधायक दल नेता व बलरामपुर विधायक महबूब आलम ने बारसोई में अनशन पर बैठकर मीडिया से जारी बयान में कहा है कि आज पूरे देश और बिहार की जनता ने खुली आँखों से देख लिया कि किस तरह से केंद्र व राज्यों में सत्ताशीन भाजपा – जदयू सरकारें कोरोना महामारी से मुकाबले में पूरी तरह से फेल साबित हुई हैं। संक्रमण के दूसरी लहर ने गांवों को भी भयावह चपेट में ले लिया है। गंगा से लेकर गावों में लाशों की कतारें इन सरकारों के मानवहंता और जनविरोधी चरित्र को हर दिन उजागर कर रही हैं। सरकार की आपराधिक लापरवाही के कारण पूर्व से ही लचर स्वास्थय व्यवस्था महामारी संक्रमण के आगे पूरी तरह से ध्वस्त साबित होकर एक एक साँस के लिए जनता को तड़पा-तड़पा कर मार रही है। फिर भी पूरी बेशर्मी से हर दिन झूठा रिकवरी रेट प्रचारित कर समय पर जाँच व समुचित इलाज़ के अभाव में मर रहे लोगों के सही आंकड़े छुपाने का घिनौना खेल जारी  है। कितना दुर्भाग्यपूर्ण है ऐसे संगीन हालात में भी लोगों की जान बचाने की फ़िक्र छोड़ कर प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद विधायक मद की जिस राशि को  क्षेत्र की जनता के स्वास्थय मामलों के समाधान में खर्च होना था, कोरोना के नाम पर उसे हड़पने में लिप्त हैं। 

राजधानी  पटना स्थित माले विधायक दल मुख्यालय में भूख हड़ताल पर बैठे खेत मजदूर नेता व फुलवारी शरीफ विधायक गोपाल रविदास व पालीगंज युवा विधायक संदीप सौरभ ने मीडिया से कहा कि हमारी आपत्ति इस बात से नहीं है कि मुख्यमंत्री और भाजपा जदयू सरकार ने विधायक मद के दो-दो करोड़ रुपये  जबरन ले लिया है,  बल्कि आपत्ति इस बात पर है कि इसके लिए किसी भी विधायक से कोई राय शुमारी नहीं की गयी। पिछली बार भी ऐसे ही बिना कुछ पूछे 50-50 लाख रुपये की जबरन निकासी कर ली गयी थी। लेकिन हम लोगों के बार-बार मांग उठाये जाने के बावजूद आज तक उसका कोई हिसाब नहीं दिया गया है। हम लोगों ने कोरोना महामरी से जूझ रही अपने क्षेत्रों की जनता के ज़रूरी इलाज़ के लिए जीर्ण शीर्ण अवस्था में पड़े सभी स्थानीय अस्पतालों की हालत तत्काल दुरुस्त करने के ज़रूरी उपायों के लिए अपने विधायक मद की राशि खर्च करने की अनुशंसा की है। ताकि वहां डॉक्टर-नर्स व स्वस्थ्यकर्मियों की उपलब्धता से लेकर ऑक्सिजन बेड वेंटिलेटर और सभी आवश्यक दावों व चिकित्सीय उपकरणों की ज़ल्द से ज़ल्द उपलब्धता हो। लेकिन सरकार उसमें अडंगा डालने के लिए अपने पूरे स्वस्थ्य महकमा व प्रशासन को सुस्त बनाये हुए है।

माले विधायक गोपाल रविदास ने सरकार पर आरोप लगाया है कि जब ऑक्सिजन संकट की भयावह स्थितयों को देखकर ही उन्होंने जब अपने क्षेत्र फुलवारीशरीफ में तत्काल ऑक्सिजन प्लांट लगाने की अनुशंसा की तो सरकार ने उस पर सीधा रोक लगाते हुए कह दिया कि ऐसी अनुशंसा का प्रावधान ही नहीं है। यानि सरकार और उसके मंत्री-विधायक जो खुद तो समय ऑक्सिजन उपलब्धता कर लोगों की जानें बचाने के सवाल पर सीन से गायब रहे, लेकिन जब विपक्ष के विधायक लोगों की जान बचाने के लिए कुछ करना चाहते हैं तो उस पर रोक लगा दी जा रही है, ऐसे में सरकार और उसके सत्ताधारी दल बताएं कि विधायकों से लिया गए पैसों का क्या होना है?

माले विधायक दल उपनेता सत्यदेव राम ने सिवान के दरौली, सचेतक विधायक अरुण सिंह ने काराकाट के अलावा घोषी विधायक रामबली सिंह ने जहानाबाद, महानंद प्रसाद ने अरवल, सुदामा प्रसाद ने तरारी, मनोज मंजिल ने अगियाँव, अजित कुशवाहा ने डुमराँव, अमरजीत कुशवाहा ने मैरवां तथा वीरन्द्र गुप्ता ने सिकटा विधान सभा क्षेत्र मुख्यालयों पर अनशन / भूख हड़ताल में शामिल हुए।

ताज़ा सूचना के अनुसार 23 मई को विपक्षी महागठबंधन के नेताओं द्वारा मुख्यमंत्री को विशेष स्मार पत्र भेजकर कोविड अस्पतालों व कम्युनिटी किचेन के सर्वेक्षण से जनप्रतिनिधियों को रोके जाने को सरकार का अलोकतांत्रिक और जन विरोधी क़दम करार दिया है। 11 सूत्री स्मार पत्र में विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्त्ताओं के साथ सरकार के संवेदनहीन रवैये अपनाने और जन प्रतिनिधियों के साथ विभागों व प्रशासनिक अधिकारियों के असहिष्णु बर्ताव पर कड़ा विरोध जताया गया। साथ ही सरकार द्वारा विधायक मद कि राशि का जबरन अधिग्रहण किये जाने की भी तीखी निंदा करते हुए विधायक मद कि राशि को क्षेत्र विशेष की ज़रूरतों को चिन्हित कर राशि आबंटन की पूरी प्रक्रिया में विधायकों / पार्षदों कि सहभागिता / सलाह को सर्वोपरी बनाने की मांग की गयी। 

महागठबंधन नेताओं ने वेंटिलेटर, ऑक्सिजन और एम्बुलेंस की अद्यतन स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग उठाते हुए आरोप लगाया है कि पीएम केयर्स फंड के तहत हुए रद्दी वेंटिलेटर सप्लाई होने के कारण उनमें से अधिकांश बेकार साबित हो गए हैं। विगत 15 वर्षों में एमपी, एमएलए व एमएलसी व अन्य कोटे से ख़रीदे गए एम्बुलेंसों की ठोस जानकारी नहीं बतायी जा रही है। इसलिए सरकार पूरे मामले को प्रदेश की जनता के सामने रखे और महामारी की संभावित तीसरी लहर की कारगर तैयारी अभी से ही करे। ताकि जनता को फिर से जान देकर बर्बाद और बदहाल स्थितियों को न झेलना पड़े।

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