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बिहार: प्रदेश की जानलेवा स्वास्थ्य कुव्यवस्था से जूझते वामपंथी विधायक और विपक्ष को कोसने में मगन सत्ताधारी!

बिहार में उल्टा चल रहा है। इस संकट के समय में विपक्ष ख़ासकर वामपंथी सड़क पर हैं। अस्पताल-अस्पताल जाकर कोरोना पीड़ितों की मदद में जुटे हैं और सत्ताधारी ‘ऑल इज़ वैल’ कहते हुए विपक्षियों को कोसने में मगन हैं।
 कोरोना मरीज़ों की मदद के लिए जुटे माले विधायक मनोज मंजिल
 कोरोना मरीज़ों की मदद के लिए जुटे माले विधायक मनोज मंजिल

छुपाने के हर जतन के बावजूद ये बात अब छिप नहीं रही है कि अबकी बार कोरोना महामारी संक्रमण की त्रासद आपदा ने जहां देशहित का नारा लगाने वाली सरकारों की देश के नागरिक स्वास्थ्य से जुड़े हर मामले की ऐसी पोल खोली है कि कोई बहाना– जुमला लोगों को रास नहीं आ रहा।

जिसने एक एक सांस के लिए तड़पते लोगों और उनके परिजनों के आर्तनाद से बेपरवाह सत्ता– व्यवस्था के भी निर्दयी और संवेदनहीन चरित्र को पूरी तरह से उजागर कर दिया है। तब भी पड़ोसी राज्य झारखण्ड के विपक्ष में बैठी भाजपा के नेता समूह बंद कमरों में बैठकर हेमंत सोरेन सरकार की विफलता का राग छेड़ेने में मस्त हैं, लेकिन बिहार में अपनी सरकार की जानलेवा लचर स्वास्थ्य व्यवस्था पर पूरी तरह से मौन साधे हुए हैं। जिसे ज़मीन पर आईना दिखाने का काम कर रहें हैं प्रदेश के सारे वामपंथी और भाकपा माले के विधायक– कार्यकर्ता। इसी का एक उदाहरण जो इन दिनों सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा कि किस तरह से भाकपा माले विधायक मनोज मंजिल पिछले कई दिनों से राजधानी से सटे भोजपुर जिला मुख्यालय स्थित आरा सदर अस्पताल में पीड़ित जनों की जान बचाने में खुद संकेमित होने की परवाह किये बिना रात-दिन अपने साथी कार्यकर्ताओं के साथ जुटे हुए हैं।

कल ही इनकी अथक भाग दौड़ से सभी मरीजों की सुचारू ऑक्सिजन उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को इमरजेंसी वार्ड तक में पाइप लाइन से ऑक्सीजन सप्लाई व्यवस्था करने को मजबूर होना पड़ा है। साथ ही जीवन– मौत से जूझ रहे मरीजों की हालत से बेपरवाह प्रशासन और जिला स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर व अन्य चिकित्साकर्मियों को अपनी डयूटी पर तैनात रहना पड़ रहा है।

सनद हो कि 20 अप्रैल की देर रात मनोज मंजिल जीआरा सदर अस्पताल की स्थिति देखने – जानने अकेले ही पहुँच गए। देखा कि अस्पताल मरीजों से ठंसा पड़ा है और किसी भी वार्ड में कोई डॉक्टर और स्वस्थ्यकर्मी– अस्पताल स्टाफ मौजूद नहीं है। नज़ारा ऐसा कि कोविड संक्रमितों के विशेष वार्ड तक में मरीजों के परिजन ही ऑक्सीजन सिलिंडर लगाकर बैठे हुए थे। इस भयावह स्थिति को देख मनोज मंजिल अस्पताल परिसर में ही कुर्सी लगाकर बैठ गए और आधी रात में ही जिलाधिकारी को फोन लगाया जो काफी देर बाद रिसीव हुआ। अस्पताल की जानलेवा कुव्यवस्था– लापरवाही पर क्षोभ प्रकट करते हुए उनसे कहा कि अविलम्ब डॉक्टर– कर्मचारियों को भेजिए और तब तक मैं यहीं बैठा रहूँगा। परिणाम हुआ कि आनन फानन में डॉक्टर– कर्मचारी आकर ड्यूटी पर लग गए।

दूसरे ही दिन सुबह सुबह मनोज मंजिल फिर अस्पताल पहुँच गए। उस समय भी देखा कि कोई भी ड्यूटी कर्मचारी नहीं है और अस्पताल के गेट के पास 20 साल का युवा आकाश सिंह अपनी साँस की तक़लीफ़ से तड़प रहा है। उसे बचाने के लिए खुद ही स्ट्रेचर उठाकर दौड़ पड़े और अपने बॉडीगर्द की मदद से आकाश को बेड पर लिटाकर जैसे तैसे कर डॉक्टर– स्टाफको बुलवाया। राहत की बात रही कि ज़ल्द हुई इलाज शुरू हो जाने से थोड़ी ही देर में आकाश की हालत संभल गयी।

कुव्यवस्था–लापरवाही के अभ्यस्त अस्पताल व्यवस्था के डॉक्टरों– कर्मचारियों को मरीजों की सेवा हेतु तत्पर बनाने तथा मरीजों को लेकर आये बदहवास हो रहे उनके परिजनों की मदद के लिए आरा शहर के माले नेताओं व आइसा– इनौस कार्यकर्ताओं की टीम नियमित ‘सहायता केंद्र’  लगाकर वहां मौजूद रहने लगी।

मनोज मंजिल को मरीजों के परिजनों ने बताया कि किस तरह से अस्पताल प्रबंधन द्वारा ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं उपलब्ध कराये जाने के कारण उन्हें बाहर से ब्लैक में सिलिंडर खरीद कर लाना पड़ रहा है। तो उन्होंने पूरी स्थिति का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए नीतीश कुमार सरकार के कोरोना पीड़ितों के साथ की जा रही अमनावियता को उजागर करते हुए रहे जिलाधिकारी से मिलकर ज़रूरी संभव उपाय करने को कहा।

बिहार के वामपंथी दलों और पूरे विपक्ष का आरोप है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के मंत्री– नेता, गोदी मीडिया केवल पर राज्य में कोरोना संक्रमण से निपटने और बेतहाशा जा रही लोगों की जान बचाने के सारे दावे हवाई हैं। कोई भी जाकर खुली आँखों से ये देख सकता कि किस तरह राजधानी से लेकर प्रदेश के सभी इलाकों के अस्पतालों में फैली  कुव्यवस्था और लापरवाहियों का मंज़र आरा सदर अस्पताल जैसा ही बना हुआ है। जहां सत्ताधारी भाजपा– जदयू के माननीय सांसद- विधायकों व अन्य जन प्रतिनिधियों का जाना तो दूर कोई स्थानीय नेता – कार्यकर्ता तक नहीं फटक रहा है। जो ‘जय श्रीराम’ और ‘भारत माता की जय’ जैसे नारे लगते हुए चुनावों में वोट के लिए, मुसलमान विरोधी हिंदुत्व जागरण और राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा उगाही के लिए घर घर पहुँच जाते थे।

मीडिया की ही ख़बरों के अनुसार कोरोना महामारी के बेलगाम संक्रमण की चपेट में आज बिहार भी पूरी तरह से आ चुका है। एक ओर, राजधानी पटना के सारे अस्पताल मरीजों से ठंसे पड़े हैं तो दूसरी ओर  प्रदेश के प्रायः सभी इलाकों के स्वस्थ्य केन्द्रों में सरकार की लचर और जानलेवा स्वास्थ्य कुव्यवस्था से स्थित दिनों दिन भयावह होती जा रही है। किसी भी अस्पताल और स्वस्थ्य केंद्र में आज भी समुचित डॉक्टर व कर्मियों की नियुक्ति के साथ साथ ज़रूरी दवाएं और अन्य स्वस्थ्य उपकरण उपलब्धता नहीं की जा सकी है। ऐसे में महामारी संक्रमण व अन्य कई बिमारियों से मरनेवालों की संख्या में भी कोई कमी नहीं आना गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। वहीं राज्य की सरकार इस आपद में स्थिति में भी श्मशान घाटों को निजी हाथों के हवाले करने का राष्ट्रीय दायित्व निभाने में जुटी हुई है। दुखद है कि विपत्ति की इस घड़ी में भी सत्ता सुविधा-सुरक्षा में ऐश कर रहे नेताओं की कुटिल मानसिकता भरे बयान थम नहीं रहे। जिसका एक घटिया नमूना वायरल हुआ जब देश के चर्चित वामपंथी नेता व सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी के पुत्र के असामयिक निधन हो जानेपर शोक संवेदनाओं का तांता लगा हुआ था। लेकिन बिहार प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष ने अपनी मानसिकता दर्शाते हुए अपने मुस्कराते चहरे वाले प्रोफाइल में आपत्तिजनक ट्वीट किया। हालांकि लानत-मलामत होने पर बाद में उसे डिलीट कर दिया गया और कहा गया कि एकाउंट हैक हो गया था।

कमोबेश ऐसा ही हाल सरकार के सभी प्रवक्ताओं और ताज़ा ताज़ा राज्यसभा के सांसद बने प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री का भी है। जो इन दिनों शायद ही कभी अपने सुरक्षित ऐशगाह से बाहर निकलकर महामारी पीड़ितों का दुःख दर्द जाने अथवा उनकी मदद के लिए कहीं जाते हों। लेकिन हर दिन अखबार के प्रमुख पन्नों में सरकार द्वारा सुनिशिचित कराये गए ‘बयान- कॉलम’ में विपक्ष व उसके नेताओं पर टीका– टिप्पणी और लालू प्रसाद जी के बाहर आकर उनकी सरकार को कोई भी खंरोच पहुँचाने पर फिर से अन्दर करा देने जैसे बयानों का सिलसिला जारी रखे हुए हैं। जबकि प्रदेश के सारे वामपंथी और विपक्षी दल पूरी सक्रियता के साथ महामारी पीड़ितों के सहायतार्थ जुटे हुए है।

भाकपा माले बिहार कमिटी ने राज्य की सरकार को आपात ज्ञापन देते हुए कई ज़रूरी सुझाव दिए हैं। साथ ही विधायक दल नेता महबूब आलम, युवा विधायक संदीप सौरभ तथा गोपाल रविदास के नेतृत्व में वाम वालेंटियर्स की टीम राजधानी के सभी अस्पतालों में जा जा कर स्थिति का आकलन कर सम्बंधित अधिकारियों से मिलकर त्वरित कार्यों का सुझाव देनेके साथ साथ ज़रूरत मंदों की मदद में लगातार डटी हुई है।

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