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त्रिपुरा में भाजपा द्वारा वाम मोर्चे और मीडिया संस्थानों पर बर्बर हिंसा के ख़िलाफ़ दिल्ली में माकपा का रोष प्रदर्शन

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि यह हमला माकपा पर नहीं, बल्कि देश के लोकतंत्र पर हमला है। बीजेपी और आरएसएस देश के संवैधानिक मूल्यों को खत्म करना चाहती है। 
त्रिपुरा में भाजपा द्वारा वाम मोर्चे और मीडिया संस्थानों पर बर्बर हिंसा के ख़िलाफ़ दिल्ली में माकपा का रोष प्रदर्शन

त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यकर्ताओं की उग्र भीड़ द्वारा मुख्य विपक्षी भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी ) यानी माकपा के कार्यालयों और नेताओं के घरों पर हुई हिंसा के खिलाफ दिल्ली में माकपा कार्यकर्ताओं ने रोष प्रदर्शन किया। इस रोष प्रदर्शन में माकपा के महासचिव सीतराम येचुरी, पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात, प्रकाश करात, सुभाषणी अली, राज्यसभा सांसद वी शिवदसान, दिल्ली राज्य सचिव के एम तिवारी भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव डी राजा और कई अन्य नेता भी शमिल हुए।

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि यह हमला माकपा पर नहीं बल्कि देश के लोकतंत्र पर है। बीजेपी और आरएसएस देश के संवैधानिक मूल्यों को खत्म करना चाहती है। 

येचुरी न कहा कि ये हमला हमारे द्वारा लड़े जा रहे जनता के संघर्ष को दबाने का प्रयास है। लेकिन वो नहीं जानते इससे हम डरने वाले नहीं हैं । आपको बता दें यह हमला उस वक्त हुआ जब माकपा की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) ने अपने राष्ट्रीय अभियान 'कहाँ है हमारा रोज़गार' के सवाल पर जुलूस निकाला। इस तरह का प्रदर्शन देशभर के अलग-अलग राज्यों में लगातार हो रहे हैं। दिल्ली में भी डीवाईएफआई ने केजरीवाल सरकार से यही सवाल पूछते हुए 12 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास घेरने का आह्वान किया है। हालाँकि बीजेपी के नेताओं और उनकी सरकार का कहना है कि इसी दौरान माकपा के लोगों ने बीजेपी के कार्यकर्ता पर कथित तौर पर हमला किया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए।

बीजेपी के दावों पर शक इसलिए होता है क्योंकि त्रिपुरा में जबसे सत्ता परिवर्तन हुआ है उसके बाद से विपक्ष लगातार उस पर हिंसा के आरोप लगा रहा है। यहाँ तक कि पंचायत चुनावों में बीजेपी पर आरोप लगा की उसने वाम समर्थित उम्मीदवारों को नामांकन तक दाखिल करने नहीं दिया। हाल ही में बीते सोमवार को त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार को धनपुर जाने से रोका गया था और माकपा ने उस दौरन भी हिंसा का आरोप लगाया था।

डीवाईएफआई के दिल्ली राज्य सचिव अमन सैनी ने न्यूज़क्लिक से कहा कि त्रिपुरा में  बीजेपी की सरकार जनता के बीच उठ रहे असंतोष के सुर को दबाने के लिए प्रयास कर रही है। आज त्रिपुरा में बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर है, लेकिन जब युवा रोजगार मांगता है तो सरकार उन पर हमला कर रही है । 

माकपा ने बताया कि उदयपुर उपमंडल कार्यालय, गोमती जिला समिति कार्यालय, सिपाहीजाला जिला समिति कार्यालय, विशालगढ़ उपमंडल समिति कार्यालय, पश्चिम त्रिपुरा जिला समिति कार्यालय और सदर उपमंडल समिति कार्यालय को जला दिया गया है और क्षतिग्रस्त कर दिया गया है।

उनके मुताबिक़ सबसे ख़तरनाक हमला अगरतला में राज्य समिति कार्यालय पर हुआ। कार्यालय के भूतल और पहली मंजिल में तोड़फोड़ की, दो कार्यालय कारों को जला दिया और त्रिपुरा के सम्मानित जन-नेता दशरथ देब की प्रतिमा को तोड़ दिया।

इन हमलों में सबसे भयावह यह था कि सरकार से सवाल पूछने वाली मीडिया को भी नहीं बख्शा गया। एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनल 'पीएन-24 न्यूज' और एक अखबार 'प्रतिभा कलम' के कार्यालयों पर भी हमला किया गया। वहीं माकपा समर्थित समाचार पत्र 'डेली देशारकथा' का कार्यालय भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया।

सरकार द्वारा ये कहे जाने पर कि ये एक राजनीतिक झड़प है, का  जवाब देते हुए  प्रकाश करात ने कहा, “ये कोई झड़प नहीं बल्कि एक सुनियोजित हमला है।  वॉ चाहते हैं कि हम वाम मोर्चा के लोगों को डरा कर विरोध न करे। लेकिन इसके बाद भी हम लड़ रहे है।”

उन्होंने आगे कहा कि यह पहला  कोई हमला  नहीं है, इससे पहले कांग्रेस ने भी हमारे ऊपर हमला कर के 400 से अधिक कार्यकर्ताओं की हत्या की थी। हमने इसके अगले चुनाव दो तिहाई के बहुतम से जीते थे और 25 सेल तक सरकार  चलाई थी। अब इन हमलों से भी हम लड़ेंगे और जीतेंगे।

गौरतलब है कि इनमें से कई जगहों पर मौजूद पुलिस भी चुप बैठी रही। एक वीडियो है जिसमें माकपा राज्य समिति कार्यालय के मामले में कुछ सीआरपीएफ जवान कार्यालय के सामने मौजूद थे लेकिन हमला शुरू होने से एक घंटे पहले उन्हें वापस बुला लिया गया।

इससे पहले माकपा के नेता सीताराम येचुरी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि त्रिपुरा में आठ सितंबर को उनकी पार्टी के दफ्तरों पर ‘बीजेपी के लोगों की भीड़’ द्वारा हमला किया गया।

इस पत्र में उन्होंने लिखा कि माकपा और वाम मोर्चे के खिलाफ इन हिंसक हमलों को रोकने के लिए हम आपसे बिना किसी देरी के हस्तक्षेप करने का पुरजोर अनुरोध करते हैं। जिस तरह से हमले हुए, उससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने और राजनीतिक गतिविधियों को शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित करने के विपक्ष के संवैधानिक अधिकारों को कायम रखने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने में पूरी तरह विफल है।

अगर पुलिस की मिलीभगत नहीं है तो भी हिंसा को रोकने और दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज करने में नाकाम रहने पर केंद्र सरकार संवैधानिक सिद्धांतों को लागू करने के लिए कार्रवाई करती है।

पूरा पत्र यहाँ पढ़ें 

दिल्ली की तरह ही माकपा की हरियाणा राज्य कमेटी ने भी अपने सभी इकाइयों से इस बर्बर हिंसा के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरने का आह्वान किया है। बयाना जारी करते हुए राज्य सचिव सुरेंद्र सिंह ने कहा है कि पूर्व नियोजित तरीके से राज्य मुख्यालय सहित माकपा के कार्यालयों पर भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़ ने हमला किया जो की निंदनीय है।

सिंह ने कहा कि भाजपा के गैंग जिस बेबाकी से काम कर रहे हैं, वह राज्य सरकार की मिलीभगत को दर्शाता है। ये हमले इसलिए हुए क्योंकि सत्ताधारी दल ने राज्य में प्रमुख विपक्षी दल की गतिविधियों को दबाने की कोशिश की और वह नाकाम रहा।

उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र और विपक्ष पर इस अपमानजनक हमले की सभी लोकतांत्रिक विचारधारा वाले लोगों और पार्टियों को निंदा करनी चाहिए।

माकपा ने कहा केंद्र सरकार, विशेष रूप से गृह मंत्रालय को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि त्रिपुरा में कानून का शासन कायम है और नागरिकों के अधिकार सुरक्षित हैं।

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