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राहुल गांधी के लिए कांग्रेस का सत्याग्रह! जानें: नेशनल हराल्ड और कांग्रेस का संबंध

एक ओर ईडी राहुल गांधी से पूछताछ कर रही थी, तो दूसरी ओर पूरे देश में कांग्रेस ने सत्याग्रह की शुरुआत कर दी।
National Harald

 भाषण चाहे खुले मैदान में हो या संसद में, भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर कांग्रेस हमेशा रहती है। जवाहर लाल नेहरू से शुरुआत होती है और राहुल गांधी तक को लपेटा जाता है। कहने का मतलब ये है कि भाजपा की मंशा साफ तौर पर कांग्रेस को पूरी तरह से ख़त्म कर देना है, जिसका जिक्र अक्सर भाजपा के बड़बोले नेता और प्रवक्ता करते रहते हैं। यही कारण है कि कभी राजनीतिक तौर-तरीकों से तो कभी जांच एजेंसियों के ज़रिए कांग्रेस के बड़े नेताओं की पुरानी क़िताबें खोल ही दी जाती हैं।

इस बार भी कहानी कुछ ऐसी ही है। इस बार नेशनल हेराल्ड मामले को फिर से ज़िंदा कर दिया गया और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को समन भेज ईडी बुला लिया गया। वैसे तो भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ईडी और सीबीआई ताजमहल से ज्यादा सुर्खियों में रहती हैं। लेकिन इस बार मामला थोड़ा लीग से हटकर था। क्योंकि राहुल गांधी को ईडी में जवाब देने के लिए आना था। कांग्रेस ने भी इस मौके को ज़ाया नहीं होने दिया और सरकार के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन छेड़ दिया। कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, सांसद, पार्टी के वरिष्ठ और दिग्गज नेताओं ने दिल्ली में डेरा डाल दिया और सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया।

सिर्फ दिल्ली ही नहीं देश के हर राज्य में ईडी के दफ्तर के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सत्याग्रह किया और सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी की। इस दौरान देखा गया कि लोगों के हाथ में पोस्टर थे, किसी पर लिखा था मैं भी राहुल गांधी; तो किसी पर लिखा था हम राहुल गांधी के वंशज हैं, डरेंगे नहीं। इसका मतलब साफ है कि आने वाले वक्त में एक बार फिर राहुल गांधी कांग्रेस की कमान संभालते नज़र आ सकते हैं। और गुजरात, हिमाचल से लेकर लोकसभा चुनाव तक उन्हीं के नेतृत्व में लड़ने पर पार्टी विचार कर रही है।  

एक ओर जहां कांग्रेस अपने आंदोलन को सत्याग्रह करार देने में लगी थी, तो भाजपा ने खूब हमला बोला, भाजपा के मुताबिक कांग्रेस सत्याग्रह नहीं कर रही है, बल्कि गांधी परिवार के करोड़ों रुपयों को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। कई बार भाजपा ये भी कहती नज़र आई कि अगर राहुल गांधी और सोनिया गांधी बेकसूर हैं तो ईडी जाने से पहले इतना बखेड़ा क्यों खड़ा कर रहे हैं। ग़ौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी भी नेशल हेराल्ड मामले में 23 जून को ईडी के सामने पेश होंगी।

नेशनल हेराल्ड मामला

अगर इस बात पर ग़ौर करें कि नेशनल हेराल्ड केस क्या है, तो भाजपा के  नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने साल 2012 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर नेशनल हेराल्ड को हड़पने का आरोप लगा था। सुब्रमण्यम के मुताबिक कांग्रेस नेताओं ने ये काम तब किया जब अख़बार घाटे में चल रहा था।

आरोप दरअसल ये था कि, कांग्रेसी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कब्जे के लिए यंग इंडियन लिमिटेड यानी YIL  नाम की ऑर्गेनाइजेशन बनाई। जिसके ज़रिए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL का अवैध तरीके से अधिग्रहण कर लिया गया। क्योंकि इस अधिग्रहण के बाद दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर आराम से कब्ज़ा किया जा सकता था। और किया भी गया।

वैसे तो सुब्रमण्यम स्वामी ने 2000 करोड़ रुपये की कंपनी को केवल 50 लाख रुपये में खरीदे जाने को लेकर सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कांग्रेस के अन्य नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी।

लेकिन जून 2014  में कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया, अगस्त 2014  में ED ने इस मामले में फिर संज्ञान लिया और मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया।

हालांकि दिसंबर 2015 में दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को ज़मानत दे दी थी। लेकिन अब एक बार फिर ED ने इसी मामले की जांच के लिए सोनिया और राहुल को समन जारी किया है।

सोनिया और राहुल पर आरोप क्या हैं?

स्वामी का आरोप है कि पहले नेशनल हेराल्ड को चलाने वाली AJL कंपनी पर कांग्रेस के बकाया 90 करोड़ के लोन को यंग इंडिया लिमिटेड को ट्रांसफर किया गया, फिर राहुल-सोनिया की यंग इंडियन लिमिटेड ने काँग्रेस को 50 लाख रुपये का भुगतान किया। इसके बाद YILने AJL के बाकी बचे 89.50 करोड़ रुपये का लोन माफ कर दिया।

स्वामी का आरोप है कि YIL को अपना लोन वसूलने के लिए नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार मिल गया, जिसमें दिल्ली की प्राइम लोकेशन पर स्थित उसकी बिल्डिंग और बाकी शहरों में उसके दफ्तर शामिल हैं, जिनकी कीमत करीब 2,000 करोड़ रुपये आँकी जा रही है।

आरोप है कि 2010 में 5 लाख रुपये के कॉर्पस से बनी यंग इंडियन लिमिटेड की संपत्ति कुछ ही सालों में बढ़कर 800 करोड़ रुपए हो गई है।

उधर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का कहना है कि यंग इंडियन लिमिटेड में राहुल गांधी को शेयरों से उन्हें 154 करोड़ रुपये की कमाई हुई। इनकम टैक्स डिमार्टमेंट पहले ही 2011-12 के लिए यंग इंडियन लिमिटेड को 249.15 करोड़ रुपए टैक्स भुगतान का नोटिस जारी कर चुका है।

इन आरोपों को कैसे खारिज करती है कांग्रेस

कांग्रेस का कहना है कि YIL को मुनाफा कमाने के बजाय चैरिटी के उद्देश्य से बनाया गया था। कांग्रेस का ये भी कहना है कि यंग इंडियन लिमिटेड द्वारा किया गया ट्रांजैक्शन फाइनेंशियल नहीं, बल्कि कॉमर्शियल था। कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि जब प्रॉपर्टी या कैश का कोई ट्रांसफर ही नहीं हुआ, तो मनी लॉन्ड्रिंग का केस कैसे बन सकता है।

सिंघवी का कहना है कि AJL जब घाटे में आ गया तो उसे बचाने के लिए कांग्रेस ने 90 करोड़ की आर्थिक सहायता दी। इससे AJL पर लोन हो गया। उसने इस लोन को इक्विटी में बदला और 90 करोड़ के लोन को नई कंपनी यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया गया, लेकिन यंग इंडियन नॉन-फॉर-प्रॉफिट कंपनी है और इसके शेयरहोल्डर्स और डायरेक्टर्स को कोई लाभांश नहीं दिया जा सकता है। सिंघवी का दावा है कि इसका मतलब है कि आप इस कंपनी से एक रुपया नहीं ले सकते।

सिंघवी का ये भी दावा है कि अब भी AJL के पास ही पहले की तरह की नेशनल हेराल्ड की सभी प्रॉपर्टी और प्रिंटिंग और पब्लिशर बिजनेस पर अधिकार है। केवल एकमात्र बदलाव ये है कि AJL के शेयर यंग इंडियन के पास हैं, लेकिन यंग इंडियन इस पैसे का किसी भी तरह से इस्तेमाल नहीं कर सकती है। वह न तो लाभांश दे सकती है और न ही प्रॉफिट कमा सकती है।

नेहरू ने शुरू किया था नेशनल हेराल्ड अखबार

जिस नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मामले में सोनिया और राहुल को ईडी ने समन भेजा है, उसे 1938 में जवाहर लाल नेहरू ने 5 हजार स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर शुरू किया था। इस अखबार का प्रकाशन असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL द्वारा किया जाता था। आजादी के बाद ये अखबार कांग्रेस का मुखपत्र बन गया।

AJL इस अखबार का प्रकाशन तीन भाषाओं में करता था। अंग्रेजी में 'नेशनल हेराल्ड' हिंदी में 'नवजीवन' और उर्दू में 'कौमी आवाज।' धीरे-धीरे अखबार घाटे में चला गया और कांग्रेस से मिले 90 करोड़ रुपये के कर्ज के बावजूद 2008 में बंद हो गया।

2010 में यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड यानी YIL नाम की एक ऑर्गेनाइजेशन बनी, जिसने नेशनल हेराल्ड को चलाने वाले AJL का अधिग्रहण कर लिया। YIL के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल थे। YIL में सोनिया और राहुल की हिस्सेदारी 76% थी और बाकी 24% हिस्सेदारी मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास थी। मोतीलाल वोरा का 2020 और ऑस्कर फर्नांडीज का 2021 में निधन हो चुका है। इसके बाद कांग्रेस ने AJL के 90 करोड़ रुपये लोन को YIL को ट्रांसफर कर दिया।

कांग्रेस का लोन चुकाने के बदले में AJL ने यंग इंडियन को 9 करोड़ शेयर दिए। इन 9 करोड़ शेयरों के साथ यंग इंडियन को AJL के 99% शेयर हासिल  हो गए। इसके बाद कांग्रेस ने AJL का 90 करोड़ का लोन माफ कर दिया। सुब्रमण्यम स्वामी ने इसी सौदे पर सवाल उठाते हुए केस फाइल किया था।

फिलहाल इस मामले में अभी कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को भी 23 जून को ईडी के सामने पेश होना है। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि सोनिया गांधी की पेशगी के दौरान भी कांग्रेस पार्टी बड़ा आंदोलन करेगी। ये ज़रूर कहा जा सकता है कि इस सत्याग्रह या आंदोलन के ज़रिए कांग्रेस नेताओं को एकजुट होने का मौका ज़रूर मिल गया है।

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