कोरोना लॉकडाउन : ऐसे संकट में दंगा पीड़ितों को मत भूल जाना!
दिल्ली: दिल्ली सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों के दौरान विस्थापित हुए 275 परिवारों को भोजन या दवा जैसी जरूरी बुनियादी चीजें सुनिश्चित करने के लिए अधिकारी उनसे संपर्क करेंगे।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ को सोमवार को आप सरकार के अधिवक्ता ने सूचित किया कि उत्तर-पूर्वी जिले के मोहल्ला क्लिनिक काम कर रहे हैं और प्रत्येक परिवार के प्रतिनिधियों को नोडल अधिकारियों का विवरण उपलब्ध कराया जाएगा जिनसे वे चिकित्सा सहायता की जरूरत के समय संपर्क कर सकते हैं।
अदालत ने कोरोना वायरस के चलते जारी प्रतिबंधों के कारण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शेख मुज्तबा फारूक की याचिका पर सुनवाई की।
फारूक ने याचिका में आग्रह किया था कि अधिकारियों को मुस्ताफाबाद में ईदगाह में राहत शिविर पुन: खोलने और पीड़ितों को भोजन, पानी की पर्याप्त आपूर्ति, साफ-सफाई की सुविधा और सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाए।
दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता राहुल मेहरा ने अदालत को बताया कि मौजूदा स्थिति और केंद्र सरकार के लॉकडाउन के निर्देशों को देखते हुए अधिकारी 275 परिवारों में से प्रत्येक के प्रतिनिधियों से संपर्क करेंगे।
उन्होंने कहा कि जरूरत के मुताबिक इन परिवारों को भोजन के पैकेट और मेडिकल किट उपलब्ध कराई जाएंगी जिनमें आम बीमारियों में इस्तेमाल की जानेवाली वाली दवाएं भी होंगी।
अदालत ने मामले में निर्देश देने या अपने आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट के लिए तीन अप्रैल की तारीख निर्धारित की।
गत 27 मार्च के अपने आदेश में अदालत ने आप सरकार को निर्देश दिया था कि वह दंगा पीड़ितों को भोजन उपलब्ध कराए और अगर वे अब भी बेघर हैं तो उन्हें सामुदायिक केंद्रों या रैन बसेरों में शरण उपलब्ध कराए।
आपको बता दें कि फरवरी में दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में करीब 50 लोगों की मौत हो गई थी। सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए थे और बड़ी संख्या में घर जला दिए गए थे। पीड़ित लोगों में ज़्यादातर गरीब मुसलमान थे, जिनके लिए ईदगाह समेत कुछ स्थानों पर राहत शिविर बनाए गए थे लेकिन लॉकडाउन के चलते उन्हें भी बंद कर दिया गया है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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