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ग़रीब जनता के लिए राशन, काम और नक़दी की मांग को लेकर सीपीएम का देशव्यापी प्रदर्शन

“सरकार एक तरफ ग़रीबों को मार रही है, वहीं दूसरी तरफ देश की संपत्ति को निजीकरण के माध्यम से लुटा रही है। भाषण में तो आत्मनिर्भर भारत की बात बोल रही है लेकिन हक़ीक़त में वो इसके उलट काम कर रही है।”
देशव्यापी प्रदर्शन

आज 16 जून को सरकारी नीतियों के ख़िलाफ़ देशव्यापी प्रदर्शन किया गया। इसे अखिल भारतीय विरोध दिवस के रूप में मनाया गया। इस प्रदर्शन में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) की सभी ईकाइयों ने हिस्सा लिया। साथ ही मास्क और शारीरिक दूरी जैसे नियमों का भी पालन किया गया।

दिल्ली में इस प्रदर्शन का नेतृत्व खुद सीपीएम महासचिव सीतराम येचुरी ने किया। वो अपने अन्य राष्ट्रीय नेताओं के साथ दिल्ली में सीपीएम मुख्यालय के सामने हाथों में पोस्टर लेकर खड़े हुए और नारे लगते हुए अपना विरोध जताया।

मीडिया को संबोधित करते हुए येचुरी ने कहा कि आज सीपीएम पूरे देश में सरकार की ग़लत नीतियों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही है। आज हमारे देश के गोदामों में राशन भरा हुआ है लेकिन लोग आज भी भूख से मर रहे है। इसी तरह सरकार के गलत नीतियों के कारण करोड़ों लोगों का रोजगार छिन गया है, सरकार को उनकी तुरंत आर्थिक मदद करनी चाहिए।

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आगे उन्होंने कहा सरकार एक तरफ ग़रीबों को मार रही है वहीं दूसरी तरफ देश की संपत्ति को निजीकरण के माध्यम से लुटा रही है। भाषण में तो आत्मनिर्भर भारत की बात बोल रही है लेकिन हक़ीक़त में वो इसके उलट काम कर रही है। आज जब इस लॉकडाउन में 15 करोड़ लोग बेरोज़गार हो गए हैं, सरकार उनकी ज़िंदगियों के बारे में सोचने के बजाय रोज़ाना पेट्रोल डीजल पर टैक्स बढ़ाकर अपना खजाना भर रही है।

सीताराम येचुरी ने कहा कि हम अपनी मांगों को लकेर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी लिख चुके है। लेकिन कोई जवाब नहीं मिला, अब सड़कों पर उतरने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बच गया है। इसलिए आज सीपीएम के सभी कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।

इसे पढ़ें मोदी सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ आज देशव्यापी विरोध दिवस

दिल्ली एनसीआर में हज़ारों की संख्या में सीपीएम कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन

दिल्ली, नोएडा और ग़ाज़ियाबाद में माकपा की विभिन्न इकाइयों ने प्रदर्शन किया। सभी ने राष्ट्रीय स्तर पे रखी गई चारों मांग के साथ ही दिल्ली में बढ़ते कोरोना के मामले और बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का भी मुद्दा उठाया। इस प्रदर्शन में डीयू के शिक्षकों और छात्रों ने भी दिल्ली विश्वविद्यालयमेट्रो के पास हाथो में पोस्टर लेकर विरोध प्रदर्शन किया।

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राजस्थान में विरोध प्रदर्शन के साथ ही राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपा

सीपीएम के राष्ट्रीय आह्वान के तहत राजस्थान में भी प्रदर्शन हुआ। जिले के सभी उपखंड कार्यालय पर प्रदर्शन सहित जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन व आम सभा की गई। जिसमें मुख्य चार मांगों के साथ ही छह माह का बिजली बिल माफ करने की भी मांग की गई।

सभा को संबोधित करते हुए माकपा जिला सचिव किशन पारीक ने कहा कि लॉकडाउन के कारण देश की गरीब जनता को भयंकर परेशानी का सामना करना पड़ा है। लेकिन केंद्र व राज्य सरकारों ने राहत पैकेज के नाम पर लीपापोती किए और सार्वजनिक क्षेत्र को भेजते अमीर घरानों को अरबों रुपये का टैक्स माफ किया है।

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पूर्व विधायक पेमाराम ने कहा हम राज्य सरकार से 6 माह का बिजली बिल माफ करने की मांग कर चुके हैं लेकिन सरकार का ध्यान विधायकों की बाड़ा बंदी में है। उसको राजस्थान की आम जनता से कोई मतलब नहीं है। सभा को राम रतन बगड़िया, अब्दुल कयूम कुरैशी व अन्य नेताओं ने संबोधित करते हुए सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि मांग पत्र पर तुरंत ध्यान देकर जनता को राहत प्रदान करें अन्यथा आंदोलन तेज किया जाएगा। किशन पारीक, पेमाराम, कयूम कुरैशी रामरतन बगड़िया ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

बिहार में भी विरोध प्रदर्शन, बेरोज़गारी के सवाल पर नीतीश सरकार को घेरा

पटना, छपरा, मधुबनी सहित बिहार के तमाम जिलों में सीपीएम ने विरोध प्रदर्शन किया। पटना में सीपीएम के राज्य सचिव अवधेश सिंह ने कहा कि आज बिहार में लोगो त्रस्त है लेकिन मुख्यमंत्री को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। बिहार में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं और अभी मज़दूर बहार से आ रहे हैं लेकिन सरकार ने क्वारंटीन सेंटर को बंद कर दिया। अभी कम से कम 30 जून तक क्वारंटीन सेंटर चलाने की जरूरत हैं। सरकार ने अपने भ्र्ष्टाचार को छुपाने के लिए इन्हे बंद किया।

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आगे उन्होंने कहा राज्य में बड़ी संख्या में मज़दूर वापस आये हैं लेकिन सरकार उनके लिए किसी भी प्रकार का रोजगार की व्यवस्था नहीं कर रही है।

झारखंड : एक तरफ मज़दूर परेशान, दूसरी तरफ़ सरकार जश्न मना रही है!

सीपीएम ने झारखंड में भी विरोध प्रदर्शन किया। सीपीएम के राज्य सचिव मंडल सदस्य प्रकाश विप्लव ने कहा कि देश मे रोजी-रोटी के बढ़ रहे संकट ने गरीबों को भारी परेशानियों मे डाल दिया है। मोदी सरकार कोरोना महामारी की स्थिति से निपटने में पूरी तरह विफल साबित होने के बाद अब केवल बयान और संदेश जारी कर रही है। दूसरी ओर देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर और हमारी जनता के विशाल बहुमत पर भारी मुसीबतों का बोझ डाल कर केंद्र की भाजपा सरकार मोदी- 2 सरकार के एक वर्ष पूरा होने का जश्न मना रही है और अमित शाह "वर्चुअल" रैली के माध्यम से चुनाव प्रचार कर गरीबों के जख्म पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं।

विप्लव ने कहा कि अब कोरोना संक्रमण के मामले में भारत चौथे नंबर पर आ गया है और देश में दहशत का माहौल बनता जा रहा है। इस स्थिति के लिए पूरी तरह केंद्रीय सरकार जिम्मेवार है।

इसी तरह देश के अन्य राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और बंगाल में भी मज़दूरों ने जोरदरा प्रदर्शन किया। सभी ने प्रमुख रूप से निम्नलिखित चार मांगों पर ही जोर दिया। .

1 तुरंत 7500 रुपये अगले 6 महीने तक उन परिवारों को दिया जाएं, जो आयकर की सीमा में नहीं आते।

2 . सरकारी गोदामों में करोड़ों किलोग्राम अनाज सड़ रहा है। उसे चूहे खा रहे हैं, लेकिन सरकार ग़रीबों में इसे नहीं बांट रही है। तत्काल 10 किलोग्राम अनाज अगले 6 महीने तक हर ज़रूरतमंद व्यक्तियों को दिया जाए।

3 . बड़े पैमाने पर प्रवासी मज़दूर अपने घर पहुंचे हैं। ग्रामीण इलाक़ों में 200 वर्किंग दिन उन लोगों को मनरेगा के तहत काम दिए जाएं। इसके लिए सरकार तत्काल फंड आवंटित करे। शहरी इलाक़ों में भी रोज़गार की व्यवस्था की जाए। लॉकडाउन के बाद 15 करोड़ लोग बेरोज़गार हुए हैं. उन लोगों को बेरोज़गारी भत्ता दिया जाए।

4. हमारी राष्ट्रीय संपत्ति की लूट बंद कीजिए। निजीकरण की प्रक्रिया बंद कीजिए। श्रम क़ानूनों में बदलाव बंद कीजिए।

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