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कोविड-19 : मोदी ने राजनीतिक दलों से की चर्चा, कहा..एक बार में नहीं हटेगा लॉकडाउन

सर्वदलीय बैठक में शामिल रहे बीजद नेता पिनाकी मिश्रा ने यह बात बतायी। प्रधानमंत्री ने नेताओं से कहा, ‘‘ स्थिति ‘सामाजिक आपातकाल’ जैसी है, कड़े निर्णय लेने की जरूरत है और हमें अवश्य ही सतर्क रहना चाहिए।“
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Image courtesy: Twitter

दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा एवं राज्यसभा में विपक्ष समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को बताया कि कोरोना वायरस के कारण लागू देशव्यापी लॉकडाउन एक बार में नहीं हटाया जायेगा।

सर्वदलीय बैठक में शामिल रहे बीजद नेता पिनाकी मिश्रा ने यह बात बतायी।

वहीं, प्रधानमंत्री ने कहा कि स्थिति ‘सामाजिक आपातकाल’ जैसी है, कड़े निर्णय लेने की जरूरत है और हमें अवश्य ही सतर्क रहना चाहिए ।

मोदी की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक की और कोरोना वायरस के कारण देश में उत्पन्न स्थिति और सरकार द्वारा इसे तेजी से फैलने से रोकने के प्रयासों पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 पर सर्वदलीय बैठक में नेताओं से कहा कि सरकार की जिम्मेदारी प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की सुरक्षा करना है।

उन्होंने नेताओं से कहा, ‘‘ स्थिति ‘सामाजिक आपातकाल’ जैसी है, कड़े निर्णय लेने की जरूरत है और हमें अवश्य ही सतर्क रहना चाहिए ।

प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक के बाद बीजद नेता पिनाकी मिश्रा ने पीटीआई भाषा’ से कहा कि नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि 14 अप्रैल को एक साथ लॉकडाउन नहीं हटेगा ।

मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमसे कहा कि कोरोना वायरस से पहले और कोरोना वायरस के बाद का जीवन एक जैसा नहीं होगा।

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, राकांपा के शरद पवार के अलावा तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय सहित विभिन्न नेताओं ने प्रधानमंत्री के साथ संवाद किया ।

सूत्रों ने बताया कि इन नेताओं को स्वास्थ्य, गृह और ग्रामीण विकास मंत्रालय सहित विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों ने कोविड-19 से निपटने के तरीके एवं लॉकडाउन के कारण लोगों को होने वाली परेशानी को लेकर सरकार द्वारा उठाये गए कदमों के बारे में जानकारी दी ।

सूत्रों ने बताया कि कई विपक्षी नेताओं ने स्वास्थ्य कर्मियों के लिये व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की कमी का मुद्दा उठाया जबकि कुछ अन्य नेताओं ने सुझाव दिया कि सरकार को संसद के नये भवन के निर्माण की योजना को अभी छोड़ देना चाहिए ।

उन्होंने बताया कि कुछ नेताओं ने अधिक से अधिक जांच कराने का सुझाव दिया, वहीं कुछ नेताओं ने राज्यों को और मदद देने की बात भी रखी ।

बहरहाल, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी ने कोविड-19 संकट से निपटने के लिये आगे की रणनीति के लिये केंद्रीय मंत्रियों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लेकर कार्यबल बनाने का सुझाव दिया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कोरोना वायरस संकट के दौरान सरकार की मदद के लिए बहु-दलीय कार्य समूह बनाने का सुझाव दिया।

यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब सरकार ने संकेत दिया है कि वह वायरस को तेजी से फैलने से रोकने के लिये कई राज्यों एवं विशेषज्ञों के देशव्यापी लॉकडाउन को 14 अप्रैल के बाद बढ़ाने की राय पर विचार कर सकती है ।

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के पिछले 24 घंटों में 773 नये मामले सामने आने और इस दौरान 32 लोगों की मौत होने के बाद इसके संक्रमण के मामले बुधवार को बढ़कर 5194 हो गये जबकि इससे हुयी मौत का आंकड़ा 149 पर पहुंच गया है।

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देश में कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन का यह तीसरा सप्ताह है और इसके पॉजिटिव मामले लगातार सामने आ रहे हैं। 

प्रधानमंत्री ने संसद के दोनों सदनों में उन दलों के नेताओं के साथ संवाद किया जिनके संसद में पांच से अधिक सांसद हैं।

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक में लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, राकांपा के शरद पवार, शिवसेना के संजय राउत के अलावा तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, द्रमुक के टी आर बालू, बीजद के पिनाकी मिश्रा, वाईएसआर के मिथुन रेड्डी, सपा के राम गोपाल यादव, जदयू के राजीव रंजन सिंह, लोजपा के चिराग पासवान, अकाली दल के सुखवीर सिंह बादल सहित कई अन्य दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया।

गौरतलब है कि 24 मार्च से 21 दिनों के लॉकडाउन के बाद प्रधानमंत्री का विपक्षी दलों के साथ यह पहला संवाद है। हालांकि, प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर 2 अप्रैल को देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संवाद किया था।

प्रधानमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और द्रमुक प्रमुख स्टालिन सहित पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्रियों एच डी देवेगौड़ा और मनमोहन सिंह से भी इस बारे में चर्चा कर चुके हैं।

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