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कोरोना संकट : निजी अस्पतालों के लिए 25 प्रतिशत टीकों के आवंटन के फ़ैसले को लेकर उठ रहे हैं सवाल

‘‘विफल टीकाकरण नीति को पूरी तरह बदल दिया गया है। सरकार ने अलग-अलग कीमत वाली नीति को बरकरार रखा है। कुल टीकों का 25 प्रतिशत अभी भी निजी अस्पतालों के लिए आरक्षित होगा। यह कुछ नहीं, बल्कि लूट का लाइसेंस देने की तरह है।’’
Vaccine

नयी दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने आखिरकार विपक्षी दल , समाजिक संगठनों और सुप्रीम कोर्ट की फ़टकार के बाद सभी को मुफ़्त टीके का एलान तो कर दिया, लेकिन सरकार ने इसमें भी निजी अस्पतालों के लिए 25 प्रतिशत टीके आवंटित करने का फैसला किया है।  हालाँकि इस बार सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए वर्तमान में उपलब्ध टीकों का अधिकतम मूल्य तय कर दिया है। लेकिन विपक्ष सवाल कर रहा है जब देश में सभी के लिए मुफ़्त टीके की योजना है तो निजी अस्पताल किस बात का पैसा लेंगे। देश के प्रमुख वामपंथी दलों ने मंगलवार को कहा कि सरकार को निजी अस्पतालों के लिए 25 प्रतिशत टीके आवंटित करने का फैसला वापस लेना चाहिए क्योंकि यह ‘लूट का लाइसेंस’ है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि 18 साल से अधिक उम्र के सभी नागरिकों के टीकाकरण के लिए राज्यों को 21 जून से मुफ्त टीका उपलब्ध कराया जाएगा और आने वाले दिनों में टीकों की आपूर्ति में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी की जाएगी।

उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन में यह ऐलान भी किया कि कुल टीके में 75 प्रतिशत की खरीद सरकार करेगी और 25 प्रतिशत अब भी निजी अस्पतालों को मिलेंगे, लेकिन वे प्रति खुराक 150 रुपये से ज्यादा सेवा शुल्क नहीं ले सकेंगे।

माकपा ने एक बयान में दावा किया कि देश की जनता टीकाकरण को लेकर राज्य पर गलत आरोप मढ़ने के प्रधानमंत्री के प्रयासों को खारिज करेगी।

उसने कहा, ‘‘विफल टीकाकरण नीति को पूरी तरह बदल दिया गया है। सरकार ने अलग-अलग कीमत वाली नीति को बरकरार रखा है। कुल टीकों का 25 प्रतिशत अभी भी निजी अस्पतालों के लिए आरक्षित होगा। यह कुछ नहीं, बल्कि लूट का लाइसेंस देने की तरह है।’’

भाकपा ने कहा कि यह केंद्र की जिम्मेदारी है कि देश के सभी नागरिकों को टीके मुफ्त में उपलब्ध हों।

पार्टी ने निजी अस्पतालों में भी मुफ्त टीकाकरण की पैरवी की और कहा कि सरकार को टीकाकरण को लेकर राज्यों एवं जनता को विश्वास में लेना चाहिए।

निजी अस्पतालों में  टीकों की एक खुराक की क्या है कीमत  

सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए वर्तमान में उपलब्ध टीकों का अधिकतम मूल्य तय कर दिया है। कोविशील्ड के एक खुराक की कीमत 780 रुपये, कोवैक्सीन की 1410 रुपये और स्पूतनिक-वी की खुराक की कीमत 1145 रुपये होगी।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को मंगलवार को एक पत्र में सुझाया कि ज्यादा शुल्क वसूले जाने पर निजी टीकाकरण केंद्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। पत्र में कहा गया है कि निजी टीकाकरण केंद्रों के लिए कोविशील्ड की एक खुराक की अधिकतम कीमत 780 रुपये जबकि कोवैक्सीन की एक खुराक के लिए 1410 रुपये और स्पूतनिक-वी की एक खुराक की कीमत 1145 रुपये होगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से सुनिश्चित करने को कहा है कि विभिन्न निजी टीकाकरण केंद्रों द्वारा घोषित मूल्य निर्धारित कीमतों से अधिक न हो।

मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नागरिकों से निजी टीकाकरण केंद्रों द्वारा अधिक मूल्य लिए जाने के संबंध में लगातार निगरानी रखने का भी आग्रह किया है। पत्र में कहा गया, ‘‘कहीं से भी निर्धारित मूल्य से अधिक शुल्क वसूलने की सूचना मिलती है, तो ऐसे निजी टीकाकरण केंद्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।’’

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ

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