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भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ विपक्ष पर नकेल लेकिन बीजेपी के दो पूर्व मुख्यमंत्री पर ईडी की चुप्पी?

अभी तक यही माना जाता था कि किसी की शिकायत या फिर स्वतः संज्ञान के आधार पर या अदालत के आदेश पर जांच होती है। लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिखता। जांच के दायरे में अभी वही लोग हैं जो या तो बीजेपी के ख़िलाफ़ है या फिर विपक्ष में शामिल हैं।
Raghuvar das and raman singh
तस्वीर में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास (बाएं) और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह (दाएं)।

अभी हाल में ही मोदी सरकार ने ईडी प्रमुख मिश्रा जी (संजय कुमार मिश्रा) की सेवा को विस्तारित किया है। इससे पहले भी मिश्रा जी सेवा विस्तार ले चुके थे। इस सेवा विस्तार के कुछ मायने तो होंगे? ऊपर से देखने में यह सब दिखाता है कि जो सक्षम अधिकारी है उसे मोदी सरकार सेवा करने का भरपूर मौका देती है। देना भी चाहिए। लेकिन क्या यही सही है? सच तो यही है कि मिश्रा जी सरकार के इशारे पर सरकार के एजेंडे के मुताबिक काम करते हैं। अगर ऐसा नही है तो शिकायत और तथ्य के बाद भी झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ ईडी करवाई करती। दोनों नेताओं के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज की गई है लेकिन मिश्रा जी मौन हैं। क्या ईडी प्रमुख इस पर कोई स्पष्टीकरण दे सकते है? 

पहले झारखंड ही चलते हैं। भ्रष्टाचार के मामले में सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ईडी के जाल में फंसे हैं। उनसे लगातार पूछताछ भी चल रही है। पूछताछ के बाद सोरेन ने मीडिया को बताया कि जिस मामले में उनसे पूछताछ की जा रही है उसके तार तो पिछली सरकार से जुड़े है। वे तो अभी दो साल से ही मुख्यमंत्री हैं लेकिन जांच का मसला पिछली सरकार से जुड़ा है। ऐसे में जांच का सच तो तभी बाहर आएगा जब पिछली सरकार के मुखिया रहे रघुवर दास से ईडी पूछताछ करेगी। हेमंत का यह सवाल कोई गलत तो नहीं है। लेकिन क्या ईडी ऐसा कुछ करेगी? असंभव ही  जान पड़ता है।

झारखंड के सबसे मुखर विधायक सरयू राय ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई तो होनी ही चाहिए, लेकिन यह कार्रवाई एकतरफा हो तो सवाल उठेंगे । उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन पर ईडी की कार्रवाई हो रही है, जबकि रघुवर दास को यूं ही छोड़ दिया गया। ये कौन सा न्याय है? रघुवर पर ईडी की चुप्पी कई सवालों को जन्म देती है ।

पिछले सप्ताह सरयू राय ने एक ट्वीट किया था जिसके बाद झारखंड की राजनीति गरमा गई । अपने ट्वीट में सोरेन के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाते हुए सरयू राय ने  पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को घेरने की कोशिश की है। उन्होंने सीधा सवाल किया है कि जिस आईएएस पूजा सिंघल को भ्रष्टाचार के आरोप में ईडी ने गिरफ्तार किया, उसे खुद रघुवर दास ने आरोप मुक्त किया था। आखिर रघुवर सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच क्यों नहीं हो रही।

सरयू राय के सवाल बहुत कुछ कहते हैं । सवाल है कि जब रघुवर दस ने पूजा सिंघल को क्लीन चिट दे ही दिया था तो फिर पूजा सिंघल के खिलाफ ईडी ने जांच कैसे की? जाहिर है ईडी को लगा होगा कि मामला गंभीर है और सिंघल की जांच जरूरी है । जांच हुई तो सिंघल घेरे में आ गईं ।अब जेल में हैं । ऐसे में सवाल यह भी है कि तब मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किस बिनाह पर सिंघल को क्लीन चिट दी थी? पहली नजर में तो इसी मामले में रघुवर दास की जांच होनी चाहिए थी। लेकिन ईडी भला यह सब कैसे करे?

बता दें कि पूर्ववर्ती रघुवर दास के नेतृत्व वाली सरकार में सरयू राय खाद्य आपूर्ति मंत्री रहे हैं। वह पहले बीजेपी में ही थे। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ ही जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय मैदान में उतर गए और उन्हें धूल चटा दी थी। सरयू राय और रघुवर दास के बीच की राजनीतिक प्रतिद्वंदिता किसी से छुपी नहीं है। इसी क्रम में उन्होंने ईडी की कार्रवाई को लेकर किए अपने ट्वीट में एक बार फिर रघुवर दास पर हमला बोला है।

पूर्व मंत्री सरयू राय ने अपने ट्वीट के माध्यम से कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लिखा है कि ईडी के चार्जशीट के मुताबिक पीरपैंती साइडिंग से 251 रेल रेड स्टोन चिप्स का अवैध परिवहन बिना चालान हुआ था। जिसमें से 233 रैक रघुवर दास सरकार में और केवल 18 रैक हेमंत सोरेन की सरकार में हुआ। दोनों ही अवैध परिवहन झारखंड की राजनीति में रसूख रखने वाली प्रेम प्रकाश की कंपनी ने किया है। ऐसे में ईडी की पूछताछ केवल हेमंत सोरेन से ही क्यों? रघुवर दास से अब तक पूछताछ क्यों नहीं हुई। क्या ईडी प्रमुख के पास इसका कोई जबाव है?

बता दें कि सरयू राय नेता से ज्यादा एक्टिविस्ट रहे हैं। मोदी भी कई बार उनकी प्रशंसा कर चुके हैं। लेकिन अब जब सरयू राय बीजेपी के साथ नही हैं तो उनकी बात बीजेपी को जहर लगती है।

सरयू राय ने एक और ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि ईडी जिस घोटाले के आरोप में आईएएस पूजा सिंघल को जेल भेज चुकी है, उसी मामले में रघुवर दास ने इस भ्रष्ट आईएएस को क्लीन चिट दे दी थी। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह मामला ईडी की जानकारी में है या इस मुद्दे पर जानबूझ कर चुप्पी साधी जा रही है?

बता दें कि झारखंड में वर्ष 2014 से 2019 के बीच एनडीए की सरकार बनी थी। इस दौरान भाजपा ने रघुवर दास को मुख्यमंत्री बनाया गया था। वह झारखंड राज्य के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री थे। क्या मोदी सरकार और ईडी इस पर जांच करेगी? और नही करती है तो साफ है कि विपक्ष को साफ करने और बदनाम करने के लिए ईडी की करवाई की जा रही है ।

अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव से ऐन पहले  राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता डॉ. रमन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने डॉ. रमन सिंह और उनके बेटे की संपत्ति को लेकर इसी महीने आठ नवंबर को प्रवर्तन निदेशालय को चिट्ठी भी लिखी है।

मुख्यमंत्री बघेल ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ इसी महीने की शुरुआत में ईडी को शिकायत की है लेकिन ईडी मौन है। अब भूपेश बघेल ने कहा है कि अगर रमन सिंह के खिलाफ ईडी जांच नही करती है तो वे अदालत की रुख करेंगे। 

जानकारी के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय को लिखी चिट्ठी में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके बेटे की संपत्ति 1500 गुना की बढ़ोतरी कैसे हो गई। प्रवर्तन निदेशालय उनकी संपत्ति में हुई बढ़ोतरी को लेकर जांच क्यों नहीं करता। ईडी को लिखी चिट्टी में भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके बेटे की अकूत संपत्ति की जांच की जाए, ताकि राज्य की जनता को नान घोटाले सहित पनामा मामले में हुए भ्रष्टाचार की सारी सच्चाई पता चल सके।

भूपेश बघेल ने यह आरोप भी लगाया है कि डॉ. रमन सिंह की संपत्ति नान घोटाले के बाद अचानक इतनी ज्यादा बढ़ गई, जिसका कोई भी साक्ष्य उनके पास नहीं है। चिट्टी में आरोप लगाया गया हैं कि नान घोटाला डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में हुआ। इस भ्रष्टाचार का एक बड़ा हिस्सा डॉ. रमन सिंह के हिस्से में भी आया। बघेल ने अपनी चिट्ठी में सीएम मैडम और सीएम चिंतामणि का जिक्र करते हुए कहा कि ईडी आखिर किसके दबाव में इसकी जांच नहीं कर रही है।

बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम रायपुर में नान घोटाला प्रकाश में आया था। इस घोटाले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज गिरी थी। कांग्रेस शुरू से ही नान घोटाले के केंद्र में रमन सिंह और उनके परिवार के लोगों की भूमिका अहम बता रही है। अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके परिवार के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद कयास यह लगाया जाने लगा है कि सीएम बघेल द्वारा ईडी को लिखी गई चिट्ठी के बाद भाजपा को आने वाले चुनावों में भारी नुकसान हो सकता है।

अभी तक यही माना जाता था कि किसी की शिकायत या फिर स्वतः संज्ञान के आधार पर कोई भी जांच एजेंसियां काम करती है। इसके साथ ही अदालत के आदेश पर जांच होती है। लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिखता। जांच के दायरे में अभी वही लोग हैं जो या तो बीजेपी के खिलाफ है या फिर विपक्ष में शामिल हैं। सरकार का आदेश मिलते ही जांच एजेंसियां टूट पड़ती है और फिर सामने वाले को पस्त कर देती हैं। लोकतंत्र  का यह खेल लुभाता भी है और भरमाता भी है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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