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तमिलनाडु के ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों में डीएमके एकतरफ़ा जीत हासिल की

एआईएडीएमके और बीजेपी की बेहद अपमानजनक हार।
Dmk

द्रविड़ मुनेत्र कझगम (डीएमके) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ मोर्चे ने तमिलनाडु में 9 जिलों के ग्रामीण स्थानीय निकाय के चुनावों में एकतरफा जीत हासिल की है। जबकि इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ के बावजूद एआईएडीएमके को करारी हार झेलनी पड़ी।

सत्तारूढ़ गठबंधन ने जिला और संघीय परिषद वार्ड (यूनियन काउंसिल वार्ड), दोनों में ही एकतरफा जीत हासिल की है। दूसरी पार्टियां जिनमें मक्कल निधि मैयम और नाम तमिलर काची (एनएमके) भी शामिल हैं, उन्हें तमाम भाषणबाजी और कैंपेन के बावजूद बेहद अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा।

भारतीय जनता पार्टी ने एआईएडीएमके के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। बीजेपी को भी बुरे तरीके से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि डीएमके का दावा है कि चुनावों में सफलता राज्य सरकार द्वारा पिछले पांच महीनों में किए गए बढ़िया कामों का नतीजा है।

 सिवांथिपत्ती ग्राम पंचायत में अध्यक्ष पद के लिए 90 साल की महिला और इसी पद पर एक दूसरी पंचायत में 21 साल की महिला की जीत खबरों में रही। 21 साल की महिला ने तेंकासी जिले में एक वोट से जीत हासिल की थी।

डीएमके की बड़ी जीत, AIADMK और बीजेपी की बुरी हालत

डीएमके ने अपने द्वारा लड़े गए 140 जिला परिषद वार्डों में से 138 में जीत हासिल की। जबकि कांग्रेस को 5 और AIADMK को दो वार्डों में जीत मिली। बीजेपी अपना खाता भी नहीं खोल पाई। डीएमके अब सभी 9 जिलों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद जीतने की स्थिति में है।

यूनियन काउंसिल वार्ड में भी ऐसे ही नतीजे देखने को मिले। सोमवार 3 बजे तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, कुल 1381 वार्ड में से डीएमके ने 1010 पर जीत दर्ज की या आगे चल रही थी। जबकि AIADMK सिर्फ़ 215 वार्ड में ही बढ़त बना सकी।

पट्टली मक्कल काची उत्तरी जिलों के अपने गढ़ में 47 वार्डों में जीतने में कामयाब रही। वहीं बीजेपी को 6 यूनियन काउंसिल वार्ड में जीत मिली। कांग्रेस ने 24 और विधुथलाई चिरुथैगल काची ने डीएमके गठबंधन का हिस्सा रहते हुए 27 सीटों पर जीत दर्ज की।

अम्मा मक्कल मुनेत्र कझगम को सिर्फ़ पांच सीटें हासिल हुईं। वहीं अभिनेता विजयकांत की देसिय मुरपोक्कू द्रविड कझगम को सिर्फ एक सीट मिली। दोनों ही पार्टियों ने अकेले चुनाव लड़ा था। 

 कोयंबटूर जिले में एक ग्राम पंचायत में एक बीजेपी प्रत्याशी तब चर्चा में आया, जब उसे सिर्फ एक वोट मिला। हालांकि ग्राम पंचायतों के चुनाव सीधे पार्टी लाइन पर नहीं लड़े जाते। लेकिन राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों को सदस्य और अध्यक्ष पद के लिए खड़े करते हैं।

विजय मक्कल इयक्कम का जीत का दावा, एनटीके, एमएनएम खाली हाथ

अभिनेता विजय के प्रशंसकों द्वारा संचालित कल्याण संगठन विजय मक्कल इयक्कम ने अपने कुछ सदस्यों की जीत का दावा किया है। संगठन में पदाधिकारी ने दावा किया कि चुनावों में वार्ड सदस्य और ग्राम पंचायत अध्यक्ष के लिए खड़े हुए उनके 169 सदस्यों में से 110 ने  जीत हासिल की है।

कट्टर तमिल राष्ट्रवादी पार्टी एनटीके को यूनियन और जिला परिषद वार्ड में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई। जबकि पार्टी खुद को तमिलों का असली प्रतिनिधि होने का दावा करती है। कमल हासन के नेतृत्व वाली एमएनएम का भी यही हाल हुआ। नतीजों में साफ दिखाई दिया की पार्टी की ग्रामीण इलाकों। तक पहुंच बहुत काम है।

डीएमडीके के खराब प्रदर्शन को उनके नेता की खराब सेहत और उनके द्वारा लगातार गठबंधन बदलने की प्रवृत्ति को जिम्मेदार बताया जा रहा है।

AIADMK ने लगाया धांधली का आरोप

अपने वक्तव्य में AIADMK ने प्रदेश सरकार पर चुनावों में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। पलनीसामी और पनीर्सेलवाम ने दावा किया कि डीएमके ने पिछले दरवाजे से अपनी प्रशासनिक शक्ति का इस्तेमाल कर जीत हासिल की है।

वक्तव्य में कहा गया, "राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़े स्तर पर उल्लंघनों को अनुमति दी, यह उल्लंघन नामांकन भरने से शुरु हुए और वोटों की गिनती तक चलते रहे। डीएमके ने राज्य निर्वाचन आयोग को कठपुतली बना दिया है।"

पार्टी ने यह आरोप भी लगाया कि डीएमके विधायकों ने तिरूपत्तुर जिले में 10 अक्टूबर को बंद कमरों को भी बिना अनुमति खोला। "चुनाव आयोग को अपनी साख बचाने डयूटी पर तैनात अधिकारी को निलंबित करना पड़ा। यह केवल एक उदाहरण है। कई नामांकनों को नियम विरुद्ध खारिज कर दिया गया।"
 
एआईएडीएमके नेताओं का आरोप है कि उनके द्वारा डीएमके नेताओं, विधायकों और सांसदों के खिलाफ की गई नियम उल्लंघन की शिकायतों पर कार्रवाई नहीं की गई।

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