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दिल्ली चुनाव: 'केजरीवाल बनाम कौन?'

न्यूज़क्लिक ने कुछ अनधिकृत कॉलोनियों का दौरा किया और आठ जनवरी को होने वाले चुनावों के लिए लोगों के मूड़ को भांपने की कोशिश की।
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महंगा और आंखों को थाम देने वाला... बुराड़ी के कौशिक एन्क्लेव में बन रहे बहुमंजिला अस्पताल को देखकर मुंह से कुछ ऐसे ही शब्द निकलते हैं। उत्तर-पश्चिम दिल्ली में बन रहा यह 800 बेड का अस्पताल आम आदमी पार्टी के उस प्लान का हिस्सा है, जिसके ज़रिए वे राष्ट्रीय राजधानी के स्वास्थ्य ढांचे को बदल देना चाहते हैं। लेकिन अस्पताल के लिए यह जगह क्यों चुनी गई? शायद पार्टी अवैध बस्तियों में अपने आधार को मजबूत करना चाहती है। पारंपरिक अनुमानों के मुताबिक इन गैर-योजनागत और घनी कॉलोनियों में करीब चालीस लाख की आबादी रहती है। यह कॉलोनियां पूरी दिल्ली में फैली हुई हैं।

न्यूज़क्लिक ने इन गैर-योजनाबद्ध तरीके से विकसित हुई कॉलोनियों में जाकर लोगों से बात की और विधानसभा चुनावों में 8 फरवरी को होने वाली वोटिंग के लिए उनका मूड़ भांपने की कोशिश की। इस चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंदी आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी हैं। 'आप' अपने काम और अरविंद केजरीवाल की साफ छवि पर चुनाव लड़ रही है, वहीं बीजेपी जनता के ध्रुवीकरण को आधार बना रही है।

कौशिक एन्क्लेव के रहने वाले कमलेश उपाध्याय सरकारी नौकरी में हैं और सेंट्रल दिल्ली में नौकरी करते हैं। उपाध्याय को लगता है कि अस्पताल बनने से यहां के आमलोगों को राहत मिलेगी, जिन्हें फिलहाल इलाज के लिए 12 किलोमीटर दूर 'बाड़ा हिंदूराव अस्पताल' जाना पड़ता है।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए उन्होंने बताया, 'इससे हमें राहत मिलेगी, क्योंकि हमारे पास निजी अस्पतालों में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मैं इसका खर्च उठा सकता हूं, लेकिन बहुत सारे लोग वहन नहीं कर सकते।'

आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन और आने वाले चुनावों में इसके भविष्य पर बात करते हुए उपाध्याय बताते हैं, 'पार्टी अपने वायदों पर खरी उतरी है। अब हमारे बिजली के बिल कम हो गए हैं। पानी वक्त से आता है। सड़कों पर सीवेज कनेक्टिविटी का नया जाल बनाया जा रहा है। जहां तक चुनाव की बात है तो यहां से पार्टी कैंडिडेट संजीव झा के लिए लड़ाई आसान है, क्योंकि विपक्षी पार्टियों ने उनके खिलाफ हल्के उम्मीदवार उतारे हैं। बता दें यह सीट बीजेपी ने अपने सहयोगी जनता दल (यूनाईटेड) और कांग्रेस ने आरजेडी के लिए छोड़ी है।'

उपाध्याय के पास उनके दोस्त देवेश भी पहुंचते हैं। जैसे-जैसे बात चलती है, दूसरे मुद्दे भी उठते हैं। एक ओर उपाध्याय अपने बच्चे को जेएनयू भेजने को आतुर हैं, वहीं देवेश को लगता है कि यूनिवर्सिटी छात्रों के लिए सही नहीं है। उन्हें यह भी लगता है कि धारा 370 को हटाया जाना अच्छा कदम था। अपने विचारों को सही ठहराते हुए वे न्यूज़ चैनल पर दिखाई जाने वाली कवरेज का तर्क देते हैं। वह आगे यह भी मानते हैं कि उन्होंने अनुच्छेद 370 या शोध और अकादमिक क्षेत्र में जेएनयू के योगदान के बारे में कुछ भी नहीं पढ़ा है।

देवेश ने अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में भर्ती करवाया है। लेकिन वो अपने रिश्तेदार के बच्चे को सेंट्रल स्कूल में एडमिशन दिलवाना चाहते हैं। सेंट्रल स्कूल को शिक्षा की अच्छी गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। इन्हें केंद्र विद्यालय के अधीन संस्था 'केंद्रीय विद्यालय संगठन' चलाती है। वह कहते हैं, 'मेरे बहनोई एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के लिए काम करते थे। अब यह कंपनियां कंगाल हो रही हैं या इनमें मंदी आ रही है। डिमॉनेटाइजेशन के बाद चार महीनों तक वे बेरोजगार रहे थे। अगर इन स्थितियों में उनके बेटे को केंद्रीय विद्यालय में भर्ती कर लिया जाता है, तो यह बड़ी राहत की बात होगी।'

न्यूज़क्लिक 'आप' के दफ्तर भी पहुंचा, ताकि उनकी रणनीति को बेहतर तरीके से समझा जा सके। यह दफ्तर एक बड़े मिट्टी से सने प्लॉट पर बना है, जिसे पार्टी के एक समर्थक ने ऑफिस बनाने के लिए उपलब्ध करवाया है। स्थानीय निवासी और पार्टी समर्थक आर डी पाल कहते हैं कि मौजूदा सांसद और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी कभी लोगों की समस्या जानने के लिए इस इलाके में नहीं आए।

पाल बताते हैं, 'इस इलाके में सरकारी नौकरियों से रिटायर कर्मचारियों की एक बड़ी संख्या है। तिवारी केंद्र से CGHS डिस्पेंसरी बनाने की मांग कर सकते थे। इसी तरह वो मानव संसाधन मंत्रालय से इलाके में एक केंद्रीय स्कूल बनाने को कह सकते थे। उन्होंने प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत कादीपुर गांव को गोद लिया था। कोई भी उस गांव में जाकर स्थितियां देख सकता है।'

पाल के साथ बातचीत में पता चला कि आम आदमी पार्टी सिर्फ विकास के मुद्दे पर चुनाव नहीं लड़ रही है। दरअसल पार्टी 'धर्म का कार्ड' भी खेल रही है। पाल के मुताबिक, 'हमने हजारों गरीबों को तीर्थ यात्राएं करवाई हैं। उत्तराखंड से आए लोगों के लिए पार्टी ने उत्तरायनी घाट (मकरसंक्राति के पर्व पर प्रार्थना करने के लिए नदी किनारे एक घाट) बनाने का वायदा भी किया है।'

बुराड़ी के बाद न्यूज़क्लिक नांगली डेयरी पहुंचा। यह द्वारका के गेटबंद कम्यूनिटीज़ के पास एक अवैध कॉलोनी है। जब अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की बात होती है तो एक रहवासी दुबे कहते हैं, 'हमें बीजेपी नेताओं के शब्दों पर विश्वास नहीं है। कहा गया था कि 16 जनवरी से संपत्तियों की रजिस्ट्री शुरू हो जाएगी। लेकिन अभी तक कुछ भी ठोस नहीं हुआ।'

दुबे इलाके में रोजगार के मौकों की कमी होने से भी नाराज हैं। वह कहते हैं, 'पहले हमने देखा कि सीलिंग के तहत दुकानें और घरेलू उद्योग बंद किए गए। फिर पर्यावरण का हवाला देते हुए लघु उद्योग भी बंद किए गए। आपको प्रदूषण फैलाने वाली यूनिट की पहचान करनी चाहिए और उन्हें बंद करना चाहिए। सभी पर बैन लगाना ठीक नहीं है। याद रखना होगा कि इन यूनिटों में हजारों महिला कर्मचारी भी काम करते थे।'

इसी कॉलोनी के रहने वाले इंदरजीत ने कहा कि माइक्रो इंडस्ट्रियल यूनिट वाली एक कॉलोनी, बसाई दारापुर में बड़ी तादाद में यूनिटों को बंद किया गया। लेकिन ऐसा लगता है कि आम आदमी पार्टी द्वारा दिए गए फायदे, इन दिक्कतों पर भारी पड़ रहे हैं। उम्र के छठवें दशक में पहुंच चुकी देवंती देवी बताती हैं कि वो टाइफाइड जैसी बीमारी से मोहल्ला क्लीनिक जैसी सुविधाओं के चलते ही लड़ सकीं। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए उन्होंने बताया, 'क्लीनिक पर मुझे टाइफाइड होने की जानकारी दी गई। इसके बाद मुझे क्लीनिक से नियमित तौर पर दवाईयां मिलती रहीं।'

न्यूज़क्लिक ने एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े नेता से भी बात की। उन्होंने कहा कि केवल देशभक्त ही भगवा पार्टी को वोट देंगे। उन्होंने अपनी रणनीति का खुलासा करने से इंकार कर दिया। लेकिन उन्हें लगता है कि बीजेपी चुनावों में जरूर जीतेगी। जब उनसे बेरोजगारी पर सवार किए गए तो वो कहते हैं, 'मुझे कहीं भी बेरोजगारी दिखाई नहीं देती!'। जब हमने उन्हें NSSO डेटा का हवाला देते हुए बताया कि पिछले 45 सालों में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा है, तो उन्होंने इसे एक अफवाह करार दिया।

नारों और चुनावी कैंपेन से दूर, सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे नीतीश कुमार चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी फिर सत्ता में आए। कुमार कहते हैं, 'मेरे स्कूल को कल्पना से भी ज्यादा सुधार दिया गया है। अब मुझे उन बच्चों से ईर्ष्या होती है, जो अभी स्कूल में हैं। लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने 'मोदी बनाम कौन' का कैंपेन चलाया। अब 'आप' भी बीजेपी से यही सवाल कर रही है- 'केजरीवाल बनाम कौन?'

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Delhi Elections: ‘Kejriwal vs Who?’

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