Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

दिल्ली : अंबेडकर यूनिवर्सिटी में भी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर बवाल, कैम्पस में घुसी पुलिस

बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री "इंडिया- द मोदी क्वेश्चन" पर प्रतिबंध लगने के बावजूद तमाम विश्वविद्यालयों में एसएफ़आई सहित अन्य छात्र संगठन डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कर रहे हैं। जेएनयू, जामिया की तरह ही एयूडी के प्रशासन ने भी छात्रों को फ़िल्म देखने के रोकने के लिए पुलिस बल का इस्तेमाल किया है।
Ambedkar University

दिल्ली के अंबेडकर विश्वविद्यालय में बीबीसी की हालिया डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग 27 जनवरी दोपहर 1 बजे की रखी गई थी। यह आह्वान स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया की तरफ़ से किया गया था। मगर जैसा जेएनयू और जामिया में हुआ था, वैसा ही मंज़र एयूडी में देखने को मिला। प्रशासन ने कैम्पस की लाइट काट दी ताकि डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग न हो सके। इसके बाद जब छात्र-छात्राएँ अपने-अपना फ़ोन-लैपटॉप में डॉक्यूमेंट्री देखने लगे तो कैम्पस में सिक्योरिटी गार्ड और दिल्ली पुलिस के अधिकारी दाख़िल हो गए ताकि यह स्क्रीनिंग न की जा सके।

अंबेडकर यूनिवर्सिटी में अब तक क्या-क्या हुआ?

गुजरात दंगों पर आई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री "इंडिया- द मोदी क्वेश्चन" के दो हिस्से हैं। पहला हिस्सा 17 जनवरी और दूसरा हिस्सा 24 जनवरी को रिलीज़ किया गया था। इस डॉक्यूमेंट्री में ब्रिटिश फ़ॉरेन ऑफिस की एक रिपोर्ट का ज़िक्र किया गया है जिसने गुजरात दंगों के लिए सीधे तौर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज़िम्मेदार ठहराया था। इस डॉक्यूमेंट्री पर केंद्र सरकार ने बैन लगा दिया है।

image

एसएफ़आई ने 27 जनवरी को 1 बजे इस डॉक्यूमेंट्री को स्क्रीन करने का पोस्टर जारी किया था। स्क्रीनिंग कैम्पस की कैंटीन में की जानी थी। न्यूज़क्लिक को मिली जानकारी के अनुसार जब कैम्पस प्रशासन ने लाइट काट दी और उजला कपड़ा लगाने के लिए लाये गए स्टैंड को ज़ब्त कर लिया तब छात्रों ने PM CARES नाम का वाईफ़ाई बनाया जिससे कनेक्ट कर के डॉक्यूमेंट्री को देखा जा सकता था।

एबीवीपी के छात्रों ने की नारेबाज़ी

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए एयूडी के छात्र ने बताया कि जब छात्र फ़ोन पर डॉक्यूमेंट्री देखने लगे तो उन्हें प्रोक्टर की तरफ़ से फ़ोन ज़ब्त कर लेने की धमकी दी गई थी। छात्र ने बताया, "लाइट जाने की वजह से कैंटीन में भी समस्या पैदा हुई थी और कैंटीन को बंद कर दिया गया था। हमें पता चला कि कैंटीन के लोगों ने कहा गया कि अगर खाना स्टोर नहीं कर सकते, बेच नहीं सकते तो सारा खाना फेंक दो।"

image

छात्र ने यह भी बताया कि जब डॉक्यूमेंट्री रोक देने के ख़िलाफ़ छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे थे तब अखिल भारीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रों ने 'राधे-राधे' और नारेबाज़ी शुरू कर दी।

image

ख़बर लिखे जाने तक कैम्पस के अंदर डीजीपी सहित दिल्ली पुलिस के अधिकारी मौजूद हैं। डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीइंग न होने का विरोध करते हुए छात्र गेट पर नारेबाज़ी कर रहे हैं।

एसएफ़आई एयूडी की सेक्रेटरी नादिया ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया, "प्रशासन ने लाइट काट दी थी। जो भी छात्र राजनीति से जुड़े हैं उन्हें गेट पर रोक दिया था। हमारी निजता का हनन करते हुए हमारे बैग भी चेक किए गए कि किसी के पास कोई ढपली तो नहीं है। एबीवीपी ने यहाँ आ कर सांप्रदायिक गाने गाये, सांप्रदायिक नारेबाज़ी की। हमने जो क्यूआर कोड के पोस्टर लगाए थे उसे भी प्रोक्टर द्वारा फाड़ दिया गया।"

इस पूरे मामले पर बात करते हुए एसएफ़आई यूनिट के सदस्य कार्तिक राय ने न्यूज़क्लिक से कहा, "प्रशासन द्वारा बच्चों को धमकाया गया है। पुलिस को कैम्पस में लाकर बच्चों को डराने की कोशिश की जा रही है। इस वक़्त सभी छात्र मेन गेट पर खड़े हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं।

केंद्र सरकार द्वारा इस डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगने के बावजूद स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया और अन्य संगठनों की तरफ़ से अलग-अलग कॉलेज में स्क्रीनिंग कारवाई जा रही है। हाल ही में दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दू कॉलेज में भी स्क्रीनिंग की गई।

Hindu college

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest