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दिल्ली: धरना दे रहे पहलवानों के समर्थन में उतरे महिला संगठन, पुलिस मुख्यालय पर किया हल्ला बोल!

पुलिस ने सभी महिला प्रदर्शनकारी को हिरासत में लेकर जंतर-मंतर छोड़ दिया, जहां उन्होंने धरने पर बैठे पहलवानों के प्रदर्शन में भागीदारी की और पुलिस पर जबरदस्ती धक्का-मुक्की करने सहित कई आरोप लगाए।
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भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर और गिरफ्तारी को लेकर पहलवानों का धरना तो जारी है ही अब देशभर में महिला संगठन भी अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। आज गुरुवार, 27 अप्रैल को दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर महिला संगठनों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को लेकर जोरदार हल्ला बोला। सरकार और पुलिस के खिलाफ नारे लगाए और थोड़ी देर के लिए सड़क भी रोकने की कोशिश की। पुलिस ने सभी महिला प्रदर्शनकारी को हिरासत में लेकर जंतर-मंतर छोड़ दिया, जहां उन्होंने धरने पर बैठे पहलवानों के प्रदर्शन में भागीदारी की और पुलिस पर जबरदस्ती धक्का-मुक्की करने सहित कई आरोप लगाए।

बता दें कि इस रोष प्रदर्शन में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा), नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन (एनएफआईडब्लू), प्रगतिशील महिला संगठन (पीएमएस), संघर्षशील महिला केंद्र (सीएसडब्लू) समेत कई महिला संगठन शामिल हुए, जो लगातार महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार से सवाल करते रहे हैं। आज भी इन प्रदर्शनकारियों का यही सवाल था कि आखिर अब तक देश की पहलवान बेटियों को न्याय क्यों नहीं मिला। आरोपी बृजभूषण आज़ाद कैसे घूम रहा है और पुलिस अभी तक मामले में एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कर पाई है।

जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय महासचिव मरियम धावले ने न्यूज़क्लिक को बताया कि उनके प्रदर्शन का एक ही मकसद था कि वो दिल्ली पुलिस से सवाल कर सकें कि आखिर अबतक बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। क्यों पुलिस एफआईआर तक नहीं दर्ज कर पा रही, आखिर किसका दबाव है।

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पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप

मरियम कहती हैं कि सत्ता में बैठे लोगों को ये भी गंवारा नहीं कि कोई उनसे सवाल पूछे इसलिए जब महिला संगठनों ने पुलिस कमिशनर से मिलने का समय मांगा तो उन्हें समय नहीं दिया गया। प्रदर्शन करने की इजाजत मांगी, तो वो मंजूरी नहीं मिली। इसके अलावा पुलिस आरोपी बृजभूषण को छोड़कर उन महिलाओं के साथ जोर आजमाइश कर रही है, जो शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहीं थीं।

सीडब्लूसी की राजबाला ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा, "पुलिस निहत्थी महिलाओं के साथ अपराधियों और आतंकवादियों जैसा सुलूक कर रही है। हम महिलाओं को पुलिस मुख्यालय पर घसीटा गया, जबरदस्ती गाड़ियों में ठूंसा गया और फिर गाड़ी के अंदर भी कई महिलाओं के साथ बदसलूकी हुई। ये कहां का न्याय है कि आरोपी बाहर घूम रहा है और निर्दोष लोग पुलिसिया कार्रवाई का शिकार हो रहे हैं। इस देश में न्याय माँगना अपराध तो नहीं हैं।"

जनवादी महिला समिति की प्रदेश अध्यक्ष मैमूना मोल्ला ने न्यूज़क्लिक को बताया कि हमारी पुलिस से बहुत छोटी सी मांग थी कि यौन उत्पीड़न मामले में निष्पक्ष जांच हो, फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामला चले ताकि जल्द न्याय सुनिश्चित हो सके। क्योंकि जिसके खिलाफ आरोप लगे हैं वो एक तथाकथित ‘आदरणीय’ सांसद हैं। कायदे से तो उन्हें खुद ही अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए था, लेकिन वो अब तक पद पर बने हुए हैं। इसलिए हमारी मांग है कि उन पर एफआईआर दर्ज कर जल्द कार्रवाई शुरू हो। वो कार्रवाई नहीं, जो बंद कमरे में गुपचुप तरीके से हो जाए, बल्कि वो कार्रवाई जो पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हो।

हरियाणा के संदीप सिंह से लेकर यूपी के कुलदीप सेंगर तक बीजेपी की चुप्पी

मैमूना के मुताबिक ये बड़े शर्म की बात है कि अंतरराष्ट्रीय मेडल वीनिंग खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न की शिकायत पर कार्रवाई नहीं हो रही, उन्हें धरने पर बैठना पड़ रहा है। ऐसे में देश की आम लड़कियों को न्याय की उम्मीद कैसे रहेगी। हरियाणा के संदीप सिंह से लेकर यूपी के कुलदीप सेंगर तक बीजेपी केवल शोषण करने वालों का साथ देती ही दिखाई दे रही है।

ध्यान रहे कि भारतीय कुश्ती महासंघ और इसके अध्यक्ष बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ भारतीय पहलवानों ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक सहित कई खिलाड़ी बीते रविवार, 23 अप्रैल से दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं। आज गुरुवार को पांचवे दिन भी इन पहलवानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इन खिलाड़ियों का कहना है कि जब तक यौन शोषण आरोपी बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक ये सभी यहां से नहीं जाएंगे।

इन खिलाड़ियों के समर्थन में कई राजनीतिक दल के नेता, किसान यूनियन, छात्र संगठन, नागरिक समाज के लोग और खाप पंचायतें भी जंतर-मंतर पर पहुंची हैं। सभी ने पहलवानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा, साथ ही कई महत्वपूर्ण सवाल भी उठाए। जैसे महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरान इस मामले पर चुप क्यों हैं? खेल मंत्रालय निगरानी समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं कर रहा और महज़ कुछ दूरी पर बैठे प्रधानमंत्री 'बेटी बचाओ' के अपने खुद के नारे पर अमल क्यों नहीं कर रहे।

पुलिस शिकायत के बाद भी एफआईआर के लिए लंबा इंतज़ार

बता दें कि इन पहलवानों ने इस बार दिल्ली के कनॉट प्लेस पुलिस थाने में बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत भी दर्ज करवाई है, लेकिन इनका आरोप है कि कई दिन बीत जाने के बाद भी अबतक दिल्ली पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर सकी है। ध्यान रहे कि इससे पहले पहलवानों ने अपने जनवरी वाले प्रदर्शन के दौरान कहा था कि वे कानूनी रास्ता नहीं अपनाना चाहते क्योंकि उन्हें प्रधानमंत्री पर भरोसा है, लेकिन चेतावनी भी दी थी कि अगर सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो वे पुलिस के पास जाएंगे।

उधर, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्लू) भी इस पूरे मामले में सवालों के घेरे में है। आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा भी इस मामले पर अब तक मौन साधे रहीं। अब जाकर उन्होंने चुप्पी तोड़ी है। जबकि दिल्ली महिला आयोग इस मामले में शुरू से ही सक्रिय रहा है और दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने एफआईआर दर्ज न करने पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया।

अब एनसीडब्ल्यू की प्रमुख रेखा शर्मा ने आज गुरुवार को कहा कि महिला पहलवानों द्वारा कथित यौन उत्पीड़न की शिकायत पर उन्होंने दिल्ली पुलिस आयुक्त से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।

पीटीआई की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि रेखा शर्मा ने श्रीनगर में समाचार एजेंसी से कहा कि,‘‘हम मीडिया से बात नहीं कर रहे हैं इसका यह मतलब नहीं है कि हम कुछ नहीं कर रहे हैं। हमने दिल्ली पुलिस आयुक्त को लिखा है और उनसे कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। हमने उनसे यह भी पूछा है कि उन्होंने प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की।’’.

गौरतलब है कि कल यानी शुक्रवार, 28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा, जिस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 25 अप्रैल को इसे गंभीर मामला बताते हुए पुलिस और सरकार को नोटिस जारी कर एफआईआर दर्ज न करने को लेकर सवाल पूछा था।

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