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दिल्ली चुनाव: केजरी के भरोसे आप, बीजेपी को मोदी का सहारा, सिफ़र से शुरुआत करेगी कांग्रेस

चुनाव आयोग की घोषणा के बाद राज्य में चुनावी माहौल गरमा गया है। 70 विधानसभा सीटों के लिए 8 फरवरी को वोटिंग होगी और 11 फरवरी को नतीजे आ जाएंगे।
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Image courtesy: Amar Ujala

दिल्ली में विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही तीनों प्रमुख दल आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपीऔर कांग्रेस अब चुनावी चौसर पर गोटियां बिछाने में लग गए हैं। आप नेता अरविंद केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री पद के लिए जनता के बीच होंगे तो वहींबीजेपी पीएम नरेंद्र मोदी के करिश्मे की बदौलत ताल ठोकती नजर आएगी। कांग्रेस लोकसभा चुनाव के वोट शेयर विधानसभा चुनाव में भी पाने की जुगत में होगी।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि आम आदमी पार्टी अपनी सरकार के कार्यों के आधार पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी 'सकारात्मकअभियान चलाएगी। केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से अपील करते हुए कहा कि यदि आपको लगता है कि पिछले पांच सालों में हमने बेहतर काम किया है तो आप हमें (आपवोट दें।

आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने सोमवार को घोषणा की कि 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा के चुनाव फरवरी को होंगे और मतगणना 11 फरवरी को होगी। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि चुनाव की अधिसूचना 14 जनवरी को जारी की जाएगीजबकि नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 24 जनवरी होगी।

चुनाव आयोग की घोषणा के बाद ही राज्य में चुनावी माहौल गरमा गया है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और संभावित एनआरसी पर चल रहे विरोध के साए में हो रहे इस चुनाव में इन मुद्दों की छाप पड़नी तय मानी जा रही है। इसके अलावा बिजलीपानीसड़कस्वास्थ्य सेवारोजगार और स्कूल दूसरे प्रमुख चुनावी मुद्दे हैं।

इस चुनाव में अभी तक सत्तारूढ़ आप का पलड़ा भारी लग रहा है। उनके पास अरविंद केजरीवाल जैसा करिश्माई चेहरा है। साथ ही उन्हें सस्ती बिजलीसस्ते पानीमहिलाओं के लिए फ्री बस जैसी लोकप्रिय योजनाओं का फायदा मिलने की उम्मीद है। आप नेता इसके अलावा स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं में किए गए सकारात्मक बदलावों को भी लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। आपको बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को 70 में 67 सीटों पर प्रचंड जीत मिली थी।

हालांकि अगर पार्टी की कमजोरियों की चर्चा करें तो आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी भी बाकी राजनीतिक दलों की तरह बन गई। इस पार्टी में भी उसी तरह की उठापठक और टिकट बंटवारे के लिए मारामारी मची है। पार्टी अगर अपने सभी जीते हुए विधायकों को टिकट देती है तो उसे एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ सकता है। अगर नहीं देती है तो बागी उम्मीदवार झेलने पड़ सकते हैं।

इसके अलावा 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बहुत ही शर्मनाक रहा है। उसे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। यहां तक कि 2015 विधानसभा चुनाव में मिले 54.3 प्रतिशत वोट भी घटकर 18.1 प्रतिशत रह गया।

वहींदूसरी ओर बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अरविंद केजरीवाल हैं। पार्टी ने अभी तक सीएम पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। सीएम पद को लेकर पार्टी में रार मची हुई है। प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी से लेकर हर्षवर्धन का नाम समर्थकों द्वारा उछाला जा रहा है लेकिन अभी यही लगता है कि पार्टी नरेंद्र मोदी के सहारे ही चुनावों में उतरने का मूड बना रही है।

इसके अलावा केजरीवाल की शिक्षामोहल्ला क्लनिक और सस्ता बिजलीपानी जैसी योजनाओं की काट बीजेपी अभी तक नहीं निकाल पाई है।

हालांकि बीजेपी 2019 लोकसभा चुनाव में किए गए प्रदर्शन को दोहराना चाहेगी। पार्टी ने यहां 2014 और 2019 लोकसभा चुनावों में सभी सीटों पर जीत दर्ज की है। 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी को 56.6 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। इसके अलावा दिल्ली के 2013 और 2015 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी का वोट शेयर बरकरार रहा है। पार्टी ने 2013 विधानसभा चुनाव में 33.1 प्रतिशत और 2015 विधानसभा चुनाव में 32.2 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं।

वहींदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल यह है कि तकरीबन सभी सियासी जानकार उसे तीसरी नंबर की पार्टी के तौर पर देख रहे हैं तथा पार्टी के पास विश्वसनीय चेहरे और मजबूत संगठन का भी अभाव है।

हालांकिपार्टी लोकसभा चुनाव में अपने दूसरे स्थान पर रहने के आधार पर यह दावा कर रही है कि उसे लड़ाई में खारिज नहीं किया जा सकता। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 9.7 फीसदी वोट मिले थे और उसे एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी। दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस अपने न्यूनतम आंकड़े पर चली गई थी।

इसके दो साल बाद हुए नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के मत प्रतिशत में तेज उछाल आया और उसे 21 फीसदी वोट मिले। पिछले साल के लोकसभा चुनाव में उसे 22.46 फीसदी वोट मिलेजो कांग्रेस के लिये हौसले को बढ़ाने वाला रहा। लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को महज 18 फीसदी वोट मिले थे और वह तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी।

लोकसभा चुनाव के आधार पर देखें तो कांग्रेस विधानसभा की 70 सीटों में से पांच पर आगे रहीजबकि शेष सभी 65 सीटों पर भाजपा आगे रही। कांग्रेस पार्टी चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख कीर्ति आजाद और प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा के भरोसे है। पार्टी को शीला दीक्षित जैसे अनुभवी नेता की कमी भी खल रही है।

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