दिल्ली नगर निगम चुनाव टाले जाने पर विपक्ष ने बीजेपी और चुनाव आयोग से किया सवाल

दिल्ली नगर निगम चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज़ हो गई है। अभी तक सभी राजनैतिक दल पांच राज्यों के चुनाव में वयस्त थे लेकिन सभी दलों ने अब अपनी ताकत दिल्ली के होने वाले निगम चुनाव में झोंक दी है। परन्तु दिल्ली चुनाव आयोग ने इन चुनावो को फिलहाल टालने का मन बना लिया है। दिल्ली चुनावो की घोषणा उत्तर प्रदेश और बाकि अन्य राज्यों के चुनावी नतीजों से पहले 9 मार्च को होनी थी लेकिन आयोग ने इसे बिल्कुल अंतिम समय पर केंद्र सरकार की चिट्ठी का हवाला देते हुए टाल दिया। जोकि अपने आप में अप्रत्याशित था। इस पूरे घटनाक्रम में विपक्षी दल, केंद्र और वर्तमान में तीनों नगर निगम में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और चुनाव आयोग पर हमलावर है। उनका कहना है बीजेपी अपनी संभवित हार को देखते हुए चुनाव टाल रही है। जबकि बीजेपी कि दलील है की वो तीनो निगमों पुनः एकीकरण की प्रक्रिया करना चाहती है। इसलिए उसने फिलहाल चुनाव टालने की अपील की है। इस पर सभी के अपने अपने दावे तर्क हैं। सबसे पहले समझते है चुनाव आयोग अभी कहाँ खड़ा है?
नगर निगम चुनावों पर कानूनी राय लेगा दिल्ली निर्वाचन आयोग
दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बारे में कानूनी विशेषज्ञों की सलाह लेने का फैसला किया है कि दिल्ली के तीन नगर निगमों के विलय के लिए केंद्र से पत्र मिलने के बाद क्या अब भी तीनों निगमों में चुनाव कराये जा सकते हैं।
आयोग ने बुधवार को पत्र मिलने के बाद दक्षिण दिल्ली नगर निगम, उत्तर दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के लिए चुनाव की तारीखों की घोषणा टाल दी।
केंद्र को तीनों निगमों को मिलाने के लिए दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) कानून में संशोधन करना होगा।
अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को कहा कि आयोग का काम स्थानीय निकायों का कार्यकाल समाप्त होने से पहले निष्पक्ष तरीके से निगम के चुनाव कराने का है। उन्होंने कहा कि नये सदस्यों का निर्वाचन 18 मई से पहले करना होगा।
एक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘लेकिन कुछ अभूतपूर्व परिस्थितियों के उभरने के कारण आयोग अब यह समझना चाहता है कि किस तरह आगे बढ़ा जाए और ऐसे समय में निगम चुनाव कराये जाने चाहिए या नहीं जब केंद्र तीनों नगर निगमों को मिलाने वाला है।’’
सूत्र ने कहा कि इसलिए हमने इस तरह के मुद्दों पर राय लेने के लिए वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञों से संपर्क किया है और उसी अनुसार कार्रवाई करेंगे।
सूत्रों के अनुसार बुधवार के घटनाक्रम पर एक विस्तृत नोट तैयार कर लिया गया है और इसे कानूनी विशेषज्ञों को उनकी सलाह के लिए भेजा जाएगा।
केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी से नगर निगम चुनाव होने देने का किया आग्रह
दिल्ली की सत्ता में काबिज और नगर निगम में मुख्य विपक्षी आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वह राष्ट्रीय राजधानी में नगर निगम चुनाव होने दें। उन्होंने कहा कि चुनाव टालने से लोकतांत्रिक प्रणाली कमजोर होती है।
केजरीवाल ने पूछा, ‘‘जनता इस कदम पर सवाल उठा रही है। केन्द्र पिछले सात-आठ साल से सत्ता में है, उन्होंने पहले इनका एकीकरण क्यों नहीं किया?’’
मुख्यमंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘निर्धारित संवाददाता सम्मेलन (बुधवार को) से एक घंटे पहले ही उन्हें यह क्यों याद आया कि उन्हें तीनों नगर निकाय का एकीकरण करना है? भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पता है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की लहर है और वे चुनाव हार जाएंगे।’’
चुनाव और तीन नगर निगमों के एकीकरण के बीच संबंध पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव का तीन नगर निगमों के एकीकरण से क्या लेना-देना है? चुनाव के बाद चुने गए नए पार्षद तीन नगर निगम होने पर अपने-अपने कार्यालयों में बैठेंगे। अगर इनका एकीकरण होता है तो वे एक साथ बैठेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं हाथ जोड़कर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चुनाव होने देने का आग्रह करता हूं। सरकारें आती-जाती रहेंगी। देश सर्वोपरि है राजनीतिक दल नहीं। अगर हम निर्वाचन आयोग पर दबाव बनाएंगे, तो संस्थान कमजोर होंगे। हमें संस्थाओं को कमजोर नहीं होने देना चाहिए क्योंकि इससे लोकतंत्र तथा देश कमजोर होता है।’’
वामदल ने चुनाव टालने को लेकर बीजेपी पर लगाया चुनाव आयोग के बेजा इस्तेमाल का आरोप
वाम दल भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी माकपा के दिल्ली राज्य इकाई के सचिव के एम तिवारी ने अपने बयाना में कहा कि एमसीडी में अपने कुशासन से उपजे भारी जनाक्रोश के डर से एमसीडी चुनावों की तारीखों को टालने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार के हस्तक्षेप का सीपीआई (एम) दिल्ली राज्य कमेटी पुरज़ोर विरोध करती है। राज्य चुनाव आयोग के बेजा इस्तेमाल से किया गया यह हस्तक्षेप कतई मान्य नहीं है। ऐसी संभावना है कि केंद्र सरकार जिसने हमेशा चुनी हुई राज्य विधानसभा का अतिक्रमण किया है, वह अब बिना किसी विचार विमर्श के दिल्ली म्यूनिसिपल एक्ट में बदलाव करने जा रही है।
माकपा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा तीनों एमसीडी के एकीकरण के प्रयासों को पिछले एक दशक में भाजपा के शासन में घोर वित्तीय कुप्रबंधन की रौशनी में देखा जाना चाहिए। यह तथ्य CAG व वित्तीय कमीशन जैसी एजेंसियों की नज़र में आया है। उत्तरी एमसीडी ने वित्तीय घाटे और कर्जे से उबरने के लिए प्लान फंड्स से 459 करोड़ और कमर्चारियों के पीएफ मद में से 270 करोड़ रुपये हस्तांतरित किये। सत्तासीन भाजपा को अपने तीन पार्षदों- तीनों एमसीडी से एक-एक को भ्रष्टाचार की अनेकों शिकायतों के बाद निष्कासित करना पड़ा। पिछले 15 साल के कुशासन से उपजे गुस्से से बचने का एक तरीका भर है। जहाँ तक तीनों एमसीडी को समयबद्ध तरीके से फंड जारी करने का सवाल है, भाजपा और आम आदमी पार्टी को अपनी नूराकुश्ती बंद करते हुए, दिल्ली की जनता के हितों को तरज़ीह देना चाहिए।
वाम दल ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग दिल्ली की जनता के प्रति अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए तीनों एमसीडी के लिए चुनाव संवैधानिक तौर पर समयबद्ध तरीके से करे। भाजपा के वित्तीय कुप्रबंधन तथा इसके पार्षदों द्वारा भारी भ्रष्टाचार पर नगर निगमों के एकीकरण की बात छेड़कर पर्दा डालने की किसी भी कोशिश का दिल्ली की जनता द्वारा प्रतिरोध किया जाएगा।
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