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बीजेपी का दोहरा चरित्र, नारा बेटी बचाओ का और काम आरोपियों को बचाना: जगमति सांगवान

खेल और राजनीति का घालमेल, बीजेपी की महिला सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्धता के दावे जैसे तमाम मुद्दों पर भीम अवार्डी, अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी और एडवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमति सांगवान ने बातचीत में कहा बीजेपी का दोहरा चरित्र है।
Jagmati Sangwan

यौन शोषण आरोपी हरियाणा के मंत्री और बीजेपी नेता संदीप सिंह के खिलाफ हरियाणा में लगातार विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं। महिला संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा, स्थानीय खाप और नागरिक समाज के लोग आए दिन सड़कों पर मनोहर लाल खट्टर सरकार से मंत्री की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम में लगभग 45 दिन से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। संदीप सिंह अभी भी कैबिनेट मंत्री के पद पर बने हुए हैं। जिसका विरोध महिला और नागरिक संगठन लगातार कर रहे हैं।

इस पूरे आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने वाली भीम अवार्डी, अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमति सांगवान से न्यूज़क्लिक ने इस मामले की गंभीरता और पीड़िता के लिए न्याय के उनके संघर्ष को समझने के साथ ही खेल और राजनीति के घालमेल, बीजेपी की महिला सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्धता के दावे जैसे तमाम मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की।

शासन-प्रशासन का आरोपियों को संरक्षण

संदीप सिंह के मामले और कुश्ती में बृजभूषण सिंह पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को एक साथ जोड़ते हुए जगमति बताती हैं कि दोनों मामलों में शासन-प्रशासन का स्पष्ट आरोपियों को संरक्षण दिखाई देता है। एक ओर संदीप सिंह के केस में मुख्यमंत्री खुद पीड़िता के आरोपोंं को 'अनर्गल' बता देते हैं तो वहीं बृजभूषण सिंह के मामले में बनी जांच कमेटी के नियम-शर्तें, जांच की प्रक्रिया, उसके दायरे, प्रोसिजर, आधार और कार्यवाही कोड की कोई जानकारी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध नहीं है, जिससे कोई उनकी मदद करना चाहे, अपना पक्ष रखना चाहे या कोई साक्ष्य उपलब्ध करवाना चाहे तो करवा सके। पहलवान इस बात पर पहले ही नाराजगी जाहिर कर चुके हैं कि समिति बनाने से पहले उनसे मशविरा नहीं किया गया।

जगमति कहती हैं कि आगामी एक तारीख को इस कमेटी की रिपोर्ट आनी है, अगर कमेटी ने पहलवानों के साथ न्याय नहीं किया तो आगे आने वाले समय में संदीप सिंह के मामले के साथ ही इस मसले को भी जोड़ते हुए राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा आंदोलन देखने को मिल सकता है। क्योंकि दोनों मामले खेल से जुड़े हुए हैं और यहां महिला खिलाड़ियों की सुरक्षा, उनका मानसिक स्वास्थ्य, भयमुक्त माहौल सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है, नहीं तो लोग खेलों में लड़कियों को आगे बढ़ाने को लेकर डरने लगेंगे। ये समय हरियाणा व देश की महिला खिलाड़ियों के साथ खड़े होने का समय है।

ध्यान रहे कि हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोप के बाद ही राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारतीय पहलवानों का भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ ज़ोरदार प्रदर्शन देखने को मिला था। ये शायद देश के इतिहास में पहली बार था जब ओलंपिक्स, एशियन गेम्स और राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को कई पदक दिलाने वाली महिला कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया समेत देश के 30 से अधिक दिग्गज पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ के खिलाफ धरने पर बैठ गए थे। धरने पर बैठे खिलाड़ियों ने संघ पर यौन शोषण, अत्याचार और साजिश का आरोप लगाया था। तीन दिन का ये प्रदर्शन 20 जनवरी को देर रात खत्म हुआ। इस दौरान जंतर-मंतर पर खिलाड़ियों का हुजूम, खेल मंत्री अनुराग ठाकुर और पहलवानों के बीच की दौर की लंबी बातचीत और फिर साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस देखने को मिली थी।

कथनी और करनी में बड़ा अंतर

सत्तारूढ़ बीजेपी के महिला सुरक्षा के दावे को खोखला बताते हुए जगमति कहती हैं, “ये बीजेपी का दोहरा चरित्र है, जो नारे तो 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के देती है लेकिन काम आरोपियों को बचाने का करती है। पीड़ित बेटियों-महिलाओं के चरित्र हनन की कोशिश करते हैं। जैसा कि उत्तर प्रदेश के कुलदीप सिंह सेंगर मामले से लेकर हाथरस और फिर कुश्ती संघ और संदीप सिंह के मसले में भी देखा जा रहा है। हरियाणा में बलात्कार और हत्या जैसे संगीन अपराध में राम रहिम को जैसे बार-बार पेरोल पर छोड़ा जा रहा है, उसके सत्संग करवाए जा रहे हैं और सत्ताधारी पार्टी के बड़े नेता-मंत्री उसमें शामिल हो रहे हैं, ये साफ दिखाता है कि इनका सारा खेल वोट बैंक का है। इन्हें किसी की सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं है, समाज पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव की कोई चिंता नहीं है।"

बता दें कि ये कोई पहली बार नहीं है जब बीजेपी के किसी मंत्री या विधायक पर ऐसा कोई आरोप लग रहा हो। इससे पहले भी कई मंत्री और विधायक इन आरोपों से घिर चुके हैं। हाल ही में उत्तराखंड की अंकिता भंडारी हत्याकांड में भी मुख्य आरोपी पुलकित आर्य और उनके पिता पूर्व बीजेपी नेता विनोद आर्य की भूमिका पर सवाल उठ चुके हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर और प्रिया रमानी के मामले को भला कौन भूल सकता है। मीटू के तहत लगे यौन उत्पीड़न के आरोप में चौतरफा घिरे अकबर को मजबूरन अपना मंत्री पद तक छोड़ना पड़ा था। एमजे अकबर के अलावा पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री रह चुके स्वामी चिन्मयानंद पर भी रेप के आरोप लग चुके हैं।

योगी सरकार के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर तो आरोप साबित तक हो चुके हैं। सेंगर के अलावा हरिद्वार की ज्वालापुर सीट से बीजेपी विधायक सुरेश राठौर पर भी रेप का आरोप बीजेपी की ही एक महिला नेता ने लगाया था। साल 2020 में यूपी के ही जिला भदोही से बीजेपी विधायक रवींद्रनाथ त्रिपाठी समेत उनके परिवार के छह लोगों पर एक महिला ने कई महीनों तक रेप करने का आरोप लगाया था। इसके अलावा मध्यप्रदेश के पन्ना जिले से बीजेपी नेता सतीश मिश्रा पर अपनी ही 17 साल की नाबालिग बेटी से रेप करने का आरोप लगा था। सतीश मिश्रा आरएसएस के प्रमुख प्रदेश कार्यकर्ता भी रहे हैं। आगरा के फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक छोटेलाल वर्मा और उनके बेटे लक्ष्मीकांत वर्मा के खिलाफ भी एक महिला ने शारीरिक, शोषण, दुराचार, गर्भपात, मारपीट, जान से मारने की धमकी का केस दर्ज कराया था। बहरहाल, दूसरे दलों के कई नेताओं ने भी बीते सालों में महिलाओं के प्रति बेहूदा बयानबाज़ी की है, कईयों पर गंभीर मामले भी दर्ज हैं तो कुछ सजा भी पा चुके हैं। लेकिन ये सब एक ही पितृसत्तात्मक और मनुवादी सोच के शिकार हैं, जिसका झंडा आगे लेकर चलने का आरोप बीजेपी पर लगता रहा है।

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खतरनाक है पीड़िता को और प्रताड़ित करने का ट्रेंड

जगमति पीड़िता को और प्रताड़ित करने के ट्रेंड पर भी चिंता जाहिर करते हुए बताती हैं कि महिलाएं बड़ी मुश्किल से अपने खिलाफ हो रहे अपराध को रिपोर्ट करती हैं, आवाज़ उठाती हैं, ऐसे में अगर उनका ही चरित्र हनन हो जाए तो उनका हौसला टूट सकता है। वो संदीप सिंह के मामले पर कहती हैं कि पीड़ित महिला कोच को सुरक्षा के नाम पर निगरानी में रखा जा रहा है, उसके पुराने स्कूल-कॉलेज आदि जगहों पर लोगों से उसके चरित्र और चाल-चलने को लेकर सवाल किए जा रहे हैं, जो एक तरह से उसके चरित्र हनन की कोशिश है।

पीड़िता के लिए न्याय को लगातार संघर्षत जगमति के मुताबिक ये महिला संगठनों और नागरिक समाज के लोगों का दबाव ही है कि बीजेपी ने संदीप सिंह को 10 और 11 फरवरी को भिवानी में हुई प्रदेश कार्यकारिणी बैठक से दूर रखा। साथ ही आगामी किसी भी बैठक में उन्हें शामिल नहीं करने का फैसला प्रदेश अध्यक्ष को करना पड़ा है। जगमति कहती हैं कि ये महिला, किसान, नागरिक संगठनों के प्रयास ही हैं कि संदीप सिंह को हरियाणा में नहीं घुसने दिया जा रहा। 10 तारीख को झज्जर में जोरदार विरोध के बाद 11 को मुख्यमंत्री के भिवानी आगमन पर उन्हें भी काले झंडे दिखाए गए। इन दौरान कई बार सैकड़ों लोगों को पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया, बुजुर्गों और अन्य लोगों को घंटों थाने में बैठा कर रखा गया। बावजूद इसके सत्ताधारी पार्टी की हर बैठक, हर आयोजन में संदीप सिंह के मामले को जीवंत रखने की कोशिश हर स्तर पर तमाम संगठनों द्वारा जारी है, जिससे पीड़ित के लिए न्याय सुनिश्चित हो सके और इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश नाकाम हो सके।

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जगतमति बताती हैं कि संदीप सिंह के मामले को लेकर महिला और नागरिक संगठन के लोग करीब महीने भर के अधिक समय से सड़कों पर हैं, रोज़ विरोध प्रदर्शन तेज़ हो रहे हैं। सामाजिक और राजनीतिक तौर से विरोध के जरिए एक दबाव बनाने की कोशिश जारी है, जिससे पीड़िता को जल्द से जल्द न्याय मिल सके। उनके अनुसार अब इस संघर्ष में महिला संगठनों के साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा, स्थानीय खाप पंचायतें, रिटायर्ड कर्मचारी-सामाजिक संगठन और नागरिक समाज के लोगों के साथ ही रुचिका गिरहोत्रा केस को लड़ने वाली वकील मधू सूदन, अन्य कार्यकर्ता और 25 से अधिक संगठन शामिल हैं। जो दिन-रात एक कर लोगों को इस मुद्दे पर जागरूक कर उनका समर्थन इकट्ठा कर रहे हैं। इस संबंध में एक हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है, जिसमें पूरे हरियाणा से लाखों लोगों के हस्ताक्षर होंगे और उसे राष्ट्रपति के सामने 21 तारीख को दिल्ली में पेश किया जाएगा। इसी दिन सभी संगठनों की दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन और सभा की योजना भी है।

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जगमति संदीप सिंह के पूरे मामले की जांच पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट की निगरानी में करने की मांग करती हैं। साथ ही उन्हें तुरंत मंत्रिमंडल व हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से हटाने और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने की बात भी रखती हैं। वो पीड़िता की सुरक्षा के समुचित प्रबंध और रहने के लिए सरकारी क्वार्टर में व्यवस्था को जरूरी बताते हुए पूरे मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में करवाने की अपील करती हैं। साथ ही विधानसभा की उचित समिति से मंत्री एवं मुख्यमंत्री के आचरण पर समुचित कार्रवाई करने की गुहार भी लगाती हैं।

गौरतलब है कि जगमति खेलों से जुड़ी रही हैं और लंबे समय से खेलों में महिला खिलाड़ियों के लिए स्वस्थ, सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने की मांग करती रही हैं। वो सभी खेल संघों व सभी कार्यस्थलों पर कानून अनुसार यौन हिंसा विरोधी समितियां गठित करने की बात भी प्रमुखता से रखती हैं। उनका मानना है कि खेलों से संबंधित संस्थाओं की लोकतांत्रिक एवं जवाबदेह कार्य प्रणाली सुनिश्चित होनी चाहिए और विभिन्न संघों के अध्यक्ष महासचिव पदों पर भूतपूर्व खिलाड़ियों की ही तैनाती होनी चाहिए। लड़कियों को खेलों में आगे आने के लिए प्रोत्साहन के साथ ही जरूरी सुविधाएं और उनके हक से जुड़े कानून की जानकारी भी मिलनी चाहिए।

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