अर्थव्यवस्था का लड़खड़ाना जारी, तिमाही जीडीपी विकास दर 4.7 प्रतिशत तक पहुंची
यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है लेकिन वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि के नवीनतम तिमाही का अनुमान लगभग 4.7% तक पहुंच गया है। ये अनुमान 28 फरवरी को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए थे।
नीचे दिए गए चार्ट में देखा जा सकता है कि 2017-18 (चार्ट में नहीं दिखाया गया है) की चौथी तिमाही से शुरू हो कर पिछली सात तिमाहियों तक जीडीपी वृद्धि में लगातार गिरावट आई है। इस अवधि में विकास दर लगभग आधी हो गई है जो भारत की अर्थव्यवस्था की बड़ी कमज़ोरी का संकेत देता है। 2019-20 की तीसरी तिमाही के लिए नवीनतम अनुमान पिछली तिमाही में 4.5% से 4.7% तक मामूली वृद्धि को दर्शाता है।
जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की विशाल योजनाओं की पृष्ठभूमि और आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत का बाज़ार सरकार और इसके प्रचारकों के लिए इस दुर्बल विकास के एक कटु सत्य की पड़ताल करता है।
विशेष रूप से ध्यान देने वाली बात ये है कि देश में सबसे ज़्यादा रोज़गार देने वाले कृषि क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धित या जीवीए की वृद्धि दर हालिया रिपोर्ट के अनुसार पिछली तिमाही में 2.1% से मामूली रूप में बढ़कर तीसरी तिमाही में 3.7% हो गई है। [नीचे दिए गए चार्ट में देखा जा सकता है]
यह इस सच्चाई के बावजूद है कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुमान के अनुसार ग्रामीण बेरोज़गारी जनवरी 2020 में लगभग 6% अनुमानित है जो कि शहरी रोज़गार से कम है। ये दर्शाता है कि आउटपुट को बढ़ाए बिना कृषि बेरोज़गारों की बढ़ती संख्या को खपा रही है। इसका मतलब यह है कि कृषि में श्रमिकों की एक बड़ी संख्या के बीच इतनी ही आमदनी बांटी जा रही है जो कि एक गंभीर स्थिति है।
विनिर्माण के अन्य प्रमुख क्षेत्र में विकास और भी ज़्यादा निराशाजनक है जो कि पिछली तिमाही में 1% की नकारात्मक वृद्धि की तुलना में तीसरी तिमाही में औसतन 0.9% था। यह उद्योग में गहरी यानी लगभग मंदी की स्थिति को दर्शाता है। पिछले कई महीनों से कई प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में नौकरी खत्म होने की खबरें आ रही हैं जिनमें ऑटोमोबाइल, वस्त्र, जवाहरात और आभूषण, दूरसंचार, आईटी, आदि शामिल हैं। इस मंदी की पुष्टि इस तथ्य से होती है कि जीडीपी में सकल स्थिर पूंजी निर्माण (ग्रास फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन-जीडीएफ) का हिस्सा जो कि अचल संपत्तियों में निवेश का एक उपाय वह पिछले वर्ष में 31.9% से 30.2% तक पहुंच गया है।
यह सब अर्थव्यवस्था को संभालने में मोदी सरकार की पूर्ण विफलता को भी दर्शाता है और कॉर्पोरेट करों में कटौती, सार्वजनिक क्षेत्र को बेचना, विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी पूंजी को आमंत्रित करना और विशेष रूप से लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं में सरकारी खर्चों की बड़ी कटौती इसकी नीतियों की पूरी तरह से विफलता को भी दर्शाता है।पहले से ही पूरी दुनिया में बदनाम हो चुके नवउदार सिद्धांत के इस पैकेज को विनाशकारी परिणामों के साथ भारत में लोगों के गले के नीचे उतारा जा रहा है।
सामाजिक ध्रुवीकरण पर नज़र
इस बीच भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार इन महीनों में हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करती रही है, जिसमें सत्तारूढ़ दल के शीर्ष नेता अपना अधिकांश समय और ऊर्जा बहुसंख्यक प्रभुत्व और अल्पसंख्यकों विशेष रूप से मुसलमानों को हाशिए पर धकेलने के लिए रणनीतियों को तैयार करने में लगा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से प्रेरित इस एजेंडा के चलते देश ने परेशानियों का सामना किया है क्योंकि हाल ही में राजधानी दिल्ली में भयावह सांप्रदायिक हिंसा देखी गई जिसमें अब तक 42 लोगों की जान जा चुकी है। इस महीने के शुरू में हुए दिल्ली के विधानसभा चुनावों के चुनाव प्रचार के दौरान भड़काऊ और खुला सांप्रदायिक प्रचार दिल्ली हिंसा का प्रत्यक्ष परिणाम था।
दिसंबर के बाद से देश सरकार द्वारा लाए गए भेदभावपूर्ण नागरिकता कानून और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) का तैयार करने के प्रस्ताव पर विरोध और तनाव की ज़द में आ गया है जो न पूरा होने वाले दस्तावेज की मांग करता है और मुसलमानों के खिलाफ होने की आशंका जताई जाती है।
हाल ही में डोनाल्ड ट्रम्प के मेगा इवेंट में देखे गए अमेरिकी हितों के लिए नतमस्तक और विदेशी और घरेलू दोनों कॉर्पोरेट द्वारा देश की लूट की अनुमति देते हुए इस तरह की रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना गंभीर स्थिति को दर्शाता है जो वर्तमान सरकार देश और इसके लोगों को विनाशकारी रास्ते की ओर ले जा रही है।
अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
Economy Continues to Flounder, Quarterly GDP Growth Just 4.7%
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