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“नफ़रत के ख़िलाफ़ रोज़गार” : इंक़लाबी नौजवान सभा ने किया देशव्यापी आंदोलन का ऐलान

“केंद्र सरकार ने नौजवानों को सिर्फ़ धोखा देने का काम किया है। पूरे देश का नौजवान आज रोज़गार, बेहतर अवसर व सुरक्षित माहौल के लिए संघर्ष कर रहा है। आरवाईए नौजवानों की बड़ी गोलबंदी करेगा।”
Naujawan Sabha

इंक़लाबी नौजवान सभा (आरवाईए) की दो दिवसीय बैठक हरियाणा के फतेहाबाद जिले में संपन्न हुई जिसमें देशभर के 18 राज्यों से राष्ट्रीय परिषद सदस्यों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में संगठन के काम-काज की समीक्षा की गई और "नफ़रत के ख़िलाफ़ रोज़गार" के लिए आगामी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई।

बैठक के पहले दिन जेंडर सेंसटाईज़ेशन पर कार्यशाला आयोजित की गई जिसे अंबेडकर विश्वविद्यालय की अध्यापक शिवानी नाग ने संबोधित किया। बैठक में महिलाओं की भूमिका व भागीदारी बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया। संगठन में महिलाओं को लेकर ज़्यादा जेंडर सेंसटिव होते हुए और उन्हें अपने आंदोलन में शामिल करते हुए संगठन व कमेटियों में भागीदारी बढ़ाने का निर्णय लिया गया।

बैठक में 14 अप्रैल को 'सांप्रदायिक उन्माद विरोधी दिवस' के रूप में मनाने का फैसला लिया गया। इसके अलावा डॉ. अंबेडकर जयंती पर नौजवानों की बड़ी भागीदारी के साथ कार्यक्रम आयोजित करने व उनके विचारों को जन-जन तक ले जाने की योजना भी बनाई गई।

इसके साथ ही बैठक में देशभर के नौजवानों के बीच 'संपर्क अभियान' की योजना तय की गई जिसके तहत संगठन गांव-गांव में नौजवानों के बीच संवाद आयोजित करने का काम किया जाएगा। प्रखंड/ जिला/ राज्य स्तर पर यूथ असेंबली आयोजित की जाएगी। बैठक में ये बताया गया कि देशभर के नौजवानों को संगठित करते हुए संसद के मानसून सत्र में संसद के समक्ष यूथ पार्लियामेंट आयोजित किया जाएगा।

आपको बता दें कि संगठन ने नौजवानों के बीच सांस्कृतिक टीम, स्पोर्ट्स एक्टिविटी, पुस्तकालय आदि संचालित करने की योजना बनाई और साथ ही मज़दूर बस्तियों में पहले से चल रहे भगत सिंह-अंबेडकर पाठशाला/ पुस्तकालय की संख्या को और भी बढ़ाने की योजना बनाई गई।

आरवाईए के राष्ट्रीय महासचिव नीरज कुमार ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, "आरवाईए पूरे देश में लगातार सांप्रदायिक उन्माद के ख़िलाफ़ नौजवानों की एकता व प्रतिरोध को आगे बढ़ाने और सम्मानजनक रोज़गार के लिए गंभीरता से काम कर रहा है। मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल भी ख़त्म होने वाला लेकिन नौजवानों को सिर्फ़ धोखा और नफ़रत का ज़हर ही मिला। नौजवानों को धोखा-नफ़रत और अपने चहेते पूंजीपति अडानी को रेवड़ी परोसने वाली सरकार के ख़िलाफ़ निर्णायक आंदोलन चलाकर इसे सत्ता से बाहर करने का समय आ गया है।”

आगे उन्होंने कहा, "मोदी सरकार के वादे के हिसाब से 18 करोड़ नौजवानों को रोज़गार मिल जाना चाहिए था लेकिन इन 9 सालों की सच्चाई यह है कि रोज़गार के नए अवसर सृजित करने की बात तो दूर, पहले से 60 लाख खाली पदों को भी नहीं भरा गया। स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया और मुद्रा योजना पूरी तरह से नौजवानों को ठगने वाली योजना साबित हुई। रोज़गार के अवसरों को कॉर्पोरेट के हाथों नीलाम किया गया। सरकारी संस्थानों को बेच कर रोज़गार के अवसरों को ख़त्म कर दिया गया। पिछले 70 सालों में रोज़गार के जो अवसर हासिल किए गए, जिसके दम पर नौजवान सरकारी नौकरियों में जाने का सपना देखते थे, इस सरकार ने उन सपनों को भी नीलाम कर दिया। अब नौजवानों के सामने संगठित होकर इस सरकार के ख़िलाफ़ निर्णायक आंदोलन छेड़ कर सत्ता से बाहर कर देने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। इसलिए आरवाईए ने यह फैसला किया है कि गांव-गांव में जाएंगे, नौजवानों को संगठित करेंगे और संसद के मानसून सत्र में बड़ी गोलबंदी के साथ दिल्ली में यूथ पार्लियामेंट लगाएंगे।

बैठक के दूसरे दिन इसमें शामिल हुए भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य व आरवाईए के केंद्रीय प्रभारी रवि राय ने कहा कि, "केंद्र सरकार ने नौजवानों को सिर्फ़ धोखा देने का काम किया है। रोज़गार के मोर्चे पर फेल यह सरकार नौजवानों को उन्माद-उत्पात और हिंसा की तरफ धकेल रही है। पूरे देश का नौजवान आज रोज़गार, बेहतर अवसर व सुरक्षित माहौल के लिए संघर्ष कर रहा है। जिस तरह से भाजपा और उसके आइटी सेल ने तमिलनाडु को लेकर अफवाह फैलाया, जिसके कारण लाखों लोगों को भागना पड़ा और आज वो रोज़गार खोकर डर-भय के माहौल में जी रहे हैं, आरवाईए, लोगों के बीच भाजपा के इस मॉडल का पर्दाफाश करते हुए सम्मानजनक रोज़गार के सवाल पर नौजवानों की बड़ी गोलबंदी करेगा।”

आरवाईए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल ने कहा कि, "केंद्र की मोदी सरकार आज आज़ादी, लोकतंत्र, संविधान व भाईचारे पर हमला कर इसे कमज़ोर करने का प्रयास कर रही है। आरवाईए इसे किसी भी हालत में साकार नहीं होने देगा।

बता दें कि आरवाईए राष्ट्रीय परिषद ने सर्वसम्मति से आफताब आलम को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना। नवनिर्वाचित अध्यक्ष आफताब आलम ने परिषद को संबोधित करते हुए कहा, "आज नौजवानों के सामने जिस तरह की चुनौतियां हैं, इसे ध्यान में रखते हुए और साथ ही नौजवानों पर हो रहे हमले का मुकाबला करते हुए संगठन को और भी ज़्यादा मजबूत बनाने की ज़रूरत है। संगठन इस ज़रूरत को पूरा करेगा। देशभर में नफ़रत व उन्माद के ख़िलाफ़ और सम्मानजनक रोज़गार, आज़ादी, संविधान और भाईचारे को बचाने के लिए संसद के आगामी मानसून सत्र में एक देशव्यापी अभियान चलाया जाएगा।”

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