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फेक्ट चेक : फ़र्ज़ी वीडियो पहले शाहीन बाग़ और अब कोरोना के संबंध में वायरल

वीडियो की पड़ताल करने पर पाया गया कि इस वीडियो में जो दावा किया जा रहा है वो झूठा है। वीडियो का कोरोना और ग़रीबों की राहत सामग्री से कोई संबंध नहीं है।
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ग़रीबों के राहत कार्य में जुटे मुसलमान कोरोना वायरस फैला रहे हैं। इस दावे के साथ एक वीडियो वायरल किया जा रहा है।

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ये वीडियो भारतीय हिंदू सेना के फेसबुक पेज पर 11 अप्रैल 2020 को सुबह 8 बजकर 46 मिनट पर अपलोड किया गया है। वीडियो को इस लिंक पर आप देख सकते हैं। अकेले इसी अकाउंट पर इसे 12,000 से ज्यादा लोगों ने देखा है और 300 से ज्यादा लोगों ने शेयर किया है। इस अकाउंट के अलावा अन्य फेसबुक पेज और अकाउंट से भी इस वीडियो को वायरल किया जा रहा है।

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जब इस वीडियो को कीफ्रेम में तोड़कर रिवर्स इमेज सर्च किया गया तो पता चला कि ये वीडियो 15 दिसंबर 2018 को Basheer Bahrain नाम के यूट्यूब चैनल पर पब्लिश किया गया था। इसे आप इस लिंक पर देख सकते हैं

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यहीं पर मतलब साफ हो जाता है कि ये एक पुराना वीडियो है जिसका कोरोना की फिलहाल की परिस्थितियों से कोई संबंध नहीं है। वीडियो के बारे में यूट्यूब चैनल पब्लिशर ने वीडियो के कमेंट सेक्शन में जो बताया है उसका स्क्रीनशाट नीचे दिया गया है।

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वीडियो की जांच के दौरान ये भी पता चला कि इस वीडियो को शाहीन बाग़ के आंदोलन के दौरान भी वायरल किया गया था। उस समय दावा किया गया था कि गैर मुसलमानों को थूक वाली बिरयानी खिलाई जा रही है। इसे आप इस लिंक पर देख सकते हैं। Hindutav2 
नाम के यूट्यूब चैनल पर इसे 21 जनवरी 2020 को पब्लिश किया गया था। शीर्षक था

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“शाहीन बाग में बांटी जा रही बिरयानी का सच”।

फेसबुक पर Vedika Vedpathee अकाउंट पर भी इसे 21 जनवरी को शाहीन बाग़ के संदर्भ में डाला गया। जहां से 623 लोगों ने इसे साझा किया गया था।

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जिसे आप इस लिंक पर देख सकते हैं।

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वीडियो की पड़ताल करने पर पाया गया कि इस वीडियो में जो दावा किया जा रहा है वो झूठा है। वीडियो का कोरोना और ग़रीबों की राहत सामग्री से कोई संबंध नहीं है। इस वीडियो को फर्ज़ी सूचनाओं के साथ दो बार वायरल किया गया। पहली बार जनवरी में शाहीन बाग़ के संबंध में और दूसरी बार अप्रैल में कोरोना के संबंध में।

पाठकों से अपील है कि फेक न्यूज़ से सावधान रहें। किसी भी ऐसे पोस्ट, फोटो और वीडियो आदि को साझा और फार्वर्ड न करें जिसकी सत्यता की पुष्टि न हो।

(राज कुमार स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते रहते हैं।)

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