फीडबैक इकाई मामला: सीबीआई ने सिसोदिया के ख़िलाफ़ दर्ज की प्राथमिकी

नई दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आधिकारिक पद के कथित दुरुपयोग और ‘‘राजनीतिक जासूसी’’ के लिए शहर की फीडबैक इकाई का इस्तेमाल करने के मामले में दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
सिसोदिया को पहले सीबीआई ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में गिरफ़्तार किया था। इसके बाद आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें गिरफ़्तार किया और अभी वह जेल में हैं।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने सिसोदिया (51) और पांच अन्य के ख़िलाफ़ मंगलवार को कथित आपराधिक साज़िश, आपराधिक विश्वासघात, जालसाज़ी और भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक नया मामला दर्ज किया।
एजेंसी ने सिसोदिया, 1992 बैच के आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) अधिकारी सुकेश कुमार जैन (जो उस समय सतर्कता सचिव थे), सेवानिवृत्त केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) राकेश कुमार सिन्हा के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है। सिन्हा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विशेष सलाहकार और एफबीयू में संयुक्त निदेशक के रूप में काम कर रहे थे।
अधिकारियों ने बताया कि इनके अलावा खुफिया ब्यूरो के पूर्व संयुक्त उप निदेशक प्रदीप कुमार पुंज (जो फीडबैक इकाई के उप निदेशक के रूप में कार्यरत थे), सीआईएसएफ के सेवानिवृत्त सहायक कमांडेंट सतीश खेत्रपाल (जो फीडबैक अधिकारी के रूप में कार्यरत थे) और गोपाल मोहन (केजरीवाल के भ्रष्टाचार रोधी सलाहकार) के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है।
एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी, 403, 409, 468, 471, 477ए के अलावा भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
सीबीआई ने प्राथमिकी मंगलवार को दर्ज की और इसकी जानकारी बृहस्पतिवार को सामने आई।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री की योजना मनीष के ख़िलाफ़ कई झूठे मामले चलाने और उन्हें लंबे समय तक हिरासत में रखने की है।’’
PM’s plan is to slap several false cases against Manish and keep him in custody for a long period. Sad for the country! https://t.co/G48JtXeTIc
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 16, 2023
सीबीआई के अनुसार, आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभिन्न विभागों, स्वायत्त निकायों, संस्थानों के कामकाज के बारे में प्रासंगिक जानकारी तथा कार्रवाई योग्य प्रतिक्रिया एकत्र करने और किसी को ‘फंसाने की मंशा’ से 2015 में फीडबैक इकाई स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था।
एजेंसी ने आरोप लगाया कि वर्ष 2016 में गोपनीय सेवाओं पर होने वाले खर्च के मद से एक करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई।
एजेंसी के अनुसार, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में मंत्रिमंडल की एक बैठक में प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन इसका मकसद उसमें स्पष्ट नहीं किया गया। फीडबैक इकाई में नियुक्तियों के लिए उपराज्यपाल से कोई मंजूरी नहीं ली गई थी।
सीबीआई ने दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग के एक खुलासे पर जांच शुरू की। सतर्कता विभाग ने फीडबैक इकाई में अनियमितताओं का पता लगाया था।
(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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