बाबरी से संभल तक : भारत को और पीछे ले जाने की साज़िश!
क्या 1992 से 2024 के इन 32 सालों में कुछ नहीं बदला है। क्या अयोध्या वाकई झांकी थी। आज हर मस्जिद, मज़ार के नीचे मंदिर खोजा जा रहा है। इसे कैसे समझा जाए। इसी सब पर बात करने के लिए आज हमारे साथ हैं प्रसिद्ध लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता, डॉक्टर प्रोफ़ेसर राम पुनियानी।
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