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विडंबना: भारत में बढ़ते कोरोना मरीज़ और मृत्यु दर पर संतोष जताती सरकार

भारत में पहले कम मामले और बाद में मृत्यु कम होने का बार-बार सरकार की तरफ से उल्लेख होता रहा है, लेकिन सच्चाई इससे अलग है।
कोरोना वायरस
Image courtesy: Scroll

हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन

दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़्याल अच्छा है

                        -मिर्ज़ा ग़ालिब

भारत में 21, 51, 101 का अंक शुभ माना जाता है। दान-दक्षिणा हो या लेन-देन में 21, 51, 101 रुपये जो आगे हैसियत के हिसाब से हजारों और लाखों में जुड़ जाते हैं। लेकिन अभी हमारे सामने जो 51 हजार का अंक आया है वह शुभ नहीं अशुभ की श्रेणी में आता है। भारत में कोरोना से मौतों की संख्या 51 हजार से पार कर चुकी है। इसी तरह कोरोना मरीजों की संख्या में भी हम अन्य देशों को पीछे छोड़ते हुए कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या सोमवार 17 अगस्त को 26,47,663 और मंगलवार 18 अगस्त को 27,02,742  के साथ तीसरे नंबर पर हैं। भारत में 13, 14 व 15 अगस्त को नये कोरोना मरीजों की संख्या 64142, 65609 और 63,986 रही वहीं दुनिया के नम्बर वन संक्रमित देश अमेरिका में मरीजों की संख्या 55364, 60600, 53523 और दुनिया के नम्बर दो संक्रमित देश ब्राजील में मरीजों की संख्या 59147, 49274 और 38937 रही इस तरह से एक दिन में ज्यादा संक्रमित वाले देश का ‘तमगा’ भी भारत के नाम हो गया है।

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भारत के प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी को महाभारत की तरह 18 की जगह 21 दिन में जीत लेने का भरोसा दिलाया था और लोगों से कहा था कि वह अपने घर के दहलीज पर लक्ष्मण रेखा खींच ले और बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें, लोग घर के बुर्जुगों का ध्यान रखें। कोरोना से जंग जीतने के दौरान हमने कोरोना को हराने और भगाने में शंख-घड़ियाल भी बजाए और दीए-मोमबत्ती भी जला लिए। यहां तक कि हमारे वायु सेना के सी-130 जे, सुपर हरक्यूलिस ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से लेकर सुखोई 30, एमकेआई, मिग 29 और जगुआर फाइटर जैसे विमानों को लगाया गया था। सेना के बैंड ने विभिन्न कोरोना अस्पतालों के सामने बैंड बजाया, नौसेना के जंगी जहाजों ने विशाखापट्टनम, पोरबंदर, कारवाड़, चेन्नई, कोच्चि, मुम्बई के गेटवे ऑफ इंडिया के पास नौसेना के जहाजों ने भी सायरन बजाये, लाइट जलाई और आतिशबाजी की। ये सब देखकर ऐसा लगा कि कोरोना के खिलाफ भारत जंग जीत चुका है। सेना इधर कोरोना वरियर्स का अभिनन्दन कर रही थी और उधर चीन भारत के क्षेत्र पर कब्जे जमा रहा था।

भारत में चार चरणों में 68 दिन का पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया उस समय कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 536 से बढ़कर 1,90,609 हो गई। भारत में कोरोना महामारी को खत्म करने के लिए गौमूत्र पार्टी, कोरोना मईया की पूजा, भाभी जी पापड़, हनुमान चालीसा पढ़ना, रामदेव की कोरोनिल दवाई इत्यादि उपाय सामने आये। यहां तक ज्योतिषियों ने कहा कि सूर्यग्रहण (21 जून, 2020) के बाद कोरोना महामारी का दौर कम हो जाएगा लेकिन मामले 4,26,910 से बढ़कर आज 27,02,742  हो गए। उसके बाद अनलॉक फेस वन, टू और थ्री चलाया गया है।

अनलॉक टू की समाप्ति पर 31 जुलाई 2020 को संख्या 16,97,054 हो गई। इस दौरान कई राजनेता, डॉक्टर, ऐक्टर कोरोना संक्रमण के शिकार हो चुके थे। इसी दौरान 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या में राम जन्मभूमि शिलान्यास का समय तय कर दिया गया। शिलान्यास से पहले रामलला के दो पुजारी और कुछ पुलिसकर्मी भी कोरोना संक्रमित मिले थे। 2 अगस्त को उत्तर प्रदेश की मंत्री कमल रानी का कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। 4 अगस्त तक भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत की संख्या 39,820 हो चुकी थी जिसमें 180 से अधिक डॉक्टरों की संख्या रही हैं। इसके बावजूद 5 अगस्त को राम जन्मभूमि का शिलान्यास प्रधानमंत्री द्वारा किया गया। प्रधानमंत्री अपने सम्बोधन में जिस लक्ष्मण रेखा को पार न करने का बार-बार उल्लेख करते रहे हैं वही प्रधानमंत्री अपने ही बातों का उल्लंघन करते हुए 5 अगस्त को अयोध्या पहुंचे। बुजुर्गों का ध्यान रखने को कहने वाले प्रधानमंत्री खुद 69 वर्ष के हैं।

इसके अलावा आरएसएस प्रमुख की भी उम्र 69 साल है। यहां तक कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की उम्र 81 साल है। यह सभी लोग राम जन्मभूमि शिलान्यास में शामिल हुए। इसके कुछ दिन बाद महंत नृत्य गोपाल दास भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए जिन्हें उत्तर प्रदेश के अस्पताल में नहीं हरियाणा के मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया। नियमों के तहत कोरोना पॉजिटिव हुए लोगों के सम्पर्क में आए लोगों को 14 दिन का एकांतवास में जाना चाहिए लेकिन इस केस में ऐसा होता नहीं दिखा। इस सवाल को मीडिया में कोई जगह भी नही दी गई।

भारत में पहले कम मामले और बाद में मृत्यु कम होने का बार-बार सरकार की तरफ से उल्लेख होता रहा है, लेकिन सच्चाई इससे अलग है। हम जब दूसरे देश से तुलना करते हैं तो एक तरह की जलवायु और एक तरह के जीवन स्तर जीने वाले देशों में तुलना की जाती है। अलग-अलग जलवायु और अलग तरह के जीवन स्तर जीने वाले देशों में बीमारी से लड़ने की क्षमता अलग-अलग होती है। मार्च माह के अंतिम सप्ताह में भारत की मीडिया पाकिस्तान में कोरोना मरीजों की संख्या और होने वाली मौतों की रिर्पोट लगातार छापती रही है यहां तक कि कुछ मीडिया चैनल द्वारा हेडलाईन भी बनाई गई कि ‘कोरोना की मौत मरेगा पाकिस्तान’। अप्रैल से पाकिस्तान पर कोरोना की बात होनी ही बंद हो गयी, आखिर क्यों? भारत में 25 मार्च, 2020 को कुल 657 कोराना से संक्रमित (इस संख्या में मृतक और ठीक हुए भी मरीज हैं) थे तो पाकिस्तान में 1063 और भारत में 31 मार्च को 1397 कोरोना संक्रमित थे तो पाकिस्तान में 1717 थे। यही कारण है कि भारत की मीडिया पाकिस्तान को कोरोना की मौत मार रही थी।

भारत में 30 अप्रैल को कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 34,863 हो गई जबकि पाकिस्तान में 16473 कुल कोरोना संक्रमित हुए थे, यही कारण है कि भारत की मीडिया ने पाकिस्तान के आंकड़े देने बंद कर दिये। भारत में 16 अगस्त तक कुल कोरोना संक्रमित 26,47316 तथा पाकिस्तान में 2,88,717, बांग्लादेश में 2,76,549, नेपाल में 26,660, श्रीलंका में 2,893,  म्यांमार (बर्मा) में 375, और भूटान में 138 ही है। यह सभी देश दक्षिण-एशियाई तकरीबन एक ही जलवायु जैसे हैं और यहां का जीवनस्तर, स्वास्थ्य सेवाओं जैसी मूलभूत सुविधाओं में भी काफी समानताएं हैं। इस देश में ज्यादातर लोगों में बचपन से ही रोगाणुओं से लड़ने को लेकर एक प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है जो कि अन्य विकसित देशों के लोगों से ज्यादा होती है। भारत में प्रति दस लाख आबादी पर 37, पाकिस्तान में 28, बांग्लादेश में 22, नेपाल में 4, श्रीलंका में 1, म्यांमार में 0.1, और भूटान में 0 है। सरकार जो प्रचारित कर रही है कि भारत में मृत्यु दर कम है यह तथ्यपरक नहीं है।

अगर हम यूरोपियन और अमेरिका को देखें वहां बुजुर्ग जनसंख्या काफी है जबकि भारत में 40 साल तक की उम्र वाली जनसंख्या करीब 65 प्रतिशत है वहां के जलवायु भी अलग तरह की है तो भारत की तुलना अमेरिका और यूरोप से नहीं हो सकती इसकी तुलना दक्षिण एशियाई देशों से ही हो सकती है। अगर जनसंख्या के आधार पर देखें तो इसकी तुलना चीन से की जा सकती है जहां से कोरोना महामारी की शुरूआत हुई अभी वहां मरीजों की संख्या 84849 ही है और मृत्यु 5783 हुई है यानी प्रति दस लाख आबादी पर तीन लोगों की मौत हुई है। अभी यह प्रचार करना कि भारत में मृत्यु दर कम है ऐसी हालत में ‘‘दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़्याल अच्छा है। जब हम कोरोना के बढ़ते प्रभाव को 21 दिन क्या 145 दिन में भी नहीं रोक पाये तो हम मृत्यु दर पर संतोष व्यक्त करने का बहाना ढूंढ लिया।

स्रोत : वर्ल्डमीटरस.इनफो व https://covid.newsclick.in/

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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