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सरकार का पूरा ज़ोर पर्यावरण और वन क़ानूनों को कमज़ोर करने पर : कांग्रेस

"आज विश्व पर्यावरण दिवस है और निसंदेह स्वघोषित पर्यावरण-प्रेमी अपना ज्ञान देंगे। लेकिन सच्चाई यह है कि उनका पूरा ज़ोर पर्यावरण और वन क़ानूनों एवं नियमों को पूरी तरह से कमज़ोर करने पर है।"
jairam ramesh

कांग्रेस ने सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उसका पूरा जोर पर्यावरण एवं वन से संबंधित कानूनों को कमजोर करने पर है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर यह दावा भी किया कि सरकार आगे भी इन कानूनों पर हमले की तैयारी कर रही है।

रमेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन संबंधी संसद की स्थाई समिति के प्रमुख भी हैं।

उन्होंने सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, "आज विश्व पर्यावरण दिवस है और निसंदेह स्वघोषित पर्यावरणप्रेमी अपना ज्ञान देंगे। लेकिन सच्चाई यह है कि उनका पूरा ज़ोर पर्यावरण और वन कानूनों एवं नियमों को पूरी तरह से कमज़ोर करने पर है।"

पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने आरोप लगाया, "पर्यावरणीय स्वीकृति से संबंधित कानूनों को अत्यधिक उदार बनाया गया है। मेरी अध्यक्षता वाली स्थायी समिति को वन संरक्षण अधिनियम, 1980 में संशोधनों के लिए जानबूझकर अलग रखा गया।"

उनका यह भी कहना है, "जनजातीय समुदायों के अधिकारों को मान्यता देने वाले वन अधिकार अधिनियम, 2006 को क्षमताहीन कर दिया गया। राष्ट्रीय हरित अधिकरण की शक्तियां छीन ली गईं। हाथियों का व्यापार खुले रूप से हो रहा है।"

रमेश ने दावा किया, "सरकार पर्यावरण एवं वन से जुड़े कानूनों पर अभी और हमले की योजना बना रही है। वहीं पर्यावरण से जुड़े आंदोलनों को दबाया जा रहा है और आंदोलनकारियों को डराया जा रहा है। पर्यावरण को लेकर वैश्विक स्तर पर की जा रही बातों और देश में हो रहे कार्यों में ज़मीन आसमान का अंतर है।"

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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