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देश में जारी ऑक्सीजन संकट के बीच भारत सरकार ने ओपेक देशों से मांगी मदद

शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश के 24 राज्यों में फिलहाल 15 फीसदी से अधिक संक्रमण दर है और नौ राज्यों में यह दर पांच से 15 फीसदी के बीच है।
देश में जारी ऑक्सीजन संकट के बीच भारत सरकार ने ओपेक देशों से मांगी मदद

नयी दिल्ली: कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के खिलाफ लड़ाई में चिकित्सीय ऑक्सीजन जुटाने के लिए भारत ने ओपेक देशों खासकर सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और कुवैत का रुख किया है। देशभर में आज के समय  ऑक्सीजन की किल्ल्त है दिल्ली , बिहार उत्तर प्रदेश , तमिलनाडु और कर्नाटक गंभीर संकट से जूझ रहे है।  इसी संकट से निपटने के लिए भारत सरकार अब विदेशों से मदद ले रही है।

तेल मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कोविड मरीजों के इलाज के लिए देश में चिकित्सीय ऑक्सीजन की भारी कमी को पूरा करने के लिए भारत के पारंपरिक तेल आपूर्तिकर्ताओं की तरफ रुख किया और सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, कतर और बहरीन के अपने समकक्षों के साथ विचार-विमर्श किया।

प्रधान ने ट्विटर पर लिखा, "पिछले हफ्ते मैंने सऊदी अरब, यूएई और कतर के अपने समकक्षों के साथ भारत में एलएमओ (तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन) का आयात बढ़ाने के तरीकों पर करीबी विचार-विमर्श किया। मैं खासकर यूएई, कुवैत, बहरीन और सऊदी अरब की ओर से मुफ्त एलएमओ की प्ररंभिक आपूर्ति के साथ साथ सदभावना दिखाने की सराहना करता हूं।"
 
दिल्ली में कम से कम चार निजी अस्पतालों ने शुक्रवार को चिकित्सीय ऑक्सीजन की कमी को लेकर अधिकारियों को त्राहिमाम संदेश (एसओएस) भेजा।

मयूर विहार स्थित कुकरेजा अस्पताल, तुगलकाबाद औद्योगिक क्षेत्र में स्थित बत्रा अस्पताल, पूसा रोड स्थित सर गंगाराम-कोलमेट अस्पताल तथा कालकाजी स्थित आईरीन अस्पताल ने एसओएस भेजा।

सरकार के अधिकारियों ने एसओएस पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए आईरीन अस्पताल और कुकरेजा अस्पताल में तीन डी-टाइप सिलेंडरों की आपूर्ति की।

अधिकारियों ने कहा एक ऑक्सीजन टैंकर से बत्रा अस्पताल और कुकरेजा अस्पताल को ऑक्सीजन भेजी गई।

कर्नाटक के लोगों को अधर में नहीं छोड़ सकते : उच्चतम न्यायालय

देश के बाकि कई राज्यों की तरह ही कर्नाटक भी ऑक्सीजन की कमी से हाँफ रहा है।   उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को कोविड-19 मरीजों के इलाज के वास्ते राज्य के लिए ऑक्सीजन का आवंटन 965 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 1200 मीट्रिक टन करने का निर्देश देने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश में शुक्रवार को हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि कर्नाटक के लोगों को लड़खड़ाते हुए नहीं छोड़ा जा सकता है।

न्यायमूर्तिडी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि पांच मई का उच्च न्यायालय का आदेश जांचा-परखा और शक्ति का विवेकपूर्ण प्रयोग करते हुए दिया गया है।

शीर्ष अदालत ने केंद्र की उस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि अगर प्रत्येक उच्च न्यायालय ऑक्सीजन आवंटन करने के लिए आदेश पारित करने लगा तो इससे देश के आपूर्ति नेटवर्क के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी।

पीठ ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को कहा कि उसने घटनाक्रम का अध्ययन किया है और वह कह सकती है कि यह “कोविड-19 के मामलों की संख्या को संज्ञान में लेने के बाद पूरी तरह से परखा हुआ, विचार किया हुआ और शक्ति का विवेकपूर्ण प्रयाग करते हुए लिया गया फैसला है। हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे।”

इसमें कहा गया कि आदेश केंद्र को राज्य सरकार के प्रतिवेदन पर विचार करने से और तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन (एलएमओ) की आपूर्ति के समाधान की प्रणाली पर परस्पर काम करने से रोकता नहीं है।

मेहता ने कहा कि हर राज्य को ऑक्सीजन चाहिए लेकिन उनकी चिंता यह है कि अगर प्रत्येक उच्च न्यायालय उक्त मात्रा में एलएमओ आवंटन का निर्देश देने लगें तो यह बड़ी समस्या हो जाएगी।

पीठ ने कहा कि वह व्यापक मुद्दे पर गौर कर रही है और “हम कर्नाटक के नागरिकों को लड़खड़ाते हुए नहीं छोड़ सकते हैं।’’

इसने कहा कि उच्च न्यायालय ने तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार किए बिना आदेश पारित नहीं किया है और यह राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 मामलों को देखते हुए न्यूनतम 1165 मीट्रिक टन एलएमओ के अनुमान पर आधारित है।

पीठ ने कहा, “उच्च न्यायालय ने अस्थायी आदेश पारित करने के लिए पर्याप्त कारण बताएं हैं यह ध्यान रखते हुए कि राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम 1165 मीट्रिक टन एलएमओ की मांग का अनुमान रखा गया था। उच्च न्यायालय का निर्देश केवल कुछ समय के लिए है और यह केंद्र एवं राज्य के बीच परस्पर समाधान प्रणाली से रोकता नहीं है।”

इसने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय ने ऑक्सीजन की कमी के चलते चामराजनगर एवं कलबुर्गी तथा अन्य स्थानों पर हुई लोगों की मौत पर भी विचार किया है और कहा, “न्यायाधीश भी इंसान होते हैं और वे भी लोगों की पीड़ा को देख रहे हैं। उच्च न्यायालय अपनी आंखें बंद नहीं रखते हैं।”

केंद्र ने बृहस्पतिवार को अपील दायर कर कहा था कि उच्च न्यायालय ने बेंगलुरु शहर में ऑक्सीजन की कथित कमी के आधार पर आदेश पारित किया है और इससे एलएमओ के आपूर्ति नेटवर्क व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और यह व्यवस्था पूरी तरह ढह जाएगी।

कोविड-19 संक्रमण दर वर्तमान में 24 राज्यों में 15 फीसदी से अधिक : स्वास्थ्य मंत्रालय

देश में कोविड-19 संक्रमण से हाहाकार मज़ा हुआ है , सरकारों की व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गई है।  वर्तमान में 12 राज्यों में कोरोना वायरस के उपचाराधीन मरीजों की संख्या एक लाख से अधिक है जबकि सात राज्यों में यह संख्या 50 हजार से एक लाख के बीच है। यह जानकारी शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी।

मंत्रालय ने बताया कि देश के 24 राज्यों में फिलहाल 15 फीसदी से अधिक संक्रमण दर है और नौ राज्यों में यह दर पांच से 15 फीसदी के बीच है।

इसने बताया कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और छत्तीसगढ़ उन राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल हैं जहां कोविड-19 के रोजाना मामलों में लगातार कमी आ रही है।
मंत्रालय ने बताया कि बहरहाल, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और ओडिशा उन राज्यों में शामिल हैं जहां संक्रमण की दर बढ़ रही है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से कहा कि जो लाभार्थी कोविड-19 टीके की दूसरी खुराक का इंतजार कर रहे हैं उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए और अनुशंसित टीकाकरण कार्यक्रम को समय पर पूरा किया जाए।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

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