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ग्राउंड रिपोर्टः  यूपी में सवा सौ से ज्यादा बच्चों की मौत, अभी और कितनी जान लेगा 'मिस्ट्री फीवर'!

रंग-बिरंगी चूड़ियों के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के साथ ही दुनिया की पुरातन सांस्कृतिक नगरी काशी (बनारस) में रहस्यमयी फीवर का कहर बरपा हुआ है। पश्चिम से पूरब तक मिस्ट्री फीवर का खौफ है। सूबे में सवा सौ से अधिक बच्चों की मौतें हो चुकी हैं और ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।
ग्राउंड रिपोर्टः  यूपी में सवा सौ से ज्यादा बच्चों की मौत, अभी और कितनी जान लेगा 'मिस्ट्री फीवर'!

वाराणसी शहर से सटे फुलवरिया गांव के 32 वर्षीय डिंपल श्रीवास्तव तीन दिन से काफी तेज बुखार से तप रहे थे। परिवार के लोग उन्हें अपने फैमली डाक्टर के पास ले गए, लेकिन 6 सितंबर 2021 को तड़के उनकी मौत हो गई। डिंपल ढोल बजाने वाले पूर्वांचल के नायाब फनकार थे। उनकी मौत से मां श्रीमती कृष्णा श्रीवास्तव सदमें में हैं। रो-रोकर उनका बुरा हाल है। इनके पड़ोसी पूर्व जिला पंचायत सदस्य दिलीप मिश्र कहते हैं, "बुखार रहस्यमयी था। शरीर तपने लगा तो डॉक्टर को दिखाया। शायद डॉक्टर भी बीमारी को नहीं बूझ पाए। जानलेवा बीमारी को मामूली वायरल बुखार समझ बैठे। जब शरीर जोरों से तपने लगा और उल्टियां होने लगीं तो उन्हें लेकर फिर डाक्टर के यहां भागे, मगर रास्ते में ही दम टूट गया। इलाज का मौका ही नहीं मिला। बीमारी इतनी तेजी से आई कि समझते-समझते देर हो गई।"  ढोलकिया डिंपल के पिता रेलवे में मुलाजिम थे। कुछ साल पहले उनकी भी मौत हो गई थी। मां की पेंशन और डिंपल श्रीवास्तव के गीत-गवनई से ही परिवार का खर्च चलता था।

डिंपल श्रीवास्तव

डेंगू और रहस्यमयी बुखार के चलते फुलवरिया गांव के लोग करीब एक महीने से दहशत में हैं। यहां लगातार मौतें हो रही हैं। फुलवरिया में रहकर डिवाइन सैनिक स्कूल में नवीं कक्षा में पढ़ने वाले आयुष कुमार मौर्य (14) की 9 सितंबर को मौत हो गई। आयुष को सुंदरपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बनारस के कोइरीपुर के संजय कुशवाहा का पुत्र आयुष काफी होनहार था। संजय सेना से रिटायर हुए हैं। बेटे के गम में आयुष की मां पुष्पांजलि देवी के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। उन्होंने खाना-पीना भी छोड़ दिया है।

आयुष 

फुलवरिया के डा.वैभव सिंह कहते हैं, " बनारस शहर के जल-प्लावन वाले इलाके के चाहे जिस घर में घुस जाइए, दो-चार लोग बुखार से कराहते मिलेंगे। अबकी बड़ी संख्या में बच्चे नए तरह के बुखार की चपेट में आ रहे हैं। मिस्ट्री फीवर के रूप में चर्चित हो रही यह बीमारी बनारस के साथ आसपास के लोगों को अपने खौफनाक शिकंजे में जकड़ रही है। फुलविरया के पास के गांव भिटारी, महेशपुर, बेदौली, मड़ौली नई बस्ती, नाथूपुर में मिस्ट्री फीवर के खौफ का मंजर है। इस रहस्यमयी बीमारी से लोग खासे भयभीत हैं। खौफजदां लोगों को लगता है कि शायद यह कोरोना का जुड़वा भाई है जो तीसरी लहर बनकर तबाही मचाने आया है।" फुलवरिया का अमन शर्मा, कृष्णा यादव, गरीब पटेल, विजय मिश्र, जय नारायण शर्मा समेत बड़ी संख्या में लोग रहस्यमयी बुखार की चपेट में हैं।

अमन शर्मा

जय नारायण

बुखार का कहर या तीसरी लहर?

मड़ौली-नई बस्ती के रुस्तम अली बताते हैं, "हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर यह कैसा बुखार है? शायद डॉक्टरों को भी समझ में नहीं आ रहा है। लक्षण डेंगू जैसे हैं, लेकिन दवाएं कोरोना की चलाई जा रही हैं। मड़ौली में राजनारायण, सुनील, अभिषेक, सुभाष गौतम, साक्षी सिंह, सुजीत राय, बिचित्र सिंह, पूनम, मरियम बेगम समेत न जाने कितने लोग रहस्यमयी बुखार की चपेट में हैं।मोहल्ले में ऐसा कोई घर नहीं है जहां अधिसंख्य बच्चे सही-सलामत हों। शहर के अस्पतालों में जगह ही नहीं है। कुछ बच्चों को भर्ती कर लिया गया, लेकिन बाक़ी सब अपने घर में चारपाई पर पड़े हैं। दवाई लाए हैं, वही दे रहे हैं।"

नाथूपुर के रामकेश पटेल कहते हैं, "हमारे पड़ोस की लड़की गुड़िया अस्पताल में जीवन-मौत से जूझ रही है। गुड़िया की तरह नगीना, सुनीता सहित कई लोग तेज बुखार वाली बीमारी की चपेट में हैं। तेज बुखार से तप रहे लोगों में ज़्यादातर बच्चे ही हैं, हालांकि कुछ वयस्क भी इसकी जद में हैं। कुछ को सरकारी ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, लेकिन ज़्यादातर बच्चे घर में ही डॉक्टरों की बताई गई कुछ दवाओं के सहारे ज़िंदा हैं।"

डेंगू, मलेरिया के अलावा रहस्यमयी बुखार से बनारस का बीएचयू हास्पिटल, श्री शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल कबीर चौरा और पंडित दीनदयाल जिला अस्पताल में मरीजों का जमघट लगा है। बनारस के अस्पतालों में बुखार के रोजाना तीन-चार सौ मरीज पहुंच रहे हैं। कोरोना की तीसरी लहर से पहले ही यहां रहस्यमयी बुखार ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। बनारस का स्वास्थ्य महकमा भी मानता है कि अबकी डेंगू, मलेरिया और दूसरे तरह के जानलेवा बुखार के मरीजों में अप्रत्याशित ढंग से पांच गुना से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है।

अस्पताल में जुटी भीड़

वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कुमार कहते है, "बुखार से मरने वालों के बारे में प्रशासन जो आंकड़ा गिना रहा है वह काफी कम है। अनाधिकारिक तौर पर मृतकों की संख्या इस बार पांच गुना से ज्यादा है। वजह यह है कि बहुत से बच्चों की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो रही है। ये मौतें सरकारी आंकड़ों में दर्ज नहीं हो पा रही हैं।"

प्रदीप कहते हैं, "किसी बीमारी से लड़ने के लिए झूठ से जागरुकता पैदा नहीं होती। भारत को झकझोर देने वाले कोरोना वायरस की दूसरी लहर खत्म हो गई है या तीसरी लहर शुरू हो गई है, यह समझे बिना रोजाना संक्रमितों की संख्या गायब होती जा रही है। अबकी बुखार से अधिसंख्य बच्चे बीमार हो रहे हैं इसलिए इसे तीसरी लहर से जोड़कर देखा जा रहा है। रहस्यमयी बुखार जिस रफ्तार से लोगों को जिंदगियां निगलने लगा है, वह काफी भयावह है। चिकित्सक बता रहे हैं कि यह जानलेवा बुखार गंदगी के चलते तूफानी रफ्तार से फैल रहा है। मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और वायरल फीवर भी मिस्ट्री फीवर के आगे नतमस्तक हैं।

बनारस को स्मार्ट कहें या डर्टी सिटी?

बनारस के चाहे जिस इलाके में चले जाइए कूड़े-कचरे के बड़े-बड़े ढेर दिख जाएंगे। कहीं खुला नाला-नालियां मिलेंगी तो कहीं बारिश अथवा सीवर के पानी से बजबजाती गलियां मिलेंगी। वाराणसी में कैंट इलाके के समाजसेवी शैलेंद्र सिंह कहते हैं, "बनारस शहर गंदगी से पटता जा रहा है। कुछ खास इलाकों को छोड़ दें तो लगता ही नहीं कि हम स्मार्ट सिटी में रह रहे हैं। बनारस स्मार्ट सिटी नहीं, डर्टी सिटी है। सफ़ाई के बाद भी यहां ऐसा दिखता है जैसे सफ़ाई हुई ही न हो।"

स्मार्ट सिटी बनारस की एक सड़क

बीमारियों को दावत देती जलमग्न गलियां

हालांकि वाराणसी के नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. एनपी सिंह लगातार यह दावा कर रहे हैं, "सभी इलाक़ों में सफ़ाई की जा रही है। जल निकासी का जिम्मा जल संस्थान का है। फिर भी नगर निगम काफी मुश्तैद है। जरूरी दवाओं का छिड़काव कराया जा रहा है। गंभीर मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है। डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, जापानी बुखार के अलावा लेप्टोस्पाइरोसिस और स्क्रब टाइफस की जांच कराई जा रही है।"

वाराणसी शहर के ज्यादातर लोगों का मानना है कि ये दावे सिर्फ़ कागज़ी हैं या फिर कुछ चुनिंदा जगहों पर छिड़काव इत्यादि करके खानापूर्ति की जा रही है। मलिन बस्तियों में सन्नाटा पसरा हुआ है। ऐसा शायद ही कोई घर हो जहां कोई तेज बुख़ार से तप न रहा हो?

डेंगू से लड़कर कुछ रोज पहले चंगा हुए जय मौर्य कहते हैं, "पिछले महीने से बुखार के मामले बढ़ने शुरू हो गए थे। राहत की बात है कि अब तक कोई भी बीमार बच्चा कोविड पॉज़िटिव नहीं पाया गया है। डेंगू बुख़ार सिर्फ़ बच्चों को ही प्रभावित नहीं करता है, बल्कि बड़ों को भी अपनी चपेट में लेता है। बच्चों में बुख़ार की वजह मानसून के मौसम में पूर्वांचल के इलाक़ों में होने वाली जापानी इंसेफ़ेलाइटिस या एक्यूट इंसेफ़ेलाइटिस सिंड्रोम जैसी बीमारी भी हो सकती है। जो भी बच्चे बुख़ार से पीड़ित हैं उनमें जापानी बुखार जैसे लक्षण नहीं दिखे हैं। बच्चों में इसलिए यह ज़्यादा असर कर रहा है, क्योंकि बच्चों का प्रतिरक्षा तंत्र उतना मज़बूत नहीं होता जितना कि वयस्कों का।"

अस्पतालों में खाली नहीं बिस्तर

बीएचयू में इतनी बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं कि उन्हें बेड तक नसीब नहीं है। इमरजेंसी और ओपीडी में डेंगू और रहस्यमयी बुखार से ग्रसित मरीजों की बढ़ती संख्या के बाद अस्पताल प्रशासन ने शताब्दी सुपर स्पेशियल्टी ब्लॉक में इलाज शुरू करने का निर्णय लिया है। बीएचयू के जनरल मेडिसिन और बाल-रोग विभाग के तीस-तीस बेड डेंगू और बुखार के मरीजों के लिए आवंटित किए गए हैं। इस अस्पताल में एक बेड पर दो-दो बच्चों का इलाज चल रहा था। साथ ही बेड भरने के कारण बाहर स्ट्रेचर पर मरीजों को इलाज कराने पर विवश होना पड़ रहा था। बीएचयू के सरसुंदर लाल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता ने दावा किया है कि सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में डेंगू और बुखार के मरीजों का उपचार शुरू होने के बाद मरीजों की दिक्कतें काफी कम हो गई हैं। हालांकि गैर-राज्यों के मरीजों के यहां आने से स्थिति अभी सामान्य नहीं हो पाई है। बीएचयू के बाल रोग विभाग में अभी भी बिस्तरों के लिए मारा-मारी की स्थिति है।  

पूर्वी उत्तर प्रदेश में बच्चों में दिखने वाले रहस्यमयी फ्लू की चपेट में कई बच्चे आ रहे हैं। कई बच्चों को गंभीर बुखार हो गया, जिनमें से कुछ जोड़ों में दर्द, सिरदर्द और मतली का कारण बने। कुछ को हाथ और पैरों में सोरायसिस था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वांचल में कम से कम सवा सौ से अधिक बच्चों की मौत डेंगू और बुखार से हुई है। सैकड़ों बच्चे प्रदेश भर के सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों में भर्ती हैं। मरने वाला कोई भी व्यक्ति कोरोना से संक्रमित नहीं रहा। घनी आबादी वाले राज्य में तेजी से फैल रही इस “रहस्यमय बीमारी” की खबर ने काफी डर पैदा कर दिया है।

फिरोजाबाद में बच्चे की मौत के बाद विलाप करती महिलाएं

"मिस्ट्री फीवर की बात कोरी कल्पना"

वाराणसी के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वीबी सिंह कहते हैं, "कोई बुखार रहस्यमय नहीं है। मिस्ट्री फीवर की बात कोरी कल्पना है। आमतौर पर डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, जापानी बुखार के अलावा लेप्टोस्पाइरोसिस और स्क्रब टाइफस के चलते बुखार आ रहा है। समय से सही इलाज कराने पर इन बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है। कोविड की तर्ज पर जिले भर में घर-घर रोगियों का सर्वे किया जा रहा है। साथ ही दवाएं दी जा रही हैं। पांडेयपुर स्थित जिला अस्पताल में मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनाए गए हैं।"

वाराणसी के श्री शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. प्रसन्ना कहते हैं, “उत्तर प्रदेश में कई तरह के बुखार लोगों की जान ले रहे हैं। डेंगू और मलेरिया से सभी वाकिफ हैं, लेकिन लेप्टोस्पाइरोसिस और स्क्रब टाइफस पहली बार खौफनाक ढंग से बढ़े हैं। इनके इंफेक्शन से फेफड़े में सूजन आ जाती है। रोगी को पता ही नहीं चलता, जान चली जाती है। इनका जोखिम कोरोना और डेंगू से कम नहीं है। जो दवाएं कोरोना के रोगियों को दी जाती हैं, उन्हीं से लेप्टोस्पाइरोसिस और स्क्रब टाइफस का भी उपचार होता है। फिरोजाबाद और वाराणसी में तेज बुखार से जिन लोगों की मौतें हुई हैं, उनमें लेप्टोस्पाइरोसिस अथवा स्क्रब टाइफस का संक्रमण था।”

डॉ. प्रसन्ना के मुताबिक, “लेप्टोस्पाइरोसिस एक जल जनित रोग है, जो किसी संक्रमित और चूहे के मूत्र से सीधे संपर्क में आने से हो सकता है। ये रोग लेप्टोस्पाइरा बैक्टीरिया की वजह से मानसून सीजन में ज्यादा होता है। इससे बचने के लिए आपको बारिश के पानी से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ये बैक्टीरिया खरोंच या कट के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकता है। इस बैक्टीरिया के शरीर में जाने पर ठंड और सिरदर्द की समस्या हो सकती है। इस रोग का इलाज प्रारंभिक अवस्था में कराने से आप किडनी या लीवर को खराब होने से बचाया जा सकता है। उल्टी-दस्त या डायरिया इसके अन्य आम लक्षण हैं। सही समय पर इलाज कराने से तीन हफ्ते में राहत मिल सकती है। बाद में यह बीमारी दिमागी बुखार का कारण बन सकती है।”

“लेप्टोस्पाइरा बैक्टीरिया की वजह से मरीज को तेज बुखार और शरीर में दर्द होने लगता है। इसके लक्षण डेंगू की तरह होते हैं। इसमें भी हेमरैजिक फीवर हो सकता है। हालांकि इसका दर्द ज्यादा पीड़ादायक होता है। मरीज को पीलिया हो सकता है और उसकी आंखें पीली हो सकती हैं। थोड़ी देर बाद रोगी की आंखें लाल भी हो सकती हैं। लेप्टोस्पाइरोसिस से पीड़ित रोगी के शरीर पर चकत्ते हो सकते हैं, क्योंकि प्लेटलेट काउंट्स कम हो जाते हैं।

गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग की डॉक्टर मीनाक्षी अवस्थी कहती हैं, “लेप्टोस्पायरोसिस में तेज बुखार, सिर दर्द, शरीर में दर्द, आंखों का लाल होना,पीलिया, जोड़ों में दर्द, थकान, ठंड, दिमागी बुखार, बहरापन के अलावा सांस लेने में दिक्कत होती है। मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है और शरीर कमजोर होने लगता है। किडनी और लीवर पर यह बीमारी जोरों से हमला करती है तो मरीज कोमा में चला जाता है।”

खराब सीवरेज सुविधाओं, बच्चों में कुपोषण और खराब स्वच्छता के कारण हर साल बरसात के मौसम में “रहस्यमयी बुखार” आने की खबरें पहले भी आती रही हैं। यह पता नहीं चल पाया है कि उत्तर प्रदेश में मौतों का कारण डेंगू था या नहीं। विशेषज्ञों के मुताबिक स्क्रब टाइफस एक कीट के कारण होने वाला जीवाणु संक्रमण है। ये कीट बरसात के मौसम में पौधों पर पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों को ये कीट घरों में रखे जलाऊ लकड़ी में भी मिले हैं। जो बच्चे इन लट्ठों को संभालते हैं और जो बच्चे बाहर शौच करते हैं, उनके स्क्रब टाइफस से प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है।

बनारस के ख्यात चिकित्सक डॉ.एसएस गांगुली कहते हैं, “मानसून के मौसम के बाद क्षेत्र में कई बुखार होते हैं। इन बीमारियों की निगरानी और इलाज के लिए उचित निगरानी की जरूरत है। डेंगू मादा मच्छरों से फैलता है। यह रोग भारत में सैकड़ों वर्षों से प्रचलित है। यह बीमारी 100 से अधिक देशों में फैल चुकी है। लेकिन इनमें से 70 फीसदी एशियाई देश हैं। डेंगू के चार वायरस होते हैं। वयस्कों की तुलना में दूसरी बार संक्रमित होने पर बच्चों के डेंगू से मरने की संभावना पांच गुना अधिक होती है। इस प्रकार का मच्छर, जिसे एडीज एजिप्टी भी कहा जाता है, मीठे पानी के क्षेत्रों में पैदा होता है। मच्छर जनित वायरस को हर हाल में नियंत्रित करना होगा। साफ-सफाई से ही इन बीमारियों से बचा जा सकता है।”

यूपी में बेकाबू हो रही स्थिति

उत्तर प्रदेश 20 करोड़ की आबादी वाला राज्य है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोंडा, बस्ती, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा, मैनपुरी, एटा, कासगंज और उन्नाव आदि जिलों में बड़ी संख्या में लोग जानलेवा बुखार से प्रभावित हुए हैं। डॉक्टरों का मानना है कि मौत का कारण मच्छर जनित डेंगू हो सकता है। रहस्यमयी बुखार की जद में आने वाले रोगियों के प्लेटलेट्स अचानक नीचे चले जाते हैं और शरीर का खून थक्का बनने लगता है। बाद में रोगी की जान चली जाती है। यह कम प्लेटलेट काउंट गंभीर डेंगू का संकेत है।

बुखार से बेहाल बच्चे

देवरिया, बलिया, आज़मगढ़, सुल्तानपुर और गाज़ीपुर में भी बुखार फैल रहा है। सरकारी अस्पतालों के बिस्तर फुल हो गए हैं। माना जा रहा है कि पूर्वांचल में जानलेवा बुखार की वजह लेप्टोस्पायरोसिस हो सकती है। इस बीमारी की पहचान सबसे पहले फिरोजाबाद, मथुरा और कानपुर में हुई थी। इसका वायरस अमूमन चूहों और अन्य जानवरों के पेशाब में पाया जाता है। पूर्वांचल में अभी इसकी जांच नहीं हो पा रही है। इस वजह से इस बीमारी के फैलाव और मरीजों की सही संख्या का पता नहीं चल पा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 और साल 2019 के बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश के छह जिलों में मानसून के बाद बुखार के दो सबसे आम कारण स्क्रब टाइफस और डेंगू थे। जिस नए और खतरनाक जीवाणु लेप्टोस्पायरोसिस का संक्रमण बढ़ा है, वह जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। साथ ही मच्छरों के कारण होने वाला चिकन पॉक्स भी फ्लू का कारण है। गरीबी के कारण होने वाली भूख, जागरूकता की कमी, बच्चों के खेलने के लिए उचित खिलौनों की कमी के चलते भी संक्रमण की बीमारियों में तेजी से इजाफा हो रहा है।

व्यवस्था से खिन्न लोगों में गुस्सा

मिस्ट्री फीवर बनकर उभरी नए तरह की बीमारी से अकेले फिरोजाबाद जिले में अब तक 125 से ज्यादा लोगों की मौतें हो चुकी हैं, जिनमें ज्यादातर बच्चे हैं। मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रहा है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक फिरोजाबाद में डेंगू और बुखार के चलते मौत का आंकड़ा सवा सौ के पार पहुंच गया है। इस जिले में नौ सितंबर को आठ नए मरीजों ने दम तोड़ा, वहां मैनपुरी में तीन, कासगंज में दो, मैनपुरी में तीन, सैफई, फर्रुखाबाद, मथुरा व कासगंज में एक-एक लोगों की बुखार से मौत की खबर है। फिरोजाबाद के सौ शैया अस्पताल में दो दिन पहले लिए गए सैंपलों की जांच में 172 बाल रोगियों में डेंगू की पुष्टि हुई है। मेडिकल कालेज में 450 से ज्यादा बाल रोगी भर्ती किए गए हैं। यहां जगह कम पड़ने की वजह से सौ शैया अस्पताल और नई बिल्डिंग में पलंग डालकर एक बिस्तर पर दो-दो मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

इलाज के लिए भटकते मरीज

प्लेटलेट्स गिरने के बाद होने वाली मौतों से फिरोजाबाद के लोग गम और सदमे में हैं। सरकारी मशीनरी की शिथिलता गुस्से का कारण बन रही है। फिरोजाबाद में कई दिनों तक मिस्ट्री फीवर की चुनौतियों की पड़ताल करने के बाद लौटे मिर्जापुर के पत्रकार विजेंद्र दुबे कहते हैं, " गोलू नामक बच्चे के पिता बुरी सिंह ने सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते नजर आए कि अस्पताल में उनके बच्चे की ठीक से देखभाल और इलाज नहीं हुआ, अन्यथा वह बच सकता था।"

फिरोजाबाद जिला अस्पताल से करीब सात किमी दूर सोफीपुर गांव है, जहां लोगों को चिकित्सकीय सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं। सरकार के पास पर्याप्त दवाएं नहीं हैं। नाले-नालियां खुली हुई हैं। दूषित जलापूर्ति और साफ-सफाई का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। दवाओं का छिड़काव तो दूर, फॉगिंग नहीं हो रही है। फिरोजाबाद के जिन इलाकों में मिस्ट्री फीवर का प्रकोप है, वहां ज्यादातर श्रमिक तबके के लोग रहते हैं और चूड़ी के कारखानों में काम करते हैं। किसी की माली हालत अच्छी नहीं है कि वो प्राइवेट अस्पतालों में उपचार करा सकें।

योगी का दौरा, पर हाल जस के तस

फिरोजाबाद में रहस्यमयी बुखार के बेकाबू होने के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया। घोषणा की, "बारह सितंबर तक स्वास्थ्य विभाग, शहरी और ग्रामीण विकास विभाग, पंचायत व महिला एवं बाल कल्याण विभाग के कर्मचारी बुखार से निपटने के लिए मिलकर काम करेंगे। आदित्यनाथ ने कहा थी कि प्रभावित इलाकों के हर परिवार की जांच की जाएगी। आसपास के इलाकों में फॉगिंग की जाएगी और दवा का छिड़काव किया जाएगा। पीने के पानी की स्थिति का आंकलन किया जाएगा। इन उपायों से डेंगू, इंसेफेलाइटिस, हैजा, चिकनगुनिया, डायरिया जैसी बीमारियों के प्रसार को नियंत्रित किया जा सकेगा।" मुख्यमंत्री के दौरे का बावजूद हालात में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। रोगियों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। मृतकों का आंकड़ा पिछले रिकार्ड तोड़ता जा रहा है।

फिरोजाबाद में मिस्ट्री फीवर के प्रकोप के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में मलेरिया और डेंगू का तेजी से फैलाव हुआ है। आगरा और मथुरा जिलों में डेंगू के साथ रहस्यमयी बुखार से छोटे बच्चों की मौतें हो रही हैं। इंसेफेलाइटिस के मामले भी सामने आ रहे हैं। सीतापुर जिले के रघुवर दयालपुर में में बड़ी संख्या में लोग जानलेवा बुकार से तप रहे हैं। सीतापुर जिला अस्पताल में तेज बुखार वाले तीन सौ से अधिक रोगी अस्पतालों में भर्ती हैं। सरकारी अस्पतालों में डेंगू और बच्चों के वार्ड खचाखच भरे हैं। रघुवर दयालपुर की सावित्री देवी कहती हैं कि बुखार की बीमारी उनके बेटे अमरजीत को निगल गई। आखिरी समय में वह सांस नहीं ले पा रहा था।

फिरोजाबाद का ये नाला, फैलाता है बीमारियां

मरीजों से पट रहे अस्पताल

बदायूं, सीतापुर, फर्रुखाबाद, उन्नाव, बाराबंकी, हमीरपुर, जालौन, सोनभद्र जैसे जिलों में भी बुखार के मामले तेज रफ्तार से बढ़ रहे हैं। कुछ जगहों पर यह डेंगू बुखार है, जबकि कुछ जिलों में मलेरिया के मरीज सामने आए हैं, और कुछ में सिर्फ मौसमी वायरल बुखार है। उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर छिड़काव किया जा रहा है।

इसी पांच सितंबर को उन्नाव की आंगनबाडी कार्यकत्री सुनीता देवी की बुखार से मौत हो गई। हालत बिगड़ने पर वह उन्हें लखनऊ के एक निजी अस्पताल में ले गए, जहां उन्हें दवाइयां दी गईं। विधुर ने कहा, "घर वापस लाते समय उसकी हालत बिगड़ने पर उन्हें नामी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां भी रोजाना 150 से अधिक मरीज सरकारी अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। बदायूं और बाराबंकी में सरकारी अस्पतालों में बुखार से पीड़ित मरीजों में काफी बढ़ोतरी हुई है। इनमें अधिसंख्य छोटे बच्चे हैं। यूपी में मलेरिया से सर्वाधिक मौते सोनभद्र जिले में होती हैं। यहां के अस्पतालों में बुखार के मरीजों का तांता लगा हुआ है। हमीरपुर जिला अस्पताल में कुल मरीजों में से आधा से ज्यादा फ्लू, बुखार और मलेरिया वाले रोगी हैं।

बुखार से पीड़ित मरीज

उत्तर प्रदेश के झांसी में लोगों को बीमारियों ने घेर लिया है और घर-घर वायरल बुखार का कहर टूट रहा है। बच्चे से लेकर बड़े तक बुखार और जुखाम के जद में हैं। औरेया में चिकनगुनिया जैसे लक्षण देखने मिल रहे हैं। यहां डॉक्टरों की टीम ने लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण शुरू कर दिया है। दवाएं दी जा रही हैं और लोगों को सलाह दी गई है कि पानी उबालकर पीएं और साफ सफाई का विशेष ख्याल रखें। कानपुर और सहारनपुर में मिस्ट्री फीवर के चलते एंटी लार्वा और फॉगिंग कराई जा रही है। प्रयागराज, हमीरपुर, बदायूं में तेज बुखार का जबर्दस्त प्रकोप है। यूपी के अस्पतालों में जानलेवा बुखार के अलावा टाइफाइड के मरीजों की भारी भीड़ जुट रही है।

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