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गुजरात चुनाव: अपने ही बाग़ियों से कैसे बचेगी भाजपा?

कई सीटें ऐसी हैं जहां पर भाजपा के बाग़ी पार्टी का गणित गड़बड़ा सकता हैं।
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फ़ोटो साभार: पीटीआई

गुजरात चुनावों के लिए जब घोषणा हुई, तब ऐसा लगा राज्य में भाजपा की टक्कर में कोई दिखाई नहीं दे रहा है, लोग कहने लगे कि आम आदमी पार्टी अभी नई है और कांग्रेस लगभग हथियार डाल चुकी है। यानी ये माना जाने लगा कि एक बार फिर गुजरात में भाजपा बहुत बड़ी जीत दर्ज कर इतिहास रच देगी।

हालांकि जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नज़दीक आती जा रही हैं, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की सक्रियता इस मिथक को खत्म करती दिखाई पड़ रही है। लेकिन भाजपा के लिए जो सबसे बड़ा सिर दर्द बना हुई है, वो है उनकी ही पार्टी के नेताओं की बग़ावत।

पार्टी को उम्मीद थी कि टिकट नहीं मिलने से नाराज नेता देर-सबेर पार्टी में लौट आएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पार्टी ने पहले चरण में सात नेताओं को सस्पेंड करके कड़ा संदेश देने की कोशिश की थी। इसके बाद प्रदेश प्रमुख सी आर पाटिल ने कड़ी कार्रवाई की चेतावनी जारी की थी, लेकिन इसके बाद भी पार्टी नेता बागवत पर आमादा है। इसके बाद पार्टी ने 12 और नेताओं को सस्पेंड किया है। ऐसे में कुल बागी नेताओं की संख्या 19 हो गई है, हालांकि इन नेताओं ने पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर खुद ही इस्तीफा दे दिया था।

अब बड़ा सवाल यह है कि पार्टी को क्या इन नेताओं की नाराजगी भारी पड़ेगी। कई सीटें ऐसी हैं जहां पर पार्टी के बागी गणित गड़बड़ा सकता हैं। पार्टी ने पिछले चुनाव में 99 सीटें जीती थीं। इस बार पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी का रिकॉर्ड तोड़ना चाहती है।

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पार्टी में बग़ावत करने वाले अगर बड़े नेताओं की बात करें या यूं कहें कि इनका अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार के ख़िलाफ़ मैदान में उतरना भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है।

इसमें सबसे पहले बात वडोदरा जिले की पादरा विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे दिनेश पटेल उर्फ दीनु मामा की करते हैं...

दिनेश पटेल वडोदरा से आते हैं और पादरा सीट से विधायक रहे हैं। सबको लग रहा था कि दीनू मामा को आसानी से टिकट मिल जाएगी, लेकिन जब इस सीट से भाजपा ने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कि तो दीनू मामा और उनके समर्थकों को बड़ा झटका लगा क्योंकि  भाजपा ने दिनेश पटेल की जगह चैतन्य सिंह झाला को टिकट दे दिया।

पादरा सीट से पिछली बार भाजपा ने दिनेश पटेल को ही टिकट दिया था, लेकिन तब वो चुनाव हार गए थे। उन्हें कांग्रेस के ठाकोर जशपाल सिंह महेंद्र सिंह (पढ़ीयार) ने हरा दिया था। अब इस बार का मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा कि क्योंकि भाजपा के चैतन्य के सामने पार्टी के पुराने दिग्गज दिनेश पटेल निर्दलीय होंगे और इन दोनों की टक्कर कांग्रेस के मौजूदा विधायक ठाकोर जशपाल सिंह होगी। आम आदमी पार्टी ने यहां से संदीप सिंह राज को उतारा है।

इसके बाद भाजपा के दूसरे बागी मधु श्रीवास्तव की जो वडोदरा जिले की वाघोडिया सीट से चुनाव लड़ रहे हैं..

6 बार के बाहुबली विधायक मधु शर्मा ने निर्दलीय नामांकन करते ही अपने समर्थकों से कहा कि ‘बाहुबली अभी ज़िंदा है’ मधु श्रीवास्तव 1996 में पहली बार निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़कर जीते थे, इसके बाद उन्होंने केशुभाई की सरकार के समय भाजपा ज्वाइन कर ली थी, 2002 में वडोदरा में दंगों के बेस्ट बेकरी केस के मामले में भी मधु श्रीवास्तव को जेल की हवा खानी पड़ी थी, लेकिन बाद में वो निर्दोष साबित हुए। मधु श्रीवास्तव अपने दंबग अंदाज के लिए जाने जाते हैं।

वगहोडिया सीट पर 2017 में भाजपा से मधुभाई श्रीवास्तव ने निर्दलीय के वाघेला धर्मेंद्रसिंह रनुभा (बापू) को हराया था। इस बार इस सीट पर भाजपा ने अश्विनी पटेल को टिकट दिया है, जबकि टिकट कटने वाले मधु श्रीवास्तव निर्दलीय लड़ रहे हैं, इसके अलावा कांग्रेस की तरफ से सत्यजीत सिंह गायकवाड मैदान में हैं।

भाजपा ने वडोदरा की सावली सीट से कांग्रेस की टिकट पर लड़ रहे कुलदीप सिंह राउल पर भी कार्रवाई की है।

सावली विधानसभा सीट गुजरात की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। गुजरात के वडोदरा में आने वाली इस सीट पर 2017 में भाजपा के इनामदार केतनभाई महेन्द्रभाई ने कांग्रेस के ब्रह्मभट्ट सागर प्रकाश कोको को हराया था।

हालांकि इस बार कांग्रेस ने ब्रह्मभट्ट सागर प्रकाश का टिकट काट दिया है और उनकी जगह भाजपा से आने वाले कुलदीप सिंह राउल को टिकट दिया है, कुलदीप राउलजी की टक्कर उन्ही के पुराने साथी केतनभाई महेंद्रभाई से हैं, जबकि ‘आप’ के विजय चावड़ा मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश करेंगे।

अरवल्ली में बायड से चुनाव लड़ रहे धवल सिंह झाला

बायड विधानसभा सीट गुजरात की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है,  जहां 2017 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, और भाजपा के धवल सिंह झाला हार गए थे। शायद यही कारण है कि इस बार भाजपा ने धवल सिंह झाला का टिकट काट दिया और उनकी जगह भीखिबेन परमान को टिकट दे दिया गया। जिसके बाद धवल सिंह बागी हो गए और निर्दलीय पर्चा भर दिया। हालांकि कांग्रेस ने भी अपना उम्मीदवार बदलते हुए इस बार महेंद्र सिंह वाघेला को मैदान में उतार है।

इन महत्वपूर्ण नेताओं के अलावा आदिवासी पट्टे पर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रही भाजपा को नांदोद जनजातीय सीट पर भी कड़ी चुनौती मिल सकती है। पार्टी के आदिवासी चेहरे व पूर्व विधायक हर्षद वसावा ने टिकट न मिलने से नाराज होकर निर्दलीय दावेदारी कर दी है। भाजपा ने यहां से दर्शना वसावा को टिकट दिया है।

जूनागढ़ जिले की केशोद सीट से भी पूर्व विधायक अरविंद लाडानी ने निर्दलीय नामांकन किया है। इस सीट से भाजपा ने मौजूदा विधायक देवा मालम को फिर टिकट दिया है। इससे लाडानी नाराज हैं।

बनासकांठा जिले की धानेरा सीट से भाजपा नेता मावजी देसाई ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। यहां से भाजपा ने भगवान चौधरी को टिकट दी है।

महिसागर जिले की लूनावाडा सीट से भी भाजपा के दो नेताओं ने नामांकन पत्र भरा है। इनमें महिसागर जिला के पूर्व अध्यक्ष जे पी पटेल और एक अन्य नेता एस एम खांट शामिल हैं। भाजपा ने यहां से जिग्नेश सेवक को टिकट दी है।

एक ओर भाजपा के लिए उनके बागी चुनौती बन रहे हैं, तो दूसरी ओर कांग्रेस भी इन नेताओं की बग़ावत को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व विधायक व पूर्व सांसद प्रभात सिंह चौहान ने पार्टी छोड़ कांग्रेस के टिकट पर कालोल सीट से दावेदारी की है। जबकि भाजपा ने यहां से भाजपा ने फतेसिंह चौहान को टिकट दिया है।

इसके अलावा शहेरा सीट से मौजूदा विधायक जेठा भरवाड़ को फिर टिकट देने से नाराज भाजपा नेता खतू पगी को भी कांग्रेस ने टिकट दिया है। इन दो सीटों पर अब भाजपा नेताओं के बीच भिड़ंत होगी।

यानी कुल मिलाकर गुजरात के विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाले हैं, और एक बार फिर जीत का सपना देख रही भाजपा के लिए सबकुछ इतना आसाना होने वाला नहीं है, ज़ाहिर है कि भाजपा के ज़ेहन में पिछले चुनावों के प्रदर्शन ज़रूर होंगे, जब कांग्रेस के सामने वो महज़ 99 सीटों पर सिमट गई थी। इस बार कांग्रेस के अलावा भाजपा को आम आदमी पार्टी भी टक्कर दे रही है। ऐसे में भाजपा हो या कांग्रेस... बागियों से कैसे निपटेंगे, ये देखना बेहद दिलचस्प होगा।

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