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हरियाणा : सरकार को अपने वादे याद दिलाने के लिए किसान निकाल रहे 'किसान अधिकार यात्रा'

किसानों ने कहा है कि 22 दिसम्बर को विधानसभा घेराव करेंगे।
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हरियाणा में किसान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर हैं। प्रदेशभर से किसान सैकड़ों की संख्या मे जमीन बचाओ किसान बचाओ नारे के 20 दिसंबर से किसान अधिकार यात्रा शुरू कर चुके हैं। जो 22 दिसंबर को विधानसभा घेराव के साथ खत्म होगी। इस मार्च में किसान अपने हकों के लिए में आवाज बुलन्द कर रहे हैं। एक बार फिर किसानों ने अपना सांझा आंदोलन शुरू किया है उनका कहना है ये यात्रा सरकार को उनके वादों को याद दिलाने के लिए निकाली है।

कल मंगलवार को अंबाला के पंजोखरा साहिब से किसान अधिकार यात्रा चंडीगढ़ के लिए रवाना हुई। किसान पैदल यात्रा करते हुए आज 21 दिसम्बर को किसान नाडा साहिब में इकट्ठा हुए और आज 21 दिसंबर की रात को गुरुद्वारा नाडा साहिब यात्रा पहुंचेगी। यहां से विशाल काफिले के साथ किसान पैदल यात्रा निकालते हुए विधानसभा पहुंचेंगे।

ये यात्रा संयुक्त किसान मोर्चा हरियाणा के बैनर तहत निकल रही है। यात्रा शुरू होने से पहले 13 दिसंबर को किसान संगठनों ने एक चंडीगढ़ प्रेस क्लब मे एक सांझा प्रेस वार्ता की थी। जिसमेें किसान यूनियन(बीकेयू) शहीद भगत सिंह के अमरजीत सिंह मोहड़ी, बीकेयू सर छोटू रामके जगदीप सिंह औलख,, आजाद किसान यूनियन के नेता करनैल सिंह , भारतीय इंकलाब मंच के धर्मवीर ढींढसा और पगड़ी सम्भाल जट्टा के नेता मंदीप नथवाण शामिल हुए थे। 

आपको बता दें हरियाणा विधानसभा का सत्र 22 दिसंबर से शुरू हो रहा है, इसलिए मुख्यमंत्री हरियाणा को उनके द्वारा किए गए वादे के अनुसार कानून लेकर आने की याद दिलाने के लिए मार्च शुरूकिया है, जोकि 50 किलोमीटर की दूर तय करके 22 दिसंबर को हरियाणा विधानसभा तक पहुंचेगा और किसानों के मुद्दों पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देगा ।

क्या हैं मांगें?

1. देह शामलात, जुमला मुस्तका, पट्टे वाली और अन्य इसी प्रकार की सभी जमीनों को किसानों को पक्के तौर पर मालिकाना हक देने के लिए नया कानून बनाया जाए

2. प्रदेशभर में बारिश केे कारण कई किसानों की फसल खराब हुई है, उसके लिए मुआवज़ा दिया जाए
 
3. भूमि संशोधन में कम रेटों भूमि अधिग्रहण के खिलाफ

4. किसानों ने गन्ना किसानों के बकाया और गन्ने का उचित दाम देने की मांग भी उठा रहे हैं। इसके साथ ही वो गन्ने का भाव बढ़वाने और बकाया राशि भुगतान करने की मांग कर रहे हैं।

5. लखीमपुर खीरी में शहीद किसानों को इन्साफ दिलाने के लिए

आपको सनद रहे कि इन्ही मांगों को लेकर 12 सितम्बर 2022 को हरियाणा के किसानों ने चण्डीगढ़ में मुख्यमंत्री के आवास के घेराव किया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि विधानसभा सत्र में हरियाणा सरकार शामलात जमीनों सहित अन्य सभी प्रकार के विवादित जमीन जिसपर किसान का कब्जा है उनके मालिकाना हक देने के लिए विधेयक पेश करेगी। तब तक सरकार फिलहाल शामलात देह जमीनों को लेकर कोई कार्रवाई नहीं करेगी। अभी जिसके कब्जे मे जो जमीन है वो उसकी ही रहेगी । साथ ही सरकार से खराब फसलों की गिरदावरी और गन्ना बकाया भुगतान को लेकर भी आश्वासन दिया था।

किसान नेता सुरेश कौथ ने कहा, "सड़कों पर पैदल चलना हमारा शौक नहीं है हमे अपने बुजुर्गों के पैरों मे छाले डालने का शौक नहीं है । सरकार ने हमे मजबूर किया है। ये सरकार अपने वादे कर दे, हम अपने घर चले जाएंगे सरकार अपने किए वादे भूल रही है इसलिए हम उन्हे उनके याद दिलाने के लिए सड़कों पर उतरे हैं।"

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