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हरियाणा: मंत्री संदीप सिंह के ख़िलाफ़ न्याय संघर्ष समिति दिल्ली करेगी कूच, 27 को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रपति को हस्ताक्षर ज्ञापन भी सौंपे जाएंगे। जिसमें क़रीब 30,000 से अधिक लोगों ने पीड़िता के साथ एकजुटता दिखाई है।
Sandeep Singh

हरियाणा के मंत्री और बीजेपी नेता संदीप सिंह पर यौन शोषण मामले में मुकदमा दर्ज हुए लगभग तीन महीने हो गए लेकिन अभी तक न तो उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया गया है और नाही उनकी गिरफ्तारी हुई है। ऐसे में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) समेत कई अन्य संगठन न्याय संघर्ष समिति के बैनर तले लगातार प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं। इसी कड़ी में शनिवार, 25 मार्च को हिसार में एक प्रेस वार्ता आयोजित की गई। जिसमें मुख्य तौर से जनवादी महिला समिति और न्याय संघर्ष समिति के सदस्यों ने हिस्सा लिया।

जनवादी महिला समिति की राज्य उपाध्यक्ष शकुंतला जाखड़ ने न्यूज़क्लिक को बताया, “संदीप सिंह मामले में एफआईआर दर्ज कराए हुए लगभग 85 से अधिक का समय बीत गया है, बावजूद इसके हरियाणा सरकार की ओर से आरोपी मंत्री के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। इसलिए अब सभी संगठन, 27 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को हस्ताक्षर ज्ञापन सौंपेंगे। इसमें 30,000 से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हैं, जो इस आंदोलन में पीड़िता के साथ खड़े हैं।"

सरकार आरोपी को बचाने और पीड़िता को और प्रताड़ित करने का कर रही है काम!

एक संयुक्त प्रेस बयान में एडवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और भीम अवार्डी जगमति सांगवान, राज्य महासचिव उषा सरोहा और राज्य अध्यक्ष सविता ने बताया कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली बीजेपी सरकार यौन शोषण के आरोपी मंत्री को एड़ी चोटी का जोर लगाकर बचाने में लगी है। जबकि पीड़िता व उसके परिवार को भारी यातनाओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं चंडीगढ़ पुलिस की जांच को प्रभावित करने की तमाम कोशिश की जा रही है।

संगठन का आगे कहना है कि पीड़िता के बयानों के बावजूद एफआईआर में बलात्कार के प्रयास की धारा नहीं जोड़ी गई है। चालान पेश करने की 90 दिन की अवधि भी पूरी होने वाली है, लेकिन चंडीगढ़ पुलिस की जांच में अनावश्यक रूप से देरी हो रही है। इससे पीड़िता के न्याय सुनिश्चित की उम्मीद कमजोर होता जा रही है और प्रताड़ना बढ़ती जा रही है।

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बता दें कि संदीप सिंह मामले में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) समेत कई अन्य नागरिक और महिला संगठनों ने एकजुट होकर जूनियर महिला कोच के लिए न्याय को सुनिश्चित करने हेतु न्यायिक संघर्ष समिति बनाई है, जिसके बैनर तले प्रदेशभर में तमाम रोष प्रदर्शनों का आयोजन किया जा रहा है। एडवा बीते लंबे समय से हरियाणा में संदीप सिंह के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान भी चला रही है, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दिल्ली में सौंपा जाना है।

राजभवन से भी नहीं मिला था कोई आश्वासन

संदीप सिंह की बर्ख़ास्तगी और गिरफ़्तारी की मांग को लेकर करीब दो दर्जन संगठनों ने बीती 22 जनवरी को चंड़ीगढ़ राजभवन का भी कूच किया था, जिसे प्रशासन ने बीच में ही रोक दिया था। हालांकि 13 सदस्यीय एक प्रतिनिधिमंडल चंडीगढ़ राजभवन भी पहुंचा था जहां राज्यपाल के सचिव को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा गया था। लेकिन अब तक राजभवन से इस संबंध में कोई आश्वासन नहीं मिलने से इन संगठनों में खासी नाराज़गी भी है। इस मामले में महिला संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा, स्थानीय खाप और नागरिक समाज के लोग आए दिन सड़कों पर अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं।

एडवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और भीम अवार्डी जगमति सांगवान ने इस संबंध में न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा था कि सत्तारूढ़ बीजेपी के महिला सुरक्षा के दावे को खोखले हैं। ये बीजेपी का दोहरा चरित्र है, जो नारे तो 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के देती है लेकिन काम आरोपियों को बचाने का करती है। पीड़ित बेटियों-महिलाओं के चरित्र हनन की कोशिश करते हैं। जैसा कि उत्तर प्रदेश के कुलदीप सिंह सेंगर मामले से लेकर हाथरस और फिर कुश्ती संघ और संदीप सिंह के मसले में भी देखा जा रहा है।

जगमति ने बताया था कि हरियाणा में बलात्कार और हत्या जैसे संगीन अपराध में राम रहीम को जैसे बार-बार पेरोल पर छोड़ा जाता है, उसके सत्संग करवाए जाते हैं और सत्ताधारी पार्टी के बड़े नेता-मंत्री उसमें शामिल होते हैं, ये साफ दिखाता है कि इनका सारा खेल वोट बैंक का है। इन्हें किसी की सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं है, समाज पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव की कोई चिंता नहीं है। ये लोग बस पीड़ित को प्रताड़ित करने की कोशिश करते हैं।

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गौरतलब है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज हुए कई महीनों का समय बीत चुका है, लेकिन फिलहाल मामला सरकारी ठंडे बस्ते में ही पड़ा है। तमाम विरोधों के बाद भी संदीप सिंह ने सिर्फ खेल मंत्रालय का पद छोड़ा है, वो हरियाणा सरकार में अभी भी मंत्री पद पर कायम हैं, इसे लेकर आम लोगों में काफी रोष और असंतोष देखने को मिल रहा है।

न्यायिक संघर्ष समिति ने इस मामले को लगातार जिंदा रखने और सरकार की आंखें खोलने की कोशिश कर रही है, जिसमें उन्हें स्थानीय लोगों के साथ ही खाप पंचायतों का भी साथ मिला है। अभी तक इस मामले में बड़े प्रदर्शन देखे गए हैं, साथ ही खाप पंचायतों ने भी कैथल समेत हरियाणा के अन्य जिलों में मंत्री संदीप सिंह की एंट्री बैन कर रखी है। प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर सरकार और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ को भी इस पूरे विवाद में विरोध का सामना करना पड़ा है। हालांकि अभी लंबा संघर्ष बाकी है।

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