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हरियाणा: यौन शोषण के आरोपी मंत्री के झंडा फहराने का ज़ोरदार विरोध, महिला और नागरिक संगठनों ने किया प्रदर्शन

सामाजिक और नागरिक संगठनों ने हरियाणा राज्य सरकार से पहले ही अपील की थी कि 26 जनवरी को मंत्री संदीप सिंह को झंडा न फहराने दिया जाए। बावजूद इसके सरकार द्वारा कोई नहीं उठाए जाने पर इन संगठनों की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया।
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यौन शोषण के आरोपी हरियाणा के मंत्री और बीजेपी नेता संदीप सिंह के गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी पर उनके निर्वाचन क्षेत्र पिहोवा में झंडा फहराने का जोरदार विरोध देखने को मिला। एक ओर अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) के नेतृत्व में करीब दर्जन भर संगठनों ने अपना विरोध दर्ज करवाया तो वहीं दूसरी ओर संदीप सिंह के मजबूत सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए एक महिला ने उनके झंडा फहराने पर ज़ोरदार नारेबाजी की। महिला का कहना था कि संदीप सिंह अपवित्र हैं और उन्हें देश के पवित्र झंडे को फहराने का कोई अधिकार नहीं है। पुलिस ने इन दोनों मामलों में सख्ती से कार्रवाई करते हुए प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और कई घंटों बाद छोड़ा।

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) की राज्य अध्यक्ष सविता ने न्यूज़क्लिक को बताया कि सभी संगठनों ने राज्य सरकार से पहले ही अपील की थी कि 26 जनवरी को संदीप सिंह से झंडा न फहरवाया जाए। इसके बावजूद राज्य सरकार ने मंत्री संदीप सिंह को पिहोवा में झंडा फहराने दिया। इसलिए राज्य सरकार के इस फैसले के विरोध में एडवा समेत विभिन्न सामाजिक संगठनों को सड़क पर उतरना पड़ा।

सविता ने आगे कहा, "गणतंत्र दिवस पर एक यौन शोषण आरोपी से झंडा फहरवाना तिरंगे और लोकतंत्र दोनों का घोर अपमान है। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों ने जिन मूल्यों व आदर्शों के लिए अपना बहुमूल्य जीवन देकर यह दिन हासिल किया, ऐसे पावन दिन पर यौन उत्पीड़न के आरोपी को मुख्य अतिथि बनाना और उससे तिरंगा फहरवाना आजादी के उच्चतम मूल्यों के खिलाफ है। इसलिए हम सभी संगठनों ने आजादी के असली वारिस स्वतंत्रता सेनानी परिवारों के सदस्यों से विरोध स्वरूप झंडारोहण करवाया गया।"

संदीप सिंह को कैबिनेट से हटाने और गिरफ़्तारी की मांग

बता दें कि मंत्री संदीप सिंह को कैबिनेट से हटाने और उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) समेत 15 से अधिक संगठनों ने बीते रविवार, 22 जनवरी को पंचकूला-चंडीगढ़ बॉर्डर पर जोरदार प्रदर्शन किया था। इन संगठनों का 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल चंडीगढ़ राजभवन भी पहुंचा था, जहां राज्यपाल के सचिव को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा गया था। फिलहाल ये सभी संगठन अपनी मांगों को लेकर आगे की रणनीति बना रहे हैं और इनका कहना है कि अगर सरकार इनकी मांगों की अनदेखी करती है तो भविष्य में एक बड़ा आंदोलन देखने को मिल सकता है।

पिहोवा में गणतंत्र दिवस कैसे मना?

इस साल कुरुक्षेत्र के पिहोवा में गणतंत्र दिवस दो तरीके से मनता नज़र आया। एक ओर सरकारी कार्यक्रम हुआ, जहां यहां के विधायक और मौजूदा समय में यौन शोषण के आरोपों से घिरे मंत्री संदीप सिंह ने पुलिस की चाक चौबंद व्यवस्था के बीच ध्वजारोहण किया। तो वहीं दूसरी ओर इस कार्यक्रम के विरोध में महिला, सामाजिक और नागरिक संगठनों ने भी आम लोगों के साथ मिलकर इसके समांतर ही झंडारोहण किया, जिसमें स्वतंत्रता सेनानी रतन सिंह रंधावा के पुत्र प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता सुखदेव सिंह और स्वतंत्रता सेनानी पूर्ण सिंह के बेटे प्रताप सिंह ने झंडा फहराया।

पहले संदीप सिंह के कार्यक्रम में एक बड़ा हंगामा भी देखने को मिला। जैसे ही मंत्री झंडा फहराने स्टेज पर पहुंचे, एक महिला ने उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद पुलिस हरकत में आई और उस महिला को घसीटते हुए गाड़ी में गई। महिला का ये भी आरोप है कि पुलिस और मंत्री के सहयोगियों ने उनका शॉल उतार दिया था। पुलिस ने महिला को हिरासत में रखने के बाद देर शाम उसे छोड़ दिया। ये महिला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के छात्र मोर्चा की अध्यक्ष सोनिया दुहान थीं, जिन्होंने पहले भी मंत्री संदीप सिंह को इस मामले पर वीडियो के माध्यम से चेतावनी दी थी।

दूसरे कार्यक्रम की बात करें तो इसे जनवादी महिला समिति, सर्व कर्मचारी संघ, किसान सभा, लायर्स यूनियन, सीटू, रिटायर्ड कर्मचारी संघ और एसएफआई समेत कई नागरिक और सामाजिक संगठनों ने मंत्री संदीप सिंह के विरोध में मिलकर आयोजित किया था। इस कार्यक्रम के तहत स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों द्वारा झंडा फहराने के बाद पिहोवा चौक पर एक सभा का आयोजन भी किया गया था, जिसमें संदीप सिंह को मंत्रिमंडल और हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के साथ ही उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर भी प्रदर्शन किया गया। इसके बाद जब प्रदर्शनकारी शहर में जुलूस निकालने के लिए आगे बढ़े तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेते हुए गुमथला पुलिस थाने में करीब 3 घंटे तक बिठा कर रखा और उसके बाद छोड़ दिया।

अभी तक चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची

इस पूरे मामले पर एडवा की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि पुलिस को गिरफ्तारी देने वालों में जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं हरियाणा की पहली महिला भीम अवार्डी खिलाड़ी जगमति सांगवान, राज्य अध्यक्ष सविता, कोषाध्यक्ष राजकुमारी दहिया, राज्य सहसचिव जरासो, कंवलजीत कौर, निर्मला, सुरेंद्र कौर, असगरी, सर्व कर्मचारी संघ के राज्य महासचिव नरेश, पूर्व राज्य महासचिव सतीश सेठी, श्रवण जांगड़ा, जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश,रावल गुप्ता जिला कैशियर, आनंद सिंह ब्लाक प्रधान थानेसर, महेंद्र पाल, बलवान मोर ब्लाक प्रधान पेहवा, गुरचरण सिंह, मुकेश कुमार ब्लाक सचिव पेहवा, अनिल कुमार जिला कमेटी सदस्य, एसएफआई के राज्य अध्यक्ष विनोद गिल, राज्य सचिव मंजीत, सौम्या, पूर्णिमा, किसान सभा के मनजीत सिंह, प्रताप सिंह, अशोक अरोड़ा, अजमेर सिंह, लायर्स यूनियन के एडवोकेट राजविंदर चंदी, आर. एस. साथी, सीटू के राज्य सचिव जसपाल राणा, रीना, रिटायर्ड कर्मचारी संघ के राज्य अध्यक्ष जरनैल सिंह सांगवान आदि शामिल रहे।

गौरतलब है कि 'फ्लिकर किंग' के नाम से मशहूर भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और हरियाणा में बीजेपी के नेता संदीप सिंह के ख़िलाफ़ यौन प्रताड़ना के आरोप में बीते साल 31 दिसंबर को एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर दर्ज होने के कुछ ही घंटों बाद संदीप सिंह ने खेल मंत्रालय का जिम्मा सीएम मनोहर लाल खट्टर को सौंप दिया था। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम में लगभग 25 दिन से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। संदीप सिंह अभी भी कैबिनेट मंत्री के पद पर बने हुए हैं। जिसका विरोध महिला और नागरिक संगठन लगातार कर रहे हैं।

राजनीति और खेल संगठनों का नेतृत्व

हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोप के बाद राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारतीय पहलवानों का भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ ज़ोरदार प्रदर्शन देखने को मिला था। ये शायद देश के इतिहास में पहली बार था जब ओलंपिक्स, एशियन गेम्स और राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को कई पदक दिलाने वाली महिला कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया समेत देश के 30 से अधिक दिग्गज पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ के खिलाफ धरने पर बैठ गए थे।

धरने पर बैठे खिलाड़ियों ने संघ पर यौन शोषण, अत्याचार और साजिश का आरोप लगाया लगाया था। तीन दिन का ये प्रदर्शन 20 जनवरी को देर रात खत्म हुआ। इस दौरान जंतर-मंतर पर खिलाड़ियों का हुजूम, खेल मंत्री अनुराग ठाकुर और पहलवानों के बीच लंबी बातचीत और फिर साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस देखने को मिली थी। बहरहाल, इस पूरे मामले में खिलाड़ियों के यौन शोषण के अलावा एक मुख्य पहलू खेल संगठनों का नेतृत्व भी है। ऐसे में अब देखना होगा कि राजनीति और खेल के इस मसले का कोई समाधान निकलता भी है या नहीं।

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