हरियाणा : बीजेपी नेता और पूर्व हॉकी कप्तान संदीप सिंह के मामले में अब तक क्या-क्या हुआ?

'फ्लिकर किंग' के नाम से मशहूर भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और हरियाणा में बीजेपी के नेता संदीप सिंह के ख़िलाफ़ यौन प्रताड़ना के आरोप में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। एफ़आईआर दर्ज होने के कुछ ही घंटों बाद संदीप सिंह ने खेल मंत्रालय का जिम्मा सीएम मनोहर लाल खट्टर को सौंप दिया। हालांकि खबरों की मानें तो अभी भी उनके पास प्रिंटिंग और स्टेशनरी विभाग है और वो कैबिनेट मंत्री के पद पर बने हुए हैं
बता दें कि पेनाल्टी कॉर्नर एक्सपर्ट संदीप सिंह को खेल के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान के लिए 2010 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उनके जीवन पर फिल्म निर्माता शाद अली ने सूरमा नाम की एक फिल्म भी बनाई है। उनकी लोकप्रियता को देखते हुए ही बीजेपी ने उन्हें 2019 विधानसभा चुनाव में पहले मैदान में उतारा और फिर खेल मंत्रालय का जिम्मा सौंपा था। हालांकि अब बीजेपी और हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साध ली है, जो संदीप सिंह के साथ ही उस महिला कोच के लिए भी चिंताजनक है, जिन्होंने संदीप पर आरोप लगाए हैं।
क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के मुताबिक ये मामला हाल ही में 26 दिसंबर को सुर्खियों में आया। जब जूनियर महिला कोच ने इंडियन नेशनल लोक दल के दफ़्तर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान खेल मंत्री संदीप सिंह पर पहली बार यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए। यहां महिला कोच ने बताया कि मंत्री संदीप सिंह ने अपने सरकारी आवास पर बुलाकर उन्हें गलत ढंग से छुआ। उन्हें मनपसंद पोस्टिंग और दूसरी सुविधाओं का लालच दिया। साथ ही उनसे कहा गया था कि अगर बात मानी जाएगी, तो उन्हें सब कुछ मिलेगा।
महिला कोच के आरोपों के एक घंटे बाद ही खेल मंत्री संदीप सिंह ने प्रेस कान्फ्रेंस कर अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि "जूनियर कोच (महिला) की तैनाती झज्जर में थी, लेकिन वो पंचकूला में भी रहना चाहती थीं। मैंने उन्हें विभाग में आवेदन देने के लिए कहा था और सभी सीनियर अधिकारियों से कहा था कि खिलाड़ियों के बीच इस तरह तालमेल बिठाएं कि किसी की ट्रेनिंग पर असर न पड़े। इस आरोप की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। जांच का सामना करने के लिए मैं तैयार हूं।"
इसके बाद 27 दिसंबर को संदीप सिंह के समर्थन में खेल विभाग की डिप्टी डायरेक्टर कविता ने प्रेस कान्फ्रेंस की। उन्होंने महिला कोच पर बदतमीजी के आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए। उधर, महिला कोच ने पहले हरियाणा पुलिस मुख्यालय पहुंचकर डीजीपी को लिखित शिकायत दी। फिर चंडीगढ़ पुलिस अफसरों से मिलकर मंत्री की शिकायत दी। चंडीगढ़ एसएसपी ने उसकी शिकायत को सेक्टर 26 थाने में कार्रवाई के लिए भेज दिया।
28 दिसंबर को दिन में संदीप सिंह विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता से मिलने पहुंचे। और शाम होते-होते हरियाणा के डीजीपी पीके अग्रवाल ने जांच के लिए 3 मेंबरों की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बना दी। इसके बाद चंडीगढ़ पुलिस ने महिला की शिकायत पर जांच शुरू की।
केस दर्ज होने की बात सार्वजनिक होते ही, संदीप सिंह ने छोड़ा खेल मंत्रालय
साल के आखिरी दिन 31 दिसंबर को संदीप सिंह के खिलाफ चंडीगढ़ के सेक्टर 26 पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 354 (लज्जा भंग करना या छेड़छाड़ करना), 354ए (किसी को शारीरिक संबंध के लिए कहना), 354 बी (कपड़े फाड़ना या निर्रवस्त्र करने की कोशिश करना), 342 (किसी को गलत तरीके से कब्जे में रखना) और 506 (धमकी देना) के तहत केस दर्ज कर लिया।
,चंडीगढ़ पुलिस ने 1 जनवरी को जानकारी दी कि मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। केस दर्ज होने की बात सार्वजनिक होते ही संदीप सिंह ने एक बयान जारी कर कहा कि उन्होंने खेल विभाग मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सौंप दिया है। उन्होंने इस पूरे प्रकर्ण को उनकी छवि खराब करने की साजिश करार देते हुए कहा कि सीएम जो भी फैसला लेंगे, मुझे मंजूर होगा।
'इंडियन एक्सप्रेस' की ख़बर के मुताबिक शिकायत दर्ज कराने के बाद महिला कोच ने कहा कि उन्हें निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया गया है। उन्होंने अपनी सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि उन्हें सोशल मीडिया पर धमकाया जा रहा था जिसके चलते उन्होंने फोन उठाना बंद कर दिया था। उन्होंने कहा कि उनके पास संदीप सिंह की ओर से भेजे गए मैसेज के रिकार्ड नहीं हैं क्योंकि उन्होंने इन्हें 'डिसअपियरिंग मोड' में भेजे थे।
मीडिया को उन्होंने बताया, ''मंत्री ने फरवरी और नवंबर के बीच दफ्तर और दूसरी जगहों पर यौन प्रताड़ित किया। एक बार उन्होंने मुझे चंडीगढ़ के सेक्टर सात स्थित अपने घर आने को कहा। वो मुझसे अक्सर सोशल मीडिया के ज़रिये बातचीत करते थे। उन्होंने चंडीगढ़ में अपने घर में मुझे गलत ढंग से छुआ था। मैंने सारे वाकये की जानकारी चंडीगढ़ पुलिस को दी है।''
महिला हितैषी होने का दावा और बीजेपी की चुप्पी
गौरतलब है कि संदीप सिंह की राजनीति में एंट्री साल 2019 में हुई थी। उन्होंने हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुरुक्षेत्र के पिहोवा से कांग्रेस के मनदीप सिंह को हराकर विधानसभा का रास्ता तय किया था। हालांकि संदीप सिंह कभी सक्रिय राजनीति के माहिर खिलाड़ी नहीं बन पाए और ज्यादातर एक खिलाड़ी की छवि में ही बने रहे। उन्हें मनोहर कैबिनेट के नान- परफॉर्मर मंत्रियों की लिस्ट में देखा जाने लगा और शायद यही वजह है कि जब उनपर आरोप लगे तो उन्हें कैबिनेट के साथियों का साथ नहीं मिला। हालांकि ये बीजेपी की पुरानी रणनीति है कि वो महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण का शोर तो मचाती है लेकिन जब मामला अपने विधायकों और मंत्रियों पर आता है, तो तमाम आरोपों पर चुप्पी साध लेती है।
बीते साल 2022 में ही बीजेपी नेताओं के खिलाफ एक के बाद एक महिला शोषण और उत्पीड़न के मामले सामने आए, लेकिन बीजेपी ने हर बार मौन धारण करना ही बेहतर समझा। आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जरूर अपने संबोधन में महिलाओं के अपमान को लेकर पीड़ा जाहिर की थी। लेकिन इसे महज़ संयोग कहें या विडंबना कि उन्हीं की पार्टी बीजेपी के नेताओं पर एक के बाद एक महिलाओं के शोषण-उत्पीड़न के जुड़े कई मामले सामने आ रहे है, जो पार्टी के महिला हितैषी होने के दावे को कठघरे में खड़ा करते हैं। और इन सब मामलों में बीजेपी महिला नेताओं की चुप्पी ज़्यादा दुखद लगती है।
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