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हिमाचल प्रदेश : जानें किन सीटों पर जीत-हार का अंतर रहा बेहद कम

कांग्रेस और भाजपा के बीच हिमाचल में कांटे की टक्कर देखने को मिली, इस दौरान कुछ सीटें ऐसी रहीं जहां आख़िरी वक़्त तक उम्मीदवारों की सांसें अटकी रहीं।
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फ़ोटो साभार: बीबीसी

पहाड़ों की सियासत में एक बार फिर कब्ज़ा जमाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने साम-दाम दंड भेद तक हर हथियार का इस्तेमाल कर लिया, लेकिन हिमाचल प्रदेश की जनता के गुस्से ने उसे बेदखल कर कांग्रेस पर एक बार फिर विश्वास जताया है, यानी जनता को उम्मीद है कि वादों के जुमलों का कहानियां गढ़कर भाजपा जिस तरह से सत्ता में आई थी, हो सकता है कांग्रेस उन्हें पूरा भी करे। यही वजह है कि 68 विधानसभा सीटों वाले हिमाचल में जनता ने कांग्रेस को 40 सीटों के साथ वापसी करने का मौका दिया, तो भाजपा को 25 सीटें ही हाथ लगीं, इसके अलावा तीन निर्दलीय विधायक भी चुने गए।

हालांकि इन 68 सीटों में कुछ ऐसे उम्मीदवार भी थे, जो अपनी जीत हार को जिंदगी भर नहीं भूला सकेंगे, यानी कही कोई जीतते-जीतते हार गया, तो कोई हारते-हारते जीत गया। कहना का मतलब ये कि कुछ सीटें ऐसी हैं जहां जीत-हार का मार्जिन बेहद कम है।

अगर 3 हज़ार से नीचे जीत हार के मार्जिन की बात करें तो करीब 17 विधानसभा सीटें हैं। जिनमें 5 ऐसी भी सीटें हैं, जहां जीत हार का अंतर 500 वोटों से भी कम का रहा। जबकि 3 सीटों पर जीत हार का अंतर 500 से 1000 वोटों के बीच का रहा, वहीं 7 ऐसी भी सीटें हैं जहां हार का अंतर 1000 से 2000 वोटों के बीच रहा। ऐसे ही 2000-3000 वोटों के बीच अंतर पर हार-जीत वाली सीट की संख्या करीब 2 हैं।

सबसे पहले बात करेंगे ऐसी सीटों की जिनमें जीत का हार अंतर 500 से भी कम का रहा है, जिनकी संख्या 5 है। यानी पांच ऐसी सीटें हैं, जहां आखिरी राउंड तक कांटे की टक्कर बनी रही है, कम कौन जीत जाए-हार जाए ये आखिरी वक्त तक बदलता ही रहा है।

हमीरपुर ज़िले की भोरंज सीट

भोरंज सीट पर सबसे छोटी जीत का रिकॉर्ड दर्ज हुआ, इस सीट पर महज 60 वोटों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश कुमार ने भाजपा उम्मीदवार अनिल धीमान को हराया। कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश कुमार को 24779 वोट और बीजेपी उम्मीदवार अनिल धीमान को 24719 वोट मिले।

बिलापुर की श्री नैनादेवीजी सीट

नैनादेवी विधानसभा सीट पर भी कांटे की टक्कर देखने को मिली,  इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी रणधीर शर्मा ने कांग्रेस के राम लाल ठाकुर को 171 वोटों के अंतर से हराया। इस करीबी मुकाबले में रणधीर शर्मा को कुल 29403 वोट मिले, जबकि राम लाल ठाकुर को 29232 वोट मिले। 

बिलासपुर ज़िले की बिलासपुर सीट

हिमाचल की बिलासपुर विधानसभा सीट पर भी रोमांचक मुकाबला देखने को मिला और यहां भाजपा के उम्मीदवार त्रिलोक जम्वाल ने 276 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार त्रिलोक को 30988 वोट और कांग्रेस प्रत्याशी बंबर ठाकुर को कुल 30712 वोट मिले।

सिरमौर ज़िले की शिलाई सीट

शिलाई विधानसभा सीट पर भी बेहद नजदीकी मुकाबला देखने को मिला, और आखिरी वक्त तक दोनों उम्मीदवारों की सांसे अटकी रहीं। इस सीट पर कांग्रेस के हर्षवर्धन चौहान ने महज़ 382 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार को 32093 वोट और दूसरे नंबर पर रहे भाजपा उम्मीदवार बल्देव सिंह को 31711 वोट मिले।

हमीरपुर की सुजानपुर विधानसभा सीट

सुजानपुर विधानसभा सीट की जनता ने भी उम्मीदवारों की हार्ट बीट आखिर तक तेज़ ही रखी। लेकिन आखिरकार कांग्रेस को जीत हासिल हुई। इस सीट पर बेहद करीबी मुकाबला में जीत-हार का अंतर 399 वोटों का रहा। इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी राजिंदर सिंह ने भाजपा उम्मीदवार रणजीत सिंह राणा को हरा दिया। जहां कांग्रेस प्रत्याशी राजिंदर सिंह को 27679 वोट और भाजपा उम्मीदवार रणजीत सिंह राणा को 27280 वोट मिले।

500 से कम वोटों के अंतर वाली सीटों को एक बार एक साथ देख लेते हैं।

500 वोटों से भी कम अंतर से जिन्हें जीत-हार मिली उनकी सांसे तो उटकी हीं, लेकिन कुछ ऐसी भी सीटें हैं जिनमें 500 से 1000 वोटों के बीच का अंतर रहा। यानी यहां उम्मीदवारों को आखिरी तक अपनी जीत की उम्मीद लगी रही थी।

मंडी ज़िले की दरंग विधानसभा सीट

हिमाचल प्रदेश की विधानसभा सीट पर काफी दिलचस्प मुकाबला रहा,  इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी पूर्ण चंद ठाकुर ने 618  वोटों से जीत दर्ज की। भाजपा प्रत्याशी पूर्ण चंद ठाकुर को 36572 वोट और कांग्रेस प्रत्याशी कौल सिंह को 35954 वोट मिले।

मंडी ज़िले की रामपुर विधानसभा सीट

रामपुर विधानसभा सीट पर भी बेहद कांटे की टक्कर रही, इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार नंद लाल ने महज़ 567 के अंतर से भाजपा को हराया है। यहां पर कांग्रेस उम्मीदवार नंद लाल को 28397 वोट और भाजपा उम्मीदवार कौल सिंह को 27830 वोट मिले।

शिमला की श्री रेणुकाजी विधानसभा सीट

श्री रेणुका जी विधानसभा सीट की जनता ने भी आख़िरी राउंड तक ससपेंस बनाए रखा, कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा आगे हो रही थी, लेकिन आखिरकार श्री रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र की जनता ने कांग्रेस को जीत दिला दी। इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार विनय कुमार ने सिर्फ 860 वोटों के अंतर से भाजपा उम्मीदवार नरेन सिंह को हरा दिया। यहां कांग्रेस उम्मीदवार को 28642 वोट और भाजपा उम्मीदवार को 27782 वोट मिले।

कम अंतर वाली सीटों में सबसे 7 सीटें ऐसी थीं, जिनमें जीत-हार का अंतर 1000 से 2000 वोटों के बीच का रहा। यहां भी उम्मीदवारों को आखिर तक उम्मीद लगी रही कि वो ही जीतेंगे।

मंडी की बाल विधानसभा सीट

मंडी ज़िले की विधानसभा सीट बेहद अहम है, और यहां पर भी आखिर के राउंड तक तय नहीं हो पाया था कि जीत किसे मिलेगी। आख़िरकार भाजपा के इंदर सिंह ने कांग्रेस के प्रकाश चौधरी को महज़ 1307 वोटों के अंतर से हराकर जीत दर्ज कर ली थी।

चंबा की भटियात विधानसभा सीट

चंबा की भटियात विधानसभा सीट पर भी मुकाबला बेहद दिलचस्प रहा था। यहां सिर्फ 1567 वोटों के अंतर से कांग्रेस ने भाजपा को मात दे दी। यहां कांग्रेस उम्मीदवार कुलदीप सिंह पठानिया 31792 जबकि भाजपा को विक्रम सिंह भाजरा को 24422 वोट मिले।

कांगड़ा ज़िले की जसवां-परागपुर विधानसभा सीट

कांगड़ा की इस विधानसभा सीट पर मुकाबला बहुत करीबी रहा, और भाजपा ने कांग्रेस को आखिरी पल में मात दे दी। यहां भाजपा के बिक्रम सिंह ने कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह मनकोटिया को महज़ 1789 वोटों के अंतर से हरा दिया।

लाहौल-स्फीति ज़िले की लाहौल-स्फीति विधानसभा सीट

इस सीट पर भी मुकाबला बहुत दिलचस्प रहा था, यहां की जनता ने कांग्रेस के रवि ठाकुर को सिर्फ 1616 वोटों के अंतर से जीत दिला दी। जबकि भाजपा के डॉ राम लाल मरकांडा 8332 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे।

सिरमौर की नाहन विधानसभा सीट

सिरमौर की इस विधानसभा सीट पर भी मुकाबला बहुत पेचीदा रहा। यहां भी भाजपा और कांग्रेस के बीच जीत-हार का अंतर 2000 वोट से कम ही रहा। इस सीट पर कांग्रेस के अजय सोलंकी ने भाजपा के डॉ राजीव बिंदल को महज़ 1639 वोटों से हरा दिया।

मंडी ज़िले की सरकाघाट विधानसभा सीट

ह‍िमाचल प्रदेश की सरकाघाट विधानसभा सीट पर भाजपा के दिलीप ठाकुर ने जीत दर्ज की। दिलीप को कुल 27346 वोट मिले, उन्होंने कांग्रेस के पवन कुमार को हराया जिन्हें 25539 वोट मिले। इस सीट पर भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली, और जीत-हार में महज़ 1807 वोटों का अंतर रहा।

ऊना ज़िले की ऊना विधानसभा सीट

हिमाचल प्रदेश की ऊना विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस और भाजपा के बीच करीबी टक्कर देखने को मिली। यहां आखिरी राउंड तक सस्पेंस बना रहा था। आखिरकार सीट पर भाजपा के सतपाल सट्टी को 1736 वोटों के अंतर से जीत मिली थी। इस सीट पर भाजपा के सतपाल सिंह सट्टी और कांग्रेस के सतपाल सिंह रैज़ादा के बीच प्रमुख मुकबला था।

68 विधानसभा सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में कुछ सीटें ऐसी भी रही थीं, जिनपर जीत-हार का अंतर 2000 से 3000 हज़ार के बीच वोटों का रहा था।

चंबा की चुराह विधानसभा सीट

चंबा की इस सीट पर भी मुकाबला कई राउंड तक दिलचस्प बना रहा था, और भाजपा-कांग्रेस दोनों उम्मीदवारों को अपनी-अपनी जीत की उम्मीद थी, लेकिन आखिर में इस सीट पर भाजपा के हंस राज जीत दर्ज कर विधायकी हासिल कर ली। हंस राज ने कांग्रेस के यशवंत सिंह को 2642 वोटों के अंतर से हरा दिया।

कुल्लू की मनाली विधानसभा सीट

प्रदेश की बाकी विधानसभा सीटों के मुकाबले इस सीट पर विधायक की ज़िम्मेदारी दोगुनी हो जाती है, क्योंकि देश के पर्यटन के लिहाज़ से मनाली विधानसभा सीट बेहद महत्वपूर्ण है, यहां करोड़ो पर्यटक हर साल आते हैं। ऐसे में यहां की जनता ने इस बार कांग्रेस पर विश्वास जताया है, और भुवनेश्वर गौर को विजयी बनाया है। कांग्रेस के भुवनेश्वर गौर ने भाजपा के गोविंद सिंह ठाकुर को 2957 वोटों से हरा दिया था।

भले ही यहां पांच-पांच सालों पर सत्ता बदल जाती हो, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव मुद्दों पर हुए, और पिछले पांच सालों में भाजपा द्वारा की गई अधूरी घोषणाओं, महंगाई, बेरोज़गारी, ओल्ड पेंशन स्कीम, किसानों की ख़राब होते हालातों और अग्निवीर स्कीम के खिलाफ वोट पड़े हैं। यानी भाजपा को यहां की जनता ने सत्ता से बेदखल कर दिया।

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