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राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
फखरीज़ादेह का क़त्ल नेतन्याहू की कैसे मदद करेगा?
हालांकि इज़रायल के प्रधानमंत्री निर्णायक नेतृत्व का दावा कर सकते हैं, जो उनके राजनीतिक करियर में एक भयानक धब्बे को कम कर देगा ख़ासकर इस समय जजब उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा पतन पर है।
एम. के. भद्रकुमार
01 Dec 2020
Translated by महेश कुमार
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (बाएँ), वैकल्पिक प्रधानमंत्री बेनी गैंट्ज़ (दाएँ)
उसी सर में असहजता होती है जिस पर मुकुट होता है: इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (बाएँ), वैकल्पिक प्रधानमंत्री बेनी गैंट्ज़ (दाएँ)

पिछले शुक्रवार को ईरानी परमाणु वैज्ञानिक और उपरक्षा मंत्री डॉ॰ मोहसिन फाखरीज़ादे की हुई हत्या पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में, राष्ट्रपति हसन रूहानी ने इजराइल को अपराधी करार दे दिया है। न सऊदी अरब को, न ही यूएई को- और न ही अमेरिका को, बल्कि इज़राइल अकेले को इस हत्या का जिम्मेदार ठहराया है। रूहानी एक अनुभवी राजनेता हैं, जो निश्चित रूप से जानते हैं कि उन्होंने जो कुछ किया, उसका पूरा असर क्या होगा- वे खुद ही ईरान के प्रतिशोध के लक्ष्य को तय करना चाहते थे। 

रूहानी ने बहुत ही बारीक दृष्टिकोण से जारी बयान में कहा कि 20 जनवरी के बाद जब बेल्टवे में इजरायल के मेंटर और साथी रिटायर होंगे, तो वह बदला लेने का सबसे अच्छा वक़्त होगा। 

रूहानी ने इस तरह की विस्फोटक टिप्पणी केवल विश्वसनीय खुफिया सूचनाओं के आधार पर ही की होगी। इसलिए, इससे जो उभर कर सामने आता है वह यह कि ईरान की खुफिया जानकारी पहले से ही इजरायली एजेंटों पर केन्द्रित है।

रूहानी की टिप्पणी के बाद, ईरानी संसद में राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति आयोग के प्रवक्ता, और एक प्रभावशाली राजनीतिज्ञ, अबॉल्फज़ल अमूई, ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के निरीक्षकों पर उंगली उठाई है। उन्होंने कहा कि "हम आईएईए (IAEA) निरीक्षकों द्वारा की गई जासूसी के प्रति सजग और संवेदनशील हैं,"।

तेहरान की अन्य रिपोर्टों में भी वे सारी जानकारी लीक हो गई जिनमें इजरायल की जासूसी एजेंसी मोसाद ने आईएईए (IAEA) की सूची के माध्यम से फखरीजादेह का नाम हासिल किया था, जो सूची उन्हे ईरान के रक्षा मंत्रालय के भौतिकी अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में संदर्भित करती थी। 

तेहरान अब ईरान की परमाणु सुविधाओं तक आईएईए (IAEA) निरीक्षकों की पहुंच को सख्त  कर सकता है, जो ईरान की सुरक्षा उपायों के तहत जरूरी न्यूनतम प्रतिबद्धता है। गौरतलब है कि राजनयिक मसले में ईरान का पहला कदम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक याचिका दायर करना होगा जो आईएईए को नियंत्रण करने वाली संस्था है।

ईरान ने अतीत में भी कई ऐसे मौकों पर आरोप लगाया है कि आईएईए (IAEA) निरीक्षक  पश्चिमी एजेंट के रूप में उसके परमाणु स्थलों का दुरुपयोग कर रहे थे। लेकिन ईरान दोनों तरफ से घृणा का शिकार बनता है- अगर वह आईएईए निरीक्षकों को अनुमति नहीं देता है तो उसके खिलाफ एक दुष्प्रचार चलाया जाएगा कि ईरान कुछ छिपा रहा है, और अगर वह सब चुपचाप स्वीकार कर लेता है, तो इससे उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो जाएगा। फ़ख़रीज़ादेह की हत्या, ईरान की आशंका का एक प्रमाण है।

जबसे पूर्व आईएईए (IAEA) महानिदेशक युकिया अमानो की मृत्यु अस्पष्ट परिस्थितियों में हुई है- उसी तरह जिन रहस्यमयी परिस्थितियों में यासिर आराफ़ात की मृत्यु हुई थी- ईरान के समाने यह एक बड़ी समस्या है।

अमानो एक पूरी तरह से पेशेवर और ईमानदार व्यक्ति था, जो ईरान के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट बनाने के वाशिंगटन के दबाव में नहीं आता था, और इसलिए वह अमेरिका और इजरायल की करतूत की प्रचार सामग्री उपलब्ध करा सकता था।  

अर्जेंटीना के राजनयिक राफेल ग्रॉसी को अमानो का उत्तराधिकारी बनाया गया है, वे अमानों की प्रतिष्ठा के नजदीक भी नहीं बैठते हैं। आईएईए (IAEA) की संवेदनशीलता को देखते हुए, अमेरिका संगठन के महानिदेशक को अपनी पसंद से तय करने पर जोर देते हैं।

2009 में अमानो राष्ट्रपति ओबामा की पसंद थे। लेकिन ग्रॉसी को पिछले दिसंबर में ही नियुक्त कर दिया गया था जब ट्रम्प प्रशासन ईरान के प्रति सभी सरकारों पर अधिकतम दबाव अपनाने की नीति अपनाए हुए था। ईरान को ग्रॉसी को आने वाले कुछ समय ओर झेलना होगा क्योंकि आईएईए के बॉस का आमतौर पर कार्यकाल बढ़ा दिया जाता हैं।

फ़ार्स समाचार एजेंसी के अनुसार, जो इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स से संबंधित है, ने "2018 की शुरुआत में बताया था कि इजरायल के सूत्रों ने इस बात को स्वीकार किया था कि मोसाद ने एक ईरानी परमाणु वैज्ञानिक की हत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन इसका ऑपरेशन विफल हो गया था।"

दिलचस्प बात यह है कि अप्रैल 2018 की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फखरीज़ादेह का उल्लेख किया था, यह कहते हुए कि वह वैज्ञानिक मोसाद की संगीन के निशाने पर था- "वो नाम याद है," उन्होने जोर देकर कहा।

इसमें कोई शक नहीं कि इज़राइल का मोसाद सरकार के अनुमोदन के बिना वह भी प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के अनुमोदन के बिना इस बड़े ऑपरेशन को अंजाम नहीं दे सकता था। 

अब सोचना यह है कि ईरान के उप-रक्षामंत्री की हत्या को हरी झंडी देने में नेतन्याहू का कौनसा गणित काम कर सकता है? इसके पीछे की कहानी ये है कि इज़राइल ने इस कार्यवाही को व्हाइट हाउस में आए सत्ता में बदलाव के मद्देनजर किया है क्योंकि राष्ट्रपति ट्रम्प को पद छोड़ने और बाइडन के राष्ट्रपति पद संभालने में अभी 7 हफ्ते बाकी हैं और इजराएल बाइडन की मध्य पूर्व नीतियों को लेकर काफी अनिश्चित है।

निश्चित रूप से, यह एक प्रशंसनीय व्याख्या है। बड़ा तथ्य यह है कि ईरान ने सफलतापूर्वक ट्रम्प प्रशासन की अधिकतम दबाव की नीति को पीछे धकेल दिया है।

ईरान की क्षेत्रीय नीतियों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है; ईरान ने अधिक उन्नत सेंट्रीफ्यूज का इस्तेमाल करके संवर्धन गतिविधियों को फिर से शुरू कर दिया है; "ब्रेकआउट टाइम" एक साल की तुलना में आज दो महीने है; और, सबसे महत्वपूर्ण और बड़ी बात, ईरान ने ट्रम्प प्रशासन के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया है।

अब, मई 2018 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गृह सचिव माइक पोम्पेओ द्वारा ने जब पर प्रसिद्ध 12-सूत्री चार्टर पेश किया तो लगता है कि निश्चित रूप से, ईरान ने पोम्पेओ के घमंड को तोड़ दिया है। 

पूर्व सीआइए निदेशक पोम्पेओ को तेहरान में मोसाद ऑपरेशन के बारे में जानकारी जरूर होगी, क्योंकि इस ऑपरेशन को अंजाम उनके हाल ही के इजरायल में विस्तारित प्रवास के ठीक एक सप्ताह बाद दिया गया था।

हालाँकि, जितना इस कहानी को भूगोलिक दायरे में अनदेखा किया जाएगा, नेतन्याहू भी काफी स्वार्थी और एक निर्दयी राजनेता हैं। विख्यात इज़राइली राजनीतिक टिप्पणीकार योव क्राकोवस्की ने एक बार लिखा था, “समय-दर-समय, नेतन्याहू साबित करते रहते हैं कि वे अंतिम राजनेता (खड़े) हैं। ये वे है जो जानते है कि खेल कैसे खेलना है, कैसे कहानी को नियंत्रित करना है और अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों को कैसे हराना है।"

नेतन्याहू के लिए, आज की तारीख में पहला एजेंडा ट्रम्प या पोम्पेओ के पक्ष में कुछ करने का नहीं है या बाइडन के मध्य पूर्वी एजेंडे को जटिल बनाना भी नहीं है- हालांकि ये विचार प्रासंगिक हो सकते हैं। क्योंकि वह इस बात का अनुमान लगाने के मामले में काफी स्मार्ट है कि ईरान को जाल में फंसाना  और उसे अनजाने में एक विनाशकारी युद्ध के लिए कैसस बेली से नीचे गिराने की संभावना लगभग शून्य है।

अलग तरीके से कहें, तो इसका मिसिंग लिंक यह है कि नेतन्याहू की आज की सबसे बड़ी चिंता यह है कि उसके और उसकी पत्नी सारा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर जल्द ही सुनवाई शुरू होने वाली है, जिसमें उन्हे सजा होना तय है। कई ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं जो बताती हैं कि नेतन्याहू नए चुनाव करा सकते हैं ताकि सत्ता पर उनकी पकड़ मजबूत हो और फिर वे अभियोजन पक्ष से प्रतिरक्षा का दावा कर सकते हैं।

परंपरागत रूप से देखें तो, घरेलू राजनीति में नेतन्याहू का तुरुप का पत्ता अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ उनकी निकटता और इजरायल के हितों में अमेरिकी नीतियों में हेरफेर करने की उनकी क्षमता से है। लेकिन वह प्रभामंडल बाइडन प्रेसीडेंसी के तहत अस्थिर हो जाएगा। 

यह वह बिन्दु है जहाँ फखरीज़ादेह की हत्या नेतन्याहू की मदद कर सकती है। हालांकि इजरायल के प्रधानमंत्री निर्णायक नेतृत्व का दावा कर सकते हैं, जो उनके राजनीतिक करियर में एक भयानक धब्बे को कम कर देगा खासकर जब उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा पतन पर है- विशेष रूप से, कोविड-19 महामारी को जिस तरह से उन्होने हैंडल किया है।

इज़राइल मीडिया प्रबंधन में बहुत बेहतर है। इसने रातोंरात फ़ख़रीज़ादेह को ईरान के रॉबर्ट ओपेनहाइमर का खिताब दे दिया (जिसे मैनहट्टन प्रोजेक्ट में "परमाणु बम का जनक" होने का श्रेय दिया जाता है और द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका के लिए पहला परमाणु हथियार विकसित करने का श्रेय भी दिया जाता है)।

हारेट्ज़ अखबार के प्रमुख इज़राइली स्तंभकार गिदोन लेवी ने कल लिखा, "ड्रिप सिंचाई और चेरी टमाटर के साथ-साथ, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें इजरायल "लक्षित हत्याओं" की तुलना में अधिक गर्व महसूस करता है, जो वास्तव में राष्ट्र द्वारा की गई हत्या के काम हैं।" यह इज़राइल का आज का उचित मूल्यांकन है।

लेकिन कितने ऐसे इजरायल के प्रधानमंत्री हैं जो ईरान के ओपेनहाइमर की हत्या का दावा कर सकते हैं? ईरान के परमाणु कार्यक्रम, जिसमें प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों की कोई कमी नहीं है उनमें से किसी को भी चुना जा सकता है। लेकिन मिथक इस बात पर टिका रहेगा कि नेतन्याहू ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को दफन कर दिया। 

धूर दक्षिणपंथी इजरायल नेतन्याहू की वकालत करेगा। जाहिर है, इज़राइल का निर्विवाद रक्षक, अपने राजनीतिक आधार को मजबूत कर रहा है, क्योंकि वह कट्टर प्रतिद्वंद्वी बेनी गैंट्ज़ से दूर होने की बड़ी साजिश रच रहा है, जिसका भाग्य छह महीने पहले बने गठबंधन के साथी के रूप में तय हुआ था।

Courtesy: Indian Punchline

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

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