कोरोना-कंट्रोल योजना नहीं तो ध्यान हटाने के हथकंडे पर जोर?
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को 80 करोड़ लोगों के बीच पांच-पांच किलो अनाज बांटने की सरकारी योजना को नवम्बर महीने तक बढ़ाने का ऐलान किया. पर नौकरी ख़ो चुके करोड़ों लोगों के लिए एक निश्चित गुजारा भत्ता देने के ऐलान से परहेज़ क्यों किया? कोरोना संक्रमण इस वक्त बेकाबू नजर आ रहा है. पर उपचार की बेहाली, अस्पतालों की कमी और बदइंतजामी बढ़ती ही जा रही है. पीएम ने इस बारे में भी कुछ नहीं कहा! फिर राष्ट्र के नाम इस संदेश का मकसद क्या सिर्फ चुनावी था? ऐसा लगता है सरकार के पास कोरोना के प्रकोप से निपटने की अब कोई ठोस योजना ही नहीं है. उससे लोगों का ध्यान हटाने के हथकंडे ज़रूर हैं. वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का विश्लेषण:
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