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भारतीय पहलवानों का विरोध प्रदर्शन ख़त्म, लेकिन बृजभूषण सिंह का इस्तीफ़ा कब?

बृजभूषण शरण सिंह जांच तक फेडरेशन के काम से दूर रहेंगे। हालांकि अभी तक उनका इस्तीफ़ा सामने नहीं आया है, जो उन्हें और पूरी भारतीय जनता पार्टी को सवालों के घेरे में खड़ा करता है, खासकर बीजेपी की महिला नेताओं को।
WFI protest
फ़ोटो साभार: PTI

भारतीय कुश्ती महासंघ और इसके अध्यक्ष बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ भारतीय पहलवानों का तीन दिन से जारी धरना शुक्रवार, 20 जनवरी को देर रात खत्म हो गया। खेल मंत्री अनुराग ठाकुर और पहलवानों के बीच लगभग 7 घंटे चली लंबी बातचीत के बाद एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुश्ती खिलाड़ियों ने धरना समाप्ति की घोषणा की। वहीं अनुराग ठाकुर ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जो 4 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देगी। और जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती मौजूदा अध्यक्ष बृजभूषण सिंह फेडरेशन का काम नहीं देखेंगे। यह समिति ही कुश्ती महासंघ के सारे कामकाज पर नजर रखेगी।

बता दें कि प्रदर्शन कर रहे पहलवानों की पहली मुलाकात गुरुवार, 19 जनवरी को अनुराग ठाकुर से बेनतीजा रही थी। जिसके बाद खिलाड़ियों ने प्रदर्शन को और तेज़ करते हुए कानून का सहारा लेने तक की बात कही थी। हालांकि शुक्रवार को लंबी मीटिंग के बाद खेल मंत्री और पहलवानों के बीच बात बन गई और प्रेस वार्ता में पहलवान बजरंग पुनिया ने कहा कि केंद्रीय खेल मंत्री ने हमारी मांगों को सुना और हमें उचित जांच का आश्वासन दिया है। हम उनका धन्यवाद करते हैं और हमें उम्मीद है कि निष्पक्ष जांच होगी, इसलिए हम धरना खत्म कर रहे हैं।

इस पूरे मामले में भारतीय कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जांच के लिए अब तक दो समितियां बनाने की घोषणा हुई है। पहली समिति इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन ने पहलवानों के पत्र के बाद बनाई, जिसमें बॉक्सर मैरी कॉम, तीरंदाज डोला बनर्जी, बैडमिंटन प्लेयर अलकनंदा अशोक, फ्रीस्टाइल रेसलर योगेश्वर दत्त, भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के अध्यक्ष सहदेव यादव और दो वकील शामिल हैं। वहीं दूसरी समिति का ऐलान कल देर रात खेल मंत्रालय द्वारा किया गया है। इन दोनों समितियों की घोषणा पहलवानों के प्रदर्शन के तीसरे दिन यानी शुक्रवार, 20 जनवरी को सामने आई।

ध्यान रहे कि इस विवाद का असर UP के गोंडा में होने वाली नेशनल चैंपियनशिप पर भी पड़ा है। चैंपियनशिप में हिस्सा लेने गए दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के कई खिलाड़ी शुक्रवार को लौट गए। मीडिया खबरों के मुताबिक इस प्रतियोगिता से अब तक 200 से ज्यादा पहलवान लौट चुके हैं। इन सभी खिलाड़ियों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों के समर्थन में चैंपियनशिप में खेलने से इनकार कर दिया।

अब तक क्या-क्या हुआ?

बुधवार, 18 जनवरी को भारतीय कुश्ती महासंघ एकाएक उस वक्त खबरों में आ गया, जब देश के जाने माने दिग्गज पहलवान फेडरेशन के खिलाफ राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने बैठ गए। इन पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर कुश्ती संघ को मनमाने तरीक़े से चलाने का आरोप लगाया। धरने पर बैठी महिला कुश्ती खिलाड़ियों ने महासंघ के प्रेसिडेंट पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप भी लगाए। बाद में इस प्रदर्शन में 200 से ज्यादा खिलाड़ी शामिल हो गए। ये शायद पहली बार था ओलंपिक्स, एशियन गेम्स और राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को कई पदक दिलाने वाले कुश्ती खिलाड़ी धरने पर बैठे हों और संघ पर यौन शोषण, अत्याचार और साजिश का आरोप लगाया लगा रहे हों।

पहलवानों का प्रदर्शन शुरू होने के बाद 18 जनवरी को ही अपने ऊपर लगे आरोपों पर बृजभूषण शरण सिंह ने मीडिया के सामने सफाई दी। उन्होंने सभी आरोपों को खारिज किया। बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि अगर आरोप सही साबित हुए तो मैं फांसी पर लटक जाऊंगा। साथ ही उन्होंने खिलाड़ियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये खिलाड़ी ट्रायल में भाग नहीं लेना चाहते। इसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं।

इसी दिन खेल मंत्रालय ने कुश्ती महासंघ से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगते हुए 72 घंटों के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया था। वहीं, 18 जनवरी से लखनऊ में शुरू होने वाले महिला पहलवानों का कैंप भी रद्द कर दिया गया था।

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दूसरे दिन खेल मंत्रालय और मंत्री से खिलाड़ियों की बातचीत रही बेनतीजा

गुरुवार, 19 जनवरी को लगातार दूसरे दिन भी भारतीय कुश्ती महासंघ और इसके अध्यक्ष बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ भारतीय पहलवानों का विरोध प्रदर्शन मौन व्रत के तौर पर जंतर-मंतर पर जारी रहा। उन्हें अन्य खिलाड़ियों सहित कई राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिला। फोगाट खाप सहित अन्य खापों ने भी पहलवानों का समर्थन किया। इस बीच पहलवानों का एक प्रतिनिधि मंडल जिसमें विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक शामिल थे, सरकार से मध्यस्थता के लिए मिला। हालांकि सरकार से बातचीत के बाद खिलाड़ी असंतुष्ट दिखें और उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सरकार ने उन्हें बस आश्वासन दिया है और इसलिए उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखने का फ़ैसला करते हुए कहा कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता है तब तक वे धरने पर बैठे रहेंगे।

इस दौरान महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण सिंह ने भी इन खिलाड़ियों पर पलटवार करते रहे। उन्होंने ख़ुद को पाक-साफ बताते हुए प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने मीडिया से कहा कि हरियाणा के खिलाड़ी एसोसिएशन में अपने पसंद के लोगों को जगह नहीं मिलने से नाराज़ हैं। बृजभूषण शरण सिंह ने ये भी कहा कि देश के 97 फीसदी पहलवान उनके साथ हैं सिर्फ तीन फीसदी पहलवान विरोध में हैं।

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एक ही दिन में दो जांच समितियों का ऐलान

- केंद्रीय खेल मंत्रालय और मंत्री अनुराग ठाकुर से इन खिलाड़ियों की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद तीसरे दिन 20 जनवरी को भी जंतर-मंतर पर पहलवानों का ये प्रदर्शन जारी रहा। मीडिया खबरों के मुताबिक गोंडा में चल रही राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता से हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के कई खिलाड़ी धरना दे रहे पहवानों के समर्थन में बिना खेले ही लौट गए। प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने भी भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा को पत्र लिखकर बृजभूषण सिंह को हटाने समेत चार मुख्य मांगें रखी।

- देर शाम भारतीय ओलंपिक संघ की ओर से जांच के लिए सात सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया। जिसमें बॉक्सर मैरी कॉम, तीरंदाज डोला बनर्जी, बैडमिंटन प्लेयर अलकनंदा अशोक, फ्रीस्टाइल रेसलर योगेश्वर दत्त, भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के अध्यक्ष सहदेव यादव और दो वकील शामिल हैं।

- इस बीच खेल मंत्री अनुराग ठाकुर भी दूसरी बार खिलाड़ियों से मिले। लगभग सात घंटे लंबी चली इस मीटिंग में मंत्रालय और खिलाड़ियों के बीच आपसी सहमति बनी और देर रात करीब 1 बजे एक ज्वाइंट प्रेस वार्ता में धरना प्रदर्शन खत्म करने का ऐलान पहलवानों की ओर से किया गया। वहीं खेल मंत्री ने जांच कमेटी के गठन और जांच तक अध्यक्ष बृजभूषण सिंह को पद से अलग रहने की घोषणा की।

गौरतलब है कि साल 1991 में पहली बार गोंडा से सांसद बने बृज भूषण भारतीय जनता पार्टी के दबंग नेताओं में गिने जाते हैं। वे साल 2011 से ही कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी हैं। 2019 में वे कुश्ती महासंघ के तीसरी बार अध्यक्ष चुने गए। बृज भूषण शरण सिंह ने अपनी छवि एक हिंदूवादी नेता के तौर पर बनाई है और वो अयोध्या के बाबरी मस्जिद ढांचे को गिराने के अभियुक्त भी रहे हैं। अपने विवादित बयानों के चलते वे हमेशा सुर्ख़ियों में रहे हैं। अतीत में उन पर हत्या, आगज़नी और तोड़-फोड़ करने के भी आरोप लग चुके हैं। पिछले दिनों झारखंड में अंडर-19 नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप के दौरान एक रेसलर को मंच पर ही थप्पड़ मार दिया था। अब महिला पहलवानों के गंभीर आरोप के बाद भी अभी तक उनका इस्तीफा सामने नहीं आया है, जो उन्हें और पूरी भारतीय जनता पार्टी को सवालों के घेरे में खड़ा करता है, खासकर बीजेपी की महिला नेताओं को।

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