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क्या भाजपा राहुल से डर गई है ?

लगता है कि भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से भाजपा के नेताओं में बेचैनी पैदा हो गई है और उन्होंने राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ विपक्ष के नेताओं पर ईडी, सीबीआई आदि केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से हमला बोल दिया है।
Rahul Gandhi
फ़ोटो साभार: PTI

आपराधिक मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी को संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य करार देने के बाद पूरे देश में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई हैं। सरकार की इस कार्यवाही ने पूरे विपक्ष को एकजुट कर दिया है। यहां तक कि कांग्रेस-भाजपा से समान दूरी बनाए रखने का विचार रखने वाली पार्टियां (टीएमसी, बीआरएस और आम आदमी पार्टी) भी खुलकर राहुल गांधी के समर्थन में आ गई हैं।

आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ इस तरह की कार्यवाही ब्रिटिश भारत से भी कहीं अधिक क्रूर है। टीएमसी के सांसद शत्रुघन सिन्हा ने कहा कि मोदी सरकार की इस कार्यवाही ने राहुल गांधी को देश का सबसे बड़ा नेता बना दिया है। वामपंथी पार्टियों से लेकर समाजवादी परिवार से जुड़ी सभी पार्टियों ने राहुल गांधी को संसद से बाहर निकालने का कडा विरोध किया है और इसे आपातकाल से भी भायनक काल का दर्जा दिया है। सीताराम येचूरी, शरद पवार, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, केसीआर, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, हेमंत सोरेन, एम. के.स्टालिन, पिनाराई विजयन आदि सभी बड़े नेताओं ने सार्वजनिक बयान जारी कर मोदी सरकार के इस कदम की कड़ी निंदा की है।

राहुल गांधी ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि वे माफ़ी नहीं मांगेंगे क्योंकि वे सारवकर नहीं हैं बल्कि गांधी हैं और गांधी कभी माफ़ी नहीं मांगते हैं। बीते रविवार को कांग्रेस ने देश भर में विरोध प्रदर्शन किए और कहा कि राहुल गांधी की अयोग्यता के ज़रिए 2024 के आम चुनाव की राजनीतिक शतरंज की बिसात लगाई जा रही है। घटनाएं कैसे आगे बढ़ेंगी यह विभिन्न नेताओं/पार्टियों की बाद की बिसात पर निर्भर करेगा। क्योंकि भाजपा को हराने के लिए विपक्ष को अभी बहुत कुछ करना बाकी है।

क्या भाजपा राहुल से डर गई है?

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा या मोदी राहुल गांधी से डर गए हैं? यह सवाल दो कारकों की वजह से उठ रहा है। एक, गोदी मीडिया या भाजपा की नज़रों में राहुल गांधी एक 'पप्पू' की छवि वाले नेता हैं और भारतीय मतदाताओं की नज़रों में वे गंभीर नेता नहीं है जो मोदी को चुनौती दे सके? फिर सवाल यह उठता है कि क्यों भाजपा के सभी बड़े नेता और मोदी खुद राहुल गांधी पर लगातार बड़ा राजनीतिक हमला करते रहते हैं? दूसरा, देश के चुनावी इतिहास में कांग्रेस सबसे कमजोर पार्टी बनकर रह गई है और राजनीतिक विश्लेषकों के विचारों में कांग्रेस को पुनर्जीवित करना बड़ा कठिन काम है। इसके लिए भी गांधी परिवार को सबसे बड़ी बाधा बताया जाता रहा है कि यह पार्टी के भीतर किसी अन्य नेता को उभरने नहीं देना चाहते हैं।

हालांकि, प्रारंभिक विश्लेषण से तो ऐसा ही लगता है कि मौजूदा हालात में भी राहुल गांधी और उनकी पार्टी ही है जो भाजपा को उनके कुछ बड़े गढ़ों में हरा सकती है, उत्तर प्रदेश को छोडकर। इनमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, छतीसगढ़ आदि शामिल हैं जहां इस साल चुनाव होने हैं। अगला राष्ट्रीय चुनाव "बीजेपी बनाम कांग्रेस" और "मोदी बनाम गांधी" के व्यापक ढांचे से अलग नहीं हो सकता है। भारत जोड़ो यात्रा जैसे बड़े अभियान के बाद कांग्रेस ने विपक्ष की मुख्य भूमिका पर कब्ज़ा जमा लिया है। और वैसे भी जिन क्षेत्रीय दलों जैसे कि टीएमसी और आप में पिछले चुनावों के बाद उछाल आया था वह उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की वजह से दब कर रह गया है। लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के सफल आयोजन ने कांग्रेस और राहुल गांधी को फिर से राजनीतिक सुर्खियों में ला दिया है। भारत जोड़ो यात्रा से पहले कुछ पार्टियां जैसे कि बीएसआर, टीएमसी और आम आदमी पार्टी, कांग्रेस से समान दूरी बनाकर चुनाव लड़ने की बात कर रही थीं और एक तरह का फेडरल फ्रंट या तीसरे मोर्चे की कवायद की बात ज़ोर पकड़ रही थी। सब जानते हैं कि आज की तारीख में तीसरे मोर्चे की कवायद भाजपा के लिए राजनीतिक फायदा है।

इसलिए लगता है कि भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से भाजपा के नेताओं में बेचैनी पैदा हो गई है और उन्होंने राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ विपक्ष के नेताओं पर ईडी, सीबीआई आदि केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से हमला बोल दिया है। विपक्षी पार्टियों ने सर्वोच्च न्यायालय में दायर अपनी रिट में कहा है कि मोदी सरकार के इशारे पर ईडी ने 95 प्रतिशत छापे/मुक़दमे विपक्षी पार्टियों के नेताओं के खिलाफ किए हैं। सभी पार्टियों ने ईडी और सीबीआई के राजनीतिक इस्तेमाल पर सवाल उठाया है।

और राजनीतिक और मीडिया विशेषज्ञों का भी यही कहना है कि आपराधिक मानहानि के एक मामले में दोषी करार दिए जाने से न केवल कांग्रेस नेता राहुल गांधी बल्कि उनकी पार्टी के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है। कांग्रेस ने इसे "भारतीय लोकतंत्र में काला दिन" करार दिया है और कहा है कि इस लड़ाई को "कानूनी और राजनीतिक", दोनों रूपों में लड़ा जाएगा। इसलिए लगता है भाजपा की चाल उल्टी पड़ गई है क्योंकि उसकी इस हरकत ने सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाकर खड़ा कर दिया है। पूर्व कांग्रेस नेता और राजनीतिक टिप्पणीकार संजय झा ने कहा है कि, "वक़्त आ गया है कि हर राजनीतिक दल इस क्रूर शासन को हराने के लिए काम करे और 2014 के बाद से भारत के सबसे काले युग को समाप्त करे।" देखना यह है कि क्या कांग्रेस और विपक्षी दल अपनी इस भूमिका को बखूबी निभा सकते हैं या नहीं। यह सब उनकी भविष्य की रणनीति पर निर्भर करेगा।

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