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चुनाव और रोज़गार का मुद्दा : झारखंड की बेरोज़गारी दर देश के औसत से भी ऊपर

झारखंड की बेरोज़गारी दर देश की औसत बेरोज़गारी दर को भी पार कर चुकी है। नवंबर के माह में देश की बेरोज़गारी दर 7.5 % है जबकि झारखंड में बेरोज़गारी दर 9.2% हो गयी है।
jharkhand election

झारखंड की आबादी तकरीबन 3.30 करोड़ है। इसकी लगभग 50 फ़ीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है। वहीं बाक़ी आधी आबादी माइनिंग, सर्विस सेक्टर, निर्माण व वित्तीय कामों के ज़रिये अपना गुजारा करती है। अगर गरीबी की बात करें तो राज्य के 39.1% लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ये दर 29.8 % है। ग़ौरतलब है कि ग़रीबी और बेरोज़गारी की मार झेल रहे झारखंड में पिछले पांच साल से भाजपा की सरकार है। केंद्र में भी भाजपा की सरकार है। इसलिए इसका प्रचार यहां डबल इंजन वाली सरकार के रूप में किया जा रहा है लेकिन रोज़गार के मोर्चे पर यह सरकार बुरी तरह से असफल दिख रही है।

हाल ही में झारखंड में चुनाव जारी हैं चुनाव को पांच चरणों में किया जाना हैं जिसके तीन चरण 30 नवंबर, 7 और 12 दिसंबर को समाप्त हो चुके हैं तथा दो चरणों के चुनाव 16 व 20 दिसंबर को होंगे और चुनावों की मत-गणना 23 दिसम्बर को होगी

अब सवाल यह सामने है कि क्या आने वाली सरकार रोज़गार के मुद्दे को गंभीरता के साथ लेगी क्योंकि अब तक की सरकारों की बात की जाये तो आंकड़ों को देखकर लगता है कि रोज़गार की तरफ सरकार का ध्यान ही नहीं है।

नवंबर 2017 में झारखंड की बेरोज़गारी दर 7.1 % थी, जो नवंबर 2019 में बढ़ कर 9.2 % हो गयी है, जो देश की औसतन बेरोज़गारी दर से भी ज़्यादा है। हालांकि देश की औसतन बेरोज़गारी दर भी लगातार बढ़ती जा रही है। नवंबर 2017 में देश की औसतन बेरोज़गारी दर 4.7 % थी जो नवंबर 2019 में बढ़ कर 7.5 % हो गयी है।

नवंबर 2017 से झारखंड की बेरोज़गारी दर लगातार बढ़ रही है। अगस्त 2019 में झारखंड की अब तक की सबसे अधिक बेरोज़गारी दर 14.3 % दर्ज की गयी थी, जबकि देश में 45 वर्षो में सबसे ज्यादा बेरोज़गारी दर 8.4 अक्टूबर 2019 में दर्ज की गयी।      
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झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार नीरज सिन्हा कहते हैं कि झारखंड में बीजेपी की विपक्षी पार्टियों ने रोज़गार के सवाल को मुख्य मुद्दा बनाया है। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि झारखंड में 5 साल तक एक स्थायी सरकार रही है, जिसको लेकर लोगों में अपेक्षाएँ ज्यादा थीं। लोगों को लगता था कि सरकार रोज़गार के अवसर पर और ज्यादा ध्यान देगी। लेकिन सरकार ने रोजगार को लेकर प्रभावी कदम नहीं उठाए जिसको लेकर खासकर नौजवानों में एक तरह गुस्सा है। चुनाव ही लोगों  के पास वह अवसर होता है जिसके द्वारा जनता बताती है कि सरकार ने जनता से किये वायदे निभाए हैं या नहीं। हालांकि झारखंड में बीजेपी के स्टार प्रचारक विपक्ष के रोज़गार के मुद्दे की काट देते हुए कह रहे हैं कि बीजेपी की सरकार ने लोगो को रोज़गार दिए हैं।

रोज़गार के अलावा और क्या हैं झारखंड के मुद्दे ?
   
रोज़गार के अलावा झारखंड का पहला मुद्दा वहां के लोगों के अधिकारों से जुड़ा हुआ है क्योंकि ये आम शिकायत है कि झारखंड की सत्ताधारी ताक़तें विकास के नाम पर गरीब आदिवासियों की जमीन छीनने का काम करती रही हैं। साथ ही विरोध कर रहे आदिवासियों को विकास विरोधी बता कर उन पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाता है। आदिवासियों के विरोध को दबाने से जुड़े ऐसे तमाम मामलें सामने आए हैं।  

दूसरा मुद्दा झारखंड की प्राकृतिक सम्पदा से जुड़ा हैं क्योंकि जब से झारखंड राज्य बना है,  तब से झारखंड की सत्ताधारी ताक़तें विकास के नाम पर झारखंड की प्राकृतिक सम्पदा को लूटने में लगी हैं। सरकार द्वारा अवैध रूप से खनन करवाने का भी मामले सामने आ रहा है और साथ ही प्राकृतिक सम्पदा को देशी व  विदेशी प्राइवेट कंपनियों के हाथों में देने का काम भी किया जा रहा है।

दरअसल यह समस्या झारखंड में अभी से नहीं हैं बल्कि जबसे झारखंड राज्य बना है, तब से झारखंड की सत्ता में आयी सत्ताधारी ताक़तों ने अपने स्वार्थ के चलते झारखंड को लूटने का काम ही किया है।          

झारखंड का तीसरा मुद्दा वहां के लोगो की रोज़मर्रा की जरूरतों के साथ जुड़ा हुआ है क्योंकि भुखमरी और  बीमारी के कारण लोग मर रहे हैं। हिंसक भीड़ के द्वारा लोगों को मारे जाने के गंभीर मुद्दे भी सामने आ रहे हैं।    

इन मुद्दों से अलग मौजूदा केंद्र सरकार की गलत नीतियों के चलते भी पूरे देश में अन्य राज्यों की तरह झारखंड को भी बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। झारखंड में रोज़गार की मौजूदा स्थिति तो बदतर है ही लेकिन इसके साथ छोटे-बड़े कारोबार भी बंद होने के कगार पर हैं।

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