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झारखंड: विधान सभा सत्र में विपक्ष ने जन मुद्दों को छोड़ हनुमान चालिसा का किया पाठ

हर दिन सत्र के शुरू होते ही भाजपा विधायक सदन की गेट से लेकर सदन के अंदर वेल में पहुंचकर हनुमान चालीसा का पाठ कर हंगामे की स्थिति बनाये हुए हैं। 7 अगस्त को सदन शुरू होते ही एक भाजपा विधायक ने शिव का वेश धारण कर सदन में घूम-घूम कर तांडव नृत्य प्रदर्शित किया।
झारखंड

झारखंड प्रदेश विधान सभा के मौजूदा सत्र में भाजपा विधायकों के अजीबोगरीब रवैये को लेकर एक बार फिर से सियासी चर्चाएं सरगर्म हैं।  गत 3 सितम्बर से शुरू हुए  मानसून सत्र में पहले दिन से ही भाजपा के माननीय विधायकों द्वारा सदन के बाहर और अन्दर “जय बजरंग बली” और “जय श्री राम” जैसे नारे लगाते हुए कीर्तन व हनुमान चालीसा पाठ कर सदन को नहीं चलने दिया जा रहा है। यह संभवतः देश भर की विधान सभाओं के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब जनता द्वारा चुने गए माननीय प्रतिनिधिगण आहूत सत्र में जनता के मुद्दों पर चर्चा छोड़ धार्मिक कर्मकांड की लीला कर रहें हों।   

चर्चाओं के अनुसार इस बार के मॉनसून सत्र के शुरू होने के पहले हेमंत सोरेन सरकार ने अधिसूचना जारी कर सत्र के दौरान मुस्लिम विधायकों के नमाज़ पढ़ने के लिए अलग से स्थान आवंटित करने की घोषणा कर दी। इसके खिलाफ सूचना जारी होने के तत्काल बाद से ही भाजपा ने इसे केन्द्रीय सियासी मुद्दा बना लिया है। राज्य सरकार पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाकर इस अधिसूचना की अविलम्ब वापसी की मांग को लेकर सदन के अन्दर हंगामा और बाहर सड़कों पर विरोध आन्दोलन कर रही है।

मानसून सत्र के पहले ही दिन 3 सितम्बर को सभी भाजपा विधायों ने विधान सभा की गेट पर सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करते और सरकार विरोधी नारे लगाते हुए हिदू धार्मिक कर्मकांडों के लिए भी स्थान एलॉट करने की मांग की। वेल में आकर स्पीकर के समक्ष भी हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। हर दिन सत्र के शुरू होते ही भाजपा विधायक सदन की गेट से लेकर सदन के अंदर वेल में पहुंचकर  हनुमान चालीसा का पाठ कर हंगामे की स्थिति बनाये हुए हैं।

7 अगस्त को सदन शुरू होते ही एक भाजपा विधायक ने जहां शिव का वेश धारण कर सदन में घूम-घूम कर तांडव नृत्य प्रदर्शित किया वहीं बाकी कई विधायक घूम-घूम कर कीर्तन और हुनमान चालीसा का पाठ करते हुए जब वेल में पहुंच गए। सत्र की कार्यवाही संचालित कर रहे विधानसभा अध्यक्ष ने बार-बार यह सब नहीं करने की बार-बार अपील भी की लेकिन किसी भी भाजपा विधायक पर कोई इसका कोई असर नहीं पड़ा। कुपित होकर अध्यक्ष ने खड़े होकर बेहद क्षुब्द्ध भरी अंदाज़ में कहा, “इस तरह से खड़े होकर सदन को फुटपाथ और मज़ाक का पात्र मत बनाइये।” इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्षी विधायकों के बीच कई हुई बार नोक झोंक और नारेबाजी से मचे हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित भी की गयी।

पूर्व विधान सभा अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा विधायक सीपी सिंह ने तो जोर देकर मांग कर डाली कि सत्र के दौरान बजरंग बली को स्मरण करने के लिए आधा घंटा का समय मिले। वहीं सदन में भाजपा विधायक दल नेता बाबूलाल ने दलील दी है कि विधान सभा को संकटों से मुक्ति दिलाने के लिए ही भाजपा विधायक हनुमान चालीसा का पाठ कर रहें हैं।

विधान सभा परिसर में राज्य की सरकार द्वारा नमाज़ पढ़ने का स्थान अलॉट कराने के मामले को इस क़दर तूल दिया जा चुका है कि सदन में किसी भी जन मुद्दे पर चर्चा की स्थिति नहीं रह गयी है। इस मामले में राज्य की हाई कोर्ट में सरकार के खिलाफ याचिका भी दायर कर दी गयी है। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता से लेकर कई नेताओं ने दो टूक लहजे में कह दिया है कि हेमंत सोरेन सरकार जब तक नमाज़ अदा करने के लिए अलग से जगह एलॉट करने के फैसले को वापस नहीं लेती, तब तक हनुमान चालीसा पाठ जारी रहेगा। उधर प्रदेश भाजपा इस मुद्दे को लेकर पूरे प्रदेश में पांच दिवसीय विरोध आंदोलन शुरू करते हुए निषेधाज्ञा का भी उल्लंघन करते हुए जगह-जगह प्रदर्शन कर सरकार के पुतले जला रही है।

मुख्यमंत्री ने मीडिया के माध्यम से विपक्षी दल भाजपा के इस रवैये की निंदा करते हुए कहा है कि चूंकिविपक्ष मुद्दा विहीन हो चुका है इसलिए अब जाति धर्म के मुद्दे से अपनी राजनीती करने में लग गया है. झामुमो प्रवक्ता ने आरोप लागाया है कि विपक्ष द्वारा सदन में सरकार के खिलाफ कोई भी कटौती प्रस्ताव तक नहीं लाया जाना साबित करता है कि वह अपनी जिम्मेवारियों से कैसे भाग रहा है।

हेमंत सरकार के सहयोगी दल कांग्रेस के एक नेता ने सरकार के नोटिफिकेशन को गलत ठहराया है। लेकिन भाजपा के रैवये का विरोध करते हुए विधान सभा में रामलीला करार दिया है।

प्रदेश के वामदलों ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विधानसभा सत्र को भी साम्प्रदायिक कर्मकांडी का अखाड़ा बनाए जाने की निंदा की है। सीपीएम नेता प्रकाश विप्लव ने बताया कि राज्य गठन उपरांत बनी भाजपा नेतृत्ववाली सरकार के मुख्यमंत्री बाबूलाल जी के शासन में भी न सिर्फ विधायक बल्कि वहां कार्यरत मुस्लिम कर्मचारियों के लिए भी नमाज़ पढ़ने के लिए विधान सभा परिसर में अलग से स्थान आवंटन की व्यवस्था रही है। लेकिन अब भाजपा ही इस मामले को धार्मिक रंग देकर ‘धर्म से राजनीती’ कर रही है।  वे इसके लिए धार्मिक उन्माद के नारे लगाकर व हनुमान चालिसा पाठ कर हिन्दू-मुसलमान का ध्रुवीकरण खेल कर रही है। सदन में जनता के मुद्दों पर बहस विमर्श करने की बजाय धार्मिक कर्मकांडी हरकतों से सदन को बाधित करना साबित कर रहा है कि उसे जन मुद्दों की राजनीती से उसे कोई मतलब नहीं रह गया है।

प्रदेश की मीडिया ने भी इस प्रकरण को प्रमुखता के साथ उछालते हुए सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर रखा है।

दूसरी ओर, इस पूरे प्रकरण को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय के सवालों को उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि भाजपा द्वारा नमाज़ स्थल को मुद्दा बनाना गलत है, तो हेमंत सरकार द्वारा भी ऐसे विवाद खड़े कर मुस्लिम समुदाय के बुनियादी सवालों पर पर्दा डालने का ही काम कर रही है।

अवामी इंसाफ़ मंच से जुड़े युवा मुस्लिम एक्टिविस्ट नादिम खान ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा है कि हेमंत सोरेन ने अपनी पार्टी चुनावी घोषणा पत्र में मुस्लिम समाज से जितने भी वायदे किये थे, एक को भी पूरा नहीं किया है। यहां तक कि देश के सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यों को दिए गए निर्देश के तहत झारखंड में अभी तक मॉबलिंचिंग रोकने सम्बन्धी कानून बनाने के लिए कोई पहलकदमी नहीं हई है। 

 बहरहाल, तमाम बातों और विवादों से परे एक सवाल जो जनहित के तकाज़े से है कि क्या विपक्ष की लोकतान्त्रिक मर्यादा यही रह गयी है कि जनता द्वारा चुने गए उनके प्रतिनिधि जनता के मुद्दों पर चर्चा को छोड़ सदन को ‘धर्म की राजनीती’ का ही अखाड़ा और रामलीला का मंच बना दें? जबकि मीडिया ने ही ये खबर वायरल की है कि सरकार को नैतिक समर्थन दे रहे भाकपा माले विधायक ने सत्र के दौरान जनता के मुद्दों पर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है

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