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केरल में नहीं लागू किया जाएगा संशोधित केरल पुलिस अधिनियम  

मुख्यमंत्री की ओर से कहा गया कि एलडीएफ समर्थकों और लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए खड़े लोगों की चिंताओं को देखते हुए संशोधित केरल पुलिस अधिनियम को लागू नहीं करने का फैसला किया गया है।
पी विजयन

केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने साफ किया है कि सरकार का इरादा संशोधित केरल पुलिस अधिनियम को लागू करने का नहीं है।

मुख्यमंत्री की ओर से कहा गया कि एलडीएफ समर्थकों और लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए खड़े लोगों की चिंताओं को देखते हुए संशोधित केरल पुलिस अधिनियम को लागू नहीं करने का फैसला किया गया है।

इससे पहले पुलिस अधिनियम में विवादास्पद संशोधन करने पर आलोचना झेल रही केरल सरकार ने कहा था कि ‘साइबर दबंगई’ रोकने के लिए “नेक इरादे” से लाए गए कानून का दुरुपयोग न हो इसके लिए वह सभी प्रकार के कदम उठाएगी।

इस कानून को लेकर यह चिंता जताई गई थी कि राज्य सरकार द्वारा किया गया संशोधन, अभिव्यक्ति तथा मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला है।

कांग्रेस का कहना था कि यह संशोधन आलोचकों और मीडिया को चुप कराने के लिए लाया गया है। पार्टी ने कानून के विरोध में जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया।

भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट लिखने वालों को पांच साल की सजा का प्रावधान करने वाले कानून के खिलाफ वह केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने संवाददाताओं से कहा, “यह संवैधानिक अधिकारों का हनन है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। भाजपा इसके विरुद्ध कानूनी और राजनैतिक लड़ाई लड़ेगी। मैं इस संशोधन के विरुद्ध केरल उच्च न्यायालय जाऊंगा।”

आपको बता दें कि महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साइबर हमले रोकने के लिए माकपा सरकार पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश लाई जिस पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को हस्ताक्षर किया।

केरल मंत्रिमंडल ने पिछले महीने पुलिस अधिनियम को और प्रभावी बनाने के लिए इसमें धारा 118-ए जोड़ने का फैसला किया था। इसके तहत अगर कोई शख्स सोशल मीडिया के जरिए किसी व्यक्ति की मानहानि या अपमान करने वाली किसी सामग्री का उत्पादन करता है, प्रकाशित करता है या प्रसारित करता है तो उसपर 10 हजार रुपये का जुर्माना या पांच साल की कैद या दोनों हो सकते हैं।

राज्य के कानून मंत्री ए के बालन ने सोमवार को आश्वासन दिया कि नए संशोधन से चिंतित होने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि बदलती परिस्थितियों के अनुसार नया संशोधन किया गया है।

उन्होंने कहा कि यह संशोधन नेक इरादे से किया गया है और विशेष रूप से इसका उद्देश्य महिलाओं के प्रति साइबर दबंगई की घटनाओं को रोकना है। उन्होंने कहा कि कानून का मकसद प्रेस की स्वतंत्रता कम करना नहीं है।

बालन ने पलक्क्ड़ में कहा, “कानून का दुरुपयोग न हो इसके लिए सरकार सारे आवश्यक कदम उठाएगी। सारी चिंताओं को दूर करने के बाद ही इसे लागू किया जाएगा।”

इसी सिलसिले में माकपा महासचिव सीतराम येचुरी ने सोमवार को कहा कि केरल पुलिस अधिनियम संशोधित अध्यादेश पर "पुनर्विचार" किया जाएगा।

येचुरी ने पीटीआई-भाषा से कहा, " अध्यादेश पर पुनर्विचार किया जाएगा।"

उनसे पूछा गया कि क्या "पुनर्विचार" का मतलब यह है कि अध्यादेश को हल्का किया जाएगा, तो उन्होंने संकेत दिया कि इसका मतलब है कि अध्यादेश को रद्द किया जाएगा।

माकपा और भाकपा, देनों के ही सूत्रों ने कहा कि एलडीएफ सरकार इस अध्यादेश को निरस्त होने देगी।

माकपा का केंद्रीय नेतृत्व केरल सरकार के फैसले से सहमत नहीं है और अध्यादेश को रद्द होने देने के लिए राज्य नेतृत्व पर दबाव डाल रहा है।

भाकपा महासचिव डी राजा ने कहा है कि वह अध्यादेश से असहज हैं और पार्टी ने राज्य नेतृत्व को इस बारे में अपनी राय बता दी है।

राजा ने पीटीआई-भाषा से कहा, " हमने अपनी राज्य इकाई से अध्यादेश पर पुनर्विचार करने को कहा है। हमने माकपा नेतृत्व से भी बात की है और दोनों की सहमति है कि अध्यादेश को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।"

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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