Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

ख़बरों के आगे-पीछे : अब कोई भी प्रादेशिक पार्टी सुरक्षित नहीं!

एकनाथ शिंदे के गुट को असली शिवसेना मानने और उसे तीर-धनुष चुनाव चिन्ह दिए जाने के चुनाव आयोग के फैसले के बाद देश की कोई भी प्रादेशिक पार्टी अपने आप को सुरक्षित नहीं मान सकती।
Khabron ke aage peeche

शिवसेना से अलग होने वाले एकनाथ शिंदे के गुट को असली शिवसेना मानने और उसे तीर-धनुष चुनाव चिन्ह दिए जाने के चुनाव आयोग के फैसले के बाद देश की कोई भी प्रादेशिक पार्टी अपने आप को सुरक्षित नहीं मान सकती। आयोग के मनमाने फैसले का शिकार हुए उद्धव ठाकरे ने भी कहा है कि देश की सभी प्रादेशिक पार्टियों को इसका विरोध करना चाहिए क्योंकि कल ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। इस बात को गृह मंत्री अमित शाह के बयान से मिला कर देखें तो तस्वीर और साफ हो जाती है। चुनाव आयोग के फैसले के तुरंत बाद महाराष्ट्र पहुंचे अमित शाह ने दो टूक कहा कि धोखा देने वालों को माफ नहीं करना चाहिए। इससे भाजपा की पुरानी सहयोगी पार्टियों को ही नहीं बल्कि भाजपा विरोधी दूसरी पार्टियों को भी सावधान हो जाना चाहिए। सबसे पहले नीतीश कुमार पर खतरा मंडरा रहा है। उनकी पार्टी टूटने की कगार पर है। उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह भाजपा की मदद से पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हालांकि नीतीश कुमार के विधायकों के टूटने का खतरा कम है इसलिए उद्धव जैसा संकट अभी तत्काल नहीं दिख रहा है पर आगे कभी भी संकट आ सकता है। अकाली दल को भी चिंता करनी चाहिए। चुनाव आयोग ने यह नज़ीर बना दी है कि सांसद और विधायकों का बहुमत जिस तरफ होगा उसी को असली पार्टी माना जाएगा। ऐसे में न तो पार्टी संगठन का और न ही पार्टी के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों का कोई मतलब रह जाएगा। सोजिन पार्टियों के सांसदों व विधायकों की संख्या कम है और अगर वे भाजपा के विरोध में हैं तो उनको सावधान हो जाना चाहिए।

वोट मिले तो भाजपा को गोमांस से भी परहेज़ नहीं

गाय के नाम पर लोगों की आस्था से खिलवाड़ और वोटों का व्यापार सिर्फ भाजपा ही कर सकती है। अगर कोई दूसरी पार्टी ऐसा करे तो भाजपा और सरकार का ढिंढोरची बना मीडिया उसकी खाल उधेड़ दे। भाजपा ने जहां मेघालय में पूरी शान से गोमांस खाने की आज़ादी का समर्थन करते हुए वोट मांगे हैंवहीं देश के बाकी हिस्सों में वह गोरक्षा का दिखावा कर रही है। यहां तक कि गोरक्षा के नाम पर लोगों की हत्याएं हो रही हैं और भाजपा की राज्य सरकारें हत्यारों का बचाव कर रही हैं। अगर भाजपा सचमुच गोरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है तो क्या वह मेघालय जैसा छोटा राज्य दांव पर नहीं लगा सकती थीक्या वह नहीं कह सकती थी कि मेघालय में भले दो चार सीटें नहीं मिले लेकिन वह गोमांस खाने का समर्थन नहीं करेगीभाजपा ने ऐसा नहीं किया। उसके प्रदेश अध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी ने बयान देकर कहा है कि वे गोमांस खाते हैं। उन्होंने यह बात अंग्रेजी के एक अखबार को दिए इंटरव्यू में भी दोहराई और कहा कि गोमांस खाना मेघालय की संस्कृति का हिस्सा है। भाजपा में किसी ने उन्हें रोका नहीं। इसका मतलब है कि उन्होंने और उनकी पार्टी ने इस मसले पर राज्य के लोगों को भरोसा दिलाया और इसे चुनाव का मुद्दा बनाया। सवाल है कि क्या भाजपा के लिए उत्तर और पश्चिम भारत की गाय ही पवित्र हैं और केरलगोवा और मेघालय सहित पूर्वोत्तर के राज्यों की गाय पवित्र नहीं हैं?

भारत अब 'छापा प्रधानदेश

भारत अब छापा प्रधान देश हो गया है। देश में चारों तरफ छापे पड़ रहे हैं। देश के आठ राज्यों में एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी के छापे हैं तो 11 राज्यों में आयकर विभाग के छापे। सीबीआई और ईडी के छापे तो अलग हैं ही। राजधानी दिल्ली में एक समय आए दिन बिक्री कर या वैट से जुड़े छापे पड़ते थे। अरविंद केजरीवाल ने चुनाव में इसे मुद्दा बनाया था और कारोबारियों को भरोसा दिलाया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो वे छापे बंद कराएंगे। उन्होंने सरकार बनने के बाद सचमुच छापे रोक दिए और वसूली भी बढ़ गई। बाद में जीएसटी आने से छापे लगभग पूरे देश में ही बंद हो गए। लेकिन उसी अनुपात में पूरे देश में सीबीआईईडीआयकर और एनआईए के छापे शुरू हो गए। हर दिन कोई न कोई एजेंसी कहीं न कहीं छापा मार रही होती है। हालांकि कोई भी जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच रही है। किसी को सज़ा नहीं हो रही है लेकिन छापे धड़ाधड़ पड़ रहे हैं। बीते मंगलवार को एनआईए ने पंजाब सहित आठ राज्यों में दो गैगेस्टरों को लेकर 76 जगह छापे मारे। उन गैंगेस्टरों के अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों से संबंध हैं। एनआईए की छापेमारी के दौरान ही सीबीआई ने एफसीआई द्वारा खराब क्वालिटी का अनाज खरीदने के मामले में पंजाब में 50 जगह छापे मारे। मंगलवार को ही यूफ्लेक्स कंपनी के नोएडा सहित देश के 11 राज्यों में 64 जगहों पर आयकर विभाग ने छापे मारे। अभी कुछ ही दिन पहले आयकर विभाग ने बीबीसी में सर्वे किया था और ईडी ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के एक दर्जन नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी की थी।

बिहार में भाजपा की उम्मीदों पर पानी फिरा

बिहार की राजनीति में मची उथल-पुथल अब थम सकती है। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे राजद नेताओं को चुप रहने का मैसेज मिल गया है। खुद तेजस्वी ने साफ कर दिया है कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने की जल्दी नहीं है। उन्होंने कहा है कि उनका मकसद 2024 में भाजपा को हराना है। तेजस्वी के इस रूख से भाजपा की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है। भाजपा को लग रहा था कि राजद के नेता नीतीश पर दबाव बनाएंगे कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही तेजस्वी के लिए मुख्यमंत्री पद छोडें। उसे यह भी उम्मीद थी कि इस दबाव में नीतीश महागठबंधन तोड़ कर भाजपा के साथ आएंगे और तब भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनवा लेगी। यहीं पर भाजपा गच्छा खा गई। उसने यह नहीं सोचा कि लालू प्रसाद के परिवार और उनकी पार्टी को सत्ता की कितनी ज़रुरत है। लालू प्रसाद और तेजस्वी दोनों को पता है कि नीतीश कुमार के अलावा उनको सत्ता कोई और नहीं दिला सकता है। तेजस्वी अभी भले ही उप-मुख्यमंत्री हैंलेकिन परोक्ष रूप से सत्ता उनके हाथ में है। वे अपने लोगों के काम करा रहे हैं। अधिकारी उनकी बात सुन रहे हैं। इससे जिला और प्रखंड स्तर पर राजद की ताकत बढ़ी है। तेजस्वी के उप मुख्यमंत्री होने का फायदा यह है कि उनकी छवि मजबूत हो रही है। प्रशासन में भी वे अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं। उन्हें पता है कि नीतीश पर ज़्यादा दबाव डालंगे तो वे भाजपा के साथ चले जाएंगे। पिछली बार नीतीश पर दबाव डालने का नुकसान राजद उठा चुका है। यही बात नीतीश के पक्ष में जाती हैजिसकी वजह से अभी सरकार को कोई खतरा नहीं दिख रहा है और महागठबंधन की पार्टियां साथ मिल कर 2024 की योजना बना रही हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को बिहार की सत्ता से ज़्यादा अगले साल के लोकसभा चुनाव की चिंता है क्योंकि महागठबंधन रहा तो भाजपा को बड़ी दिक्कत होगी।

आत्मनिर्भर भारत में तेल का आयात बढ़ा

भारत सरकार की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि भारत आत्मनिर्भर बन रहा है और ईंधन के लिए बाहरी साधनों पर निर्भरता घटाने के प्रयास कर रहा है। इस सिलसिले में घरेलू उत्पादन बढ़ाने से लेकर पेट्रोलियम उत्पादों में इथिनॉल मिलाने और इथेनॉल की नई-नई फैक्टरियां लगाए जाने का प्रचार हो रहा है। इसके बावजूद हकीकत यह है कि भारत कच्चे तेल के मामले में बाहरी साधनों पर पहले से ज़्यादा निर्भर हो गया है। भारत सरकार के अपने आंकड़ों के मुताबिक पेट्रोलियम उत्पादों की ज़रुरत का 87 फीसदी बाहर से आयात हो रहा है। भारत की घरेलू ज़रूरतों में जिस तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही हैउसी अनुपात में घरेलू उत्पादन में गिरावट आ रही है। पिछले साल अप्रैल से जनवरी की अवधि में भारत ने अपनी ज़रुरत का 87 फीसदी कच्चा तेल आयात किया है। एक साल पहले यह आयात 85.3 फीसदी था। एक साल के अंदर 1.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसीने बताया है कि 2020-21 में कच्चे तेल की कुल खपत में आयात का हिस्सा 84.4 फीसदी थाजो 2021-22 मे 85.7 फीसदी तक पहुंच गया और 2022-23 में 87 फीसदी से ऊपर रहने की संभावना है। पहले नौ महीने में ही कुल आयात 87 फीसद हो गया है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि घरेलू उपभोग बढ़ रहा है और घरेलू उत्पादन घट रहा है।

लोक जनशक्ति पार्टी का फैसला अभी तक क्यों नहीं?

यह बहुत दिलचस्प है कि चुनाव आयोग ने 'शिवसेनाका फैसला कर दिया लेकिन वह लोक जनशक्ति पार्टी का फैसला अभी तक नहीं कर पाया है। जिस तर्क के आधार पर चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना माना है और उसे तीर-धनुष चुनाव चिन्ह दे दिया है उस तर्क के आधार पर बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी के पशुपति कुमार पारस गुट को असली लोजपा मान कर उसको झोपड़ी चुनाव चिन्ह दे देना चाहिए। लेकिन 2021 से शुरू हुआ लोजपा का विवाद अभी तक नहीं निपटा है लेकिन 2022 में शुरू हुए विवाद को चुनाव आयोग ने निपटा दियाजबकि दोनों मामले एक जैसे हैं। कहा जा सकता है कि शिवसेना के बारे में चुनाव आयोग का फैसला भाजपा की चुनावी ज़रुरत के हिसाब से हुआ है। बिहार में अभी भाजपा को फैसले की ज़रुरत नहीं हैजबकि महाराष्ट्र में ज़रुरत हैक्योंकि वहां मुंबई सहित कुछ बड़े शहरों में नगर निगम के चुनाव होने हैं। अगर शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह नहीं मिलता तो मुंबई की चुनावी लड़ाई में उसकी मामूली हैसियत भी नहीं बन पाती। इसीलिए उसका फैसला हो गया। बिहार में लोजपा का फैसला लोकसभा चुनाव से पहले होगा। फिलहाल भाजपा उसके दोनों गुटों में समझौता कराना चाहती है। अगर समझौता नहीं होता है तो यह तय है कि बिहार में चुनाव आयोग का फैसला महाराष्ट्र से अलग होगा। वहां लोजपा के छह में से पांच सांसद पारस गुट के साथ हैं लेकिन असली लोजपा का नाम और चुनाव चिन्ह इकलौते सांसद वाले चिराग पासवान गुट को मिलेगा। वे रामविलास पासवान के बेटे हैं और राजनीतिक विरासत उनके पास है। दूसरेवे भाजपा के प्रति बहुत नरम हैं और अपने आप को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'हनुमानबताते हैं।

मनीष सिसोदिया पर गिरफ्तारी की तलवार

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पार्टी के नेताओं को लग रहा है कि उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी हो सकती है। गौरतलब है कि शराब नीति के मामले में पिछले हफ्ते जब सिसोदिया को सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया था तब खुद सिसोदिया ने अपनी गिरफ्तारी की आशंका जताई थी। हालांकि उस समय उन्होंने बजट की तैयारी के बहाने कुछ समय मांग लिया। अब 26 फरवरी को उनकी पेशी सीबीआई के सामने होने वाली है। इस बीच एक और मामला आ गया हैजिसमें सिसोदिया फंसते दिख रहे हैं। यह राजनीतिक लोगों की गैरकानूनी तरीके से जासूसी कराने का मामला हैठीक वैसा ही जैसे केंद्र सरकार द्वारा पेगासस से जासूसी कराने का मामला थाजिसे रफा-दफा कर दिया गया। बहरहाल सिसोदिया के मामले में उप-राज्यपाल वीके सक्सेना ने अपनी तरफ से सीबीआई जांच की मंज़ूरी देते हुए फाइल केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी थी। गृह मंत्रालय ने भी सिसोदिया के खिलाफ एफआईआर और जांच करने की इजाजत फौरन दे दी। यह भी गंभीर मामला है। बताया जा रहा है कि दिल्ली में सरकार बनने के बाद 2015 में अरविंद केजरीवाल सरकार ने एक फीडबैक यूनिट (एफबीयूका गठन किया था। यह यूनिट विजिलेंस विभाग के तहत काम करती थीजिसके मंत्री मनीष सिसोदिया थे। इसके ज़रिए राजनीतिक लोगों के बारे में सूचनाएं जुटाई गईं। अब शराब नीति के साथ-साथ इस मामले में भी उनकी जांच और पूछताछ होगी। दिल्ली सरकार के एक मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से जेल में हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest